सम्पादकीय

हाई कॉलेस्ट्रॉल और डायबिटीज से हो सकता है हाईपरटेंशन का खतरा: एक्सपर्ट

Rani Sahu
24 May 2022 9:28 AM GMT
हाई कॉलेस्ट्रॉल और डायबिटीज से हो सकता है हाईपरटेंशन का खतरा: एक्सपर्ट
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हाई कॉलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) बेहद पुरानी बीमारी है

उन्नति गोसाईं

हाई कॉलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) बेहद पुरानी बीमारी है, जो धीरे-धीरे पूरे देश में पसरती जा रही है. हाल में हुई एक स्टडी से पता चला है कि शहर में रहने वाले 25-30 फीसदी और गांवों में बसने वाले 15-20 फीसदी लोग हाई कॉलेस्ट्रॉल से जूझ रहे हैं. कॉलेस्ट्रॉल वसा (Fat) जैसा पदार्थ है, जो शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है. हालांकि, दिल की सेहत बिगाड़ने, दिल संबंधी बीमारियों और दिल के दौरे के पीछे कॉलेस्ट्रॉल की अधिकता या असंतुलन ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है. दूसरी तरफ देश में डायबिटीज (Diabetes Cases In india) मामले भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रहने वाले 12 लोगों में से एक या 74 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज के मरीज हैं.
दिसंबर 2020 में जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में अन्य 40 मिलियन लोगों का ग्लूकोज टॉलरेंस (IGT) बिगड़ा हुआ है, जिससे उन्हें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा काफी ज्यादा होता है, जबकि देश में आधे से ज्यादा (53.1 फीसदी) लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और उन्हें अपनी बीमारी के बारे में पता तक नहीं है.अब यह सवाल उठता है कि जिन लोगों को डायबिटीज और हाई कॉलेस्ट्रॉल दोनों हैं, उनके लिए यह कितना खतरनाक है?
गुड़गांव स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट के क्लिनिकल कार्डियोलॉजी और कार्डियक इमेजिंग के हेड व डायरेक्टर डॉ. विनायक अग्रवाल ने इस संबंध में Tv9 से बातचीत की. उन्होंने बताया कि हाई कॉलेस्ट्रॉल और डायबिटीज में कुछ रिस्क फैक्टर बेहद कॉमन हैं. इनकी वजह से कार्डियोवैस्कुलर डिसीज स्पेक्ट्रम में इजाफा होता है, जिसे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलयर और अन्य संबंधित दिक्कतों के नाम से जाना जाता है.
टाइप -2 डायबिटीज से बिगड़ जाता है मेटाबोलिज्म
टाइप 2 डायबिटीज बेहद पुरानी बीमारी है, जिसकी वजह से लाइफस्टाइल, शरीर का वजन और मेटाबोलिज्म बिगड़ जाता है. इसका सीधा कनेक्शन लोअर एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल और हाई एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल से भी है. एक स्टडी के मुताबिक, दोनों बीमारियों के बीच संबंध को सिर्फ आंशिक रूप से समझा जा सकता है, लेकिन इंसुलिन मेटाबोलिज्म में बदलाव और ओवरऑल इनफ्लेमेशन इसमें अहम भूमिका निभा सकते हैं. टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों में भी लिपिड प्रोफाइल होने की संभावना ज्यादा होती है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है, भले ही उनका स्तर समग्र रूप से सामान्य हो.
हाई कॉलेस्ट्रॉल और डायबिटीज एक साथ खतरनाक बन जाती हैं
डॉ. ने बताया कि हाई कॉलेस्ट्रॉल का एकमात्र खतरा खासतौर पर एलडीए (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन) होता है, जो हाई कॉलेस्ट्रॉल का ही एक कंपोनेंट है. हम सभी जानते हैं कि इसकी वजह से हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है. कुछ ऐसा ही हाल डायबिटीज का भी है. उन्होंने कहा, 'लेकिन जब आपको दोनों बीमारियां हाई कॉलेस्ट्रॉल और डायबिटीज एक साथ होती हैं तो इनकी वजह से हार्ट डिजीज और स्ट्रोक आदि का खतरा तीन से चार गुना बढ़ जाता है.'
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि यह कॉम्बिनेशन काफी आम है और इससे खासतौर पर शहर में रहने वाले वे लोग पीड़ित हैं, जो धीरे-धीरे मोटापे के शिकार बन रहे हैं.
हाइपरटेंशन का खतरा भी बढ़ जाता है
उन्होंने बताया कि 'इस तरह के लोगों में हाईपरटेंशन (Hypertension) का खतरा काफी ज्यादा होता है और अगर वे ज्यादा टेंशन वाली नौकरियों के साथ स्मोकिंग करते हैं, अपनी आदतों में बदलाव नहीं करते हैं, एक्सरसाइज भी नहीं करते हैं और दिनभर सक्रिय भी नहीं रहते हैं तो दिल की बीमारियों का खतरा काफी तेजी से बढ़ता है. अगर यह डायबिटीज के साथ मिलकर घातक कॉम्बिनेशन बनाता है तो हम इसे मेटाबोलिज्म सिंड्रोम कहते हैं, जहां हम देखते हैं कि जिस व्यक्ति में ये दोनों बीमारियां एक साथ होती हैं, उस शख्स को दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा होता है.'
इन चीजों से बनाएं दूरी
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि इन खतरों को सिर्फ जीवनशैली (Lifestyle) में बदलाव करके या सुधार लाकर रोका जा सकता है. इनमें सप्ताह में चार से पांच दिन रोजाना कम से कम 40 मिनट व्यायाम करना, खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा घटाना और पिज्जा, चिप्स जैसे जंक फूड का सेवन कम करना शामिल है. उन्होंने तर्क दिया, 'आजकल बच्चे भी काफी ज्यादा जंक फूड खाते हैं, जिसका असर उनके वजन और सेहत पर पड़ता है. हमने युवा आबादी पर गौर किया है. उनमें डायबिटीज और मोटापे की शुरुआत जल्दी होती है.'
इन बातों का रखें ध्यान
तले हुए खाने और जंक फूड में कटौती करें. इसके अलावा देर रात में खाने की आदत में भी सुधार करें. अच्छी नींद लें और खाने में नमक की मात्रा का भी ध्यान रखें.साधारण लाइफस्टाइल अपनाकर इस खतरे के असर को कम किया जा सकता है. अपने आहार में अधिक फल, सब्जियां और सलाद रखना चाहिए, जो इन बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को अच्छी सेहत के लिए निश्चित रूप से मिलना चाहिए. दरअसल, रिक्रिएशन, रिलैक्सेशन और मेडिटेशन इन मरीजों की काफी मदद करता है.

सोर्स -tv9hindi.com

Rani Sahu

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