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- हाईटैक महंगाई!
दरअसल यह हाईटैक महंगाई का युग है। सरकार ने हर क्षेत्र को जब हाईटैक कर दिया है तो महंगाई इससे अछूती कैसे रह सकती है? गरीब क्या इस महंगाई में जी नहीं रहा? बल्कि उसका गुजारा पहले से ज्यादा बेहतर ढंग से हो रहा है। एलपीजी में तो जितने सिलेडंर चाहो पूरा दाम देकर आराम से ले लो। डीजल में पांच रुपए प्रति लीटर क्या बढ़ाए कि विपक्ष ने और मीडिया ने महंगाई का बावेला मचाकर 'मार डाला-मार डाला' का नारा ही उछाल दिया है। एक्चुअली महंगाई पर बात करना आज का लेटेस्ट फैशन है। महंगी गाडि़यों में बैठे-बैठे दिखावे का रोना, रोना फैशन हो गया है। अभी छापा मारो करोड़ों का धन मामूली आदमी के पास निकल पडे़गा। रहा सवाल गरीब का तो वह तनिक भी विचलित नहीं है। उसकी आवश्यकताएं सीमित हैं। रोटी-मजदूरी मिल जाए तो उसे किसी से कोई शिकायत नहीं है। यह जो मध्यमवर्गीय लोग हैं न, जो हाईटैक हो गए हैं, महंगाई को बतौर वार्तालाप के काम में लेते हैं।