सम्पादकीय

खूबसूरत 'खेलगांव' में खूनी होते 'गुरु-शिष्यों' के 'बर्बर' इरादों की दिल दहलाती शर्मनाक कहानियां

Gulabi
12 Nov 2021 12:17 PM GMT
खूबसूरत खेलगांव में खूनी होते गुरु-शिष्यों के बर्बर इरादों की दिल दहलाती शर्मनाक कहानियां
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हिंदुस्तान से विशाल लोकतांत्रिक देश

संजीव चौहान। हिंदुस्तान से विशाल लोकतांत्रिक देश में बसे छोटे मगर बेहद खूबसूरत "खेलगांव" को लगता है, किसी दुश्मन की काली-नजर लग गई है. जिस हरियाणा की सरज़मीं देश में सर्वाधिक होनहार खिलाड़ियों की "पौधशाला" या जन्मस्थली के रूप में कल तक मशहूर थी. अब उसी खूबसूरत खेलगांव हरियाणा की जमीन खिलाड़ी "गुरु-शिष्यों" के खून से सराबोर होने लगी है. होनहार खिलाड़ी "कत्ल" भी किए जा रहे हैं तो अपने ही द्रोणाचार्य से पूज्यनीय समझे जाने वाले "कोच-गुरुओं" के हाथों. और 'गुरु' मार डाले जा रहे हैं गुरुओं व शिष्यों के हाथों. आईए जानते हैं कि आखिर गुरुजनों के हाथों खिलाड़ी शिष्यों के कत्ल-ए-आम की जड़ में आखिर असली और छिपी हुई वजह या अंदर की बात क्या है?


बुधवार (10 नवंबर 2021)को हरियाणा के सोनीपत जिलांतर्गत स्थित गांव हलालपुर में युवा महिला पहलवान निशा के परिवार पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दी गईं. हमलावरों ने जिस तरह से चारों ओर से पीड़ितों (शिकार) को घेरकर गोलियां बरसाईं उससे तय हो गया कि, हमलावर हर हाल में पीड़ितों का कत्ल करने का सुनियोजित षडयंत्र रचकर पूरी तैयारी के साथ घटनास्थल पर अपने खूनी इरादों को अंजाम देने पहुंचे थे. जिस वक्त हमलावरों ने गांव में चल रही कुश्ती अकादमी (अखाड़ा) के करीब गोलीकांड को जब अंजाम दिया, उस वक्त युवा महिला पहलवान निशा (अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान निशा दहिया नहीं) मां और भाई के साथ मौजूद थीं.


भाई-बहन कत्ल कर डाले, लहूलुहान मां अस्पताल में
तीनों को इस बात का दूर दूर तक अंदेशा नहीं था कि गांव के पास उन्हें कोई, इस तरह से चारों ओर से घेरकर कत्ल भी कर या करा सकता है. वो भी अपनी ही कुश्ती अखाड़े के पास. जान बचाने की कोशिश में हमलावरों की हद से निकलने की हर कोशिश भाई-बहन और उनकी मां ने की. चूंकि हमलावरों ने उनके जिंदा बचकर भाग निकलने का हर रास्ता पहले से ही बंद कर रखा था. लिहाजा हमले में निशा और उसके भाई की गोलियां लगने से मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई. जबकि गोलियों से छलनी मां पीजीआई रोहतक में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है. घटना के बाद मौके पर पहुंचे सोनीपत के पुलिस अधीक्षक ने बताया, "हमलावरों के बारे में पता चल गया है. हमला आपसी और जमीनी रंजिश को लेकर किया गया है.

हमलावरों में फिलहाल गोलियों का शिकार होकर मारी गई पहलवान निशा के कोच पवन और उसके साथी सचिन का नाम निकल कर आया है. दोनो ही फरार हैं." सवाल यह पैदा होता है कि आखिर कोई कोच यानी गुरू कैसे किसी उभरती महिला खिलाड़ी और उसके बेकसूर भाई-मां को गोलियों से भून डालने की कल्पना कर सकता है? अब मगर जो कुछ हो चुका है. वो भी तो सबके सामने है. ऐसे में यह सवाल भी बेईमानी है कि कोई गुरुतुल्य कोच भला अपनी शिष्य खिलाड़ी के खून का प्यासा क्यों और कैसे हो सकता है? यह कलियुगी और खूनी गुरू था. खूनी मानसिकता के चलते आरोपी कोच ने जिस लोमहर्षक दोहरे हत्याकांड को अंजाम देना था. सो उसने दे दिया. अब भले ही वो गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाए. या फिर क्यों न फांसी के फंदे पर ही टांग दिया जाए.

मां-बेटे का भला क्या दोष था?
घिनौनी मानसिकता के किसी शख्स ने एक होनहार महिला पहलवान खिलाड़ी तो असमय हम सबसे छीन ही ली. निशा से आरोपी कोच की दुश्मनी थी तो माना कि उसने निशा को कत्ल कर डाला. सवाल यह पैदा होता है कि आखिर निशा के युवा भाई सूरज और उसकी मां का भला क्या दोष था? जिसके चलते खूनी कोच ने निशा के भाई को भी बेमौत घेरकर मार डाला. जबकि मां को अकाल मौत के मुहाने पर ले जाकर खड़ा दिया. इस खूनी घटनाक्रम की तह में पहुंचने पर पता चलता है कि गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतारी गई निशा हलालपुर गांव स्थित कुश्ती अखाड़े में प्रैक्टिस करने जाया करती थी. हत्यारे कोच पवन ने अपने साथी के संग घटना वाले दिन अखाड़े के मुख्य द्वार के पास ही निशा, उसके भाई और मां को घेरकर मार डाला.

इस घटना से गुस्साए लोगों ने कुश्ती अकादमी को आग लगाकर उसे स्वाहा कर डाला. घटना के पीछे पवन और निशा के बीच में क्या वैमनस्यता थी? इसकी जांच तो पुलिस कर रही है. दूसरी ओर पता चला है कि इस गोलीकांड की तह में जमीन को लेकर भी विवाद था. जमीन को लेकर विवाद की बात का खुलासा खुद अखाड़े की जमीन के वारिस/मालिक धर्मवीर ने खुद ही गुरुवार को मीडिया को बताई. धर्मवीर के मुताबिक, जिस कुश्ती अकादमी को लेकर डबल मर्डर हुआ वो एक एकड़ जमीन पर चल रही थी. गोलीकांड में मारी गई निशा का कोच पवन, जमीन मालिक धर्मवीर का रिश्तेदार है. बकौल धर्मवीर, "पवन कोच ने मुझे बेवकूफ बनाकर कुछ साल पहले थोड़ी सी मुझसे ले ली थी. उसके बाद उसने गुंडों के बलबूते करीब एक एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया.

कुश्ती गुरू तो कातिल निकला
जमीन कब्जाने का विरोध करने पर इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाले कुश्ती कोच पवन ने मुझे जान से मारने की धमकी थी. तो मैं चुप्पी साध गया. पुलिस भी कुख्यात कुश्ती कोच पवन का ही साथ दे रही थी. इसलिए किसी ने पुलिस के पास भी पवन की शिकायत लेकर जाने का दुस्साहस नहीं किया. इसी का नतीजा सामने है निशा और उसके बेकसूर भाई सूरज की दिल दहला देने वाली हत्या." दोहरे हत्याकांड के बाद अब जांच पड़ताल के नाम पर भागदौड़ में मशरूफ सी दिखाई दे रही सोनीपत पुलिस की मानें तो, "मारी गई निशा ने तीन साल पहले ही पवन कोच की कुश्ती अकादमी में दाखिला लिया था." मारी गई निशा और सूरज के पिता दयानंद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात हैं. वे इन दिनों सोपोर (कश्मीर) में तैनात हैं.

गांव वालों के मुताबिक पवन कोच निशा को डरा-धमका कर उसके करीब पहुंचने को व्याकुल रहता था. जबकि निशा उसे भाव नहीं देती थी. लिहाजा शिष्या के प्रति ऐसी कुत्सित मानसिकता वाले कोच पवन ने निशा को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतारने में भी शरम नहीं की. जान बचाने के लिए निशा का भाई तो पांच सौ मीटर दूर तक भागा भी. इसके बाद भी मगर हथियारबंद बदमाशों और उनके साथ मौजूद कोच पवन ने उसे गोलियों से भून डाला. पता चला है कि घटना के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी पवन की पत्नी सुजाता और सुजाता के भाई (पवन कोच के साले) को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि मुख्य सभी हमलावर और षडयंत्रकारियों की गिरफ्तारी को लेकर सोनीपत पुलिस अंधेरे में हाथ पांव मार रही है.

खेलगांव में खूनी होते गुरु और शिष्य
खिलाड़ियों की पौधशाला (नर्सरी) या कहिए जन्मस्थली के रूप में एक खूबसूरत छोटे से खेलगांव के रूप में पहचाने जाने वाले हरियाणा की जमीन, आखिर खिलाड़ियों के खून से सराबोर क्यों होती जा रही है? ऐसा नहीं है कि यह सवाल राष्ट्रीय महिला पहलवान निशा और उसके भाई सूरज के कत्ल से ही जन्मा हो. इससे पहले भी ऐसे तमाम डरावने उदाहरण हैं कि जब हरियाणा के खिलाड़ी और कोच रुह कंपा देने वाली मौत मारे जाते रहे हैं. भला खेल और खिलाड़ियों का खून और खूनी लोगों से क्या और काहे का वास्ता? इंटरनेशनल फेम पूर्व ओलंपियन पहलवान सुशील कुमार साथी पहलवान सागर धनखड़ के कत्ल के आरोप में कई महीने से एशिया की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ की सलाखों में बंद पड़ा है.

पानीपत के सिवाह गांव का प्रसन्न उर्फ लंबू फुटबॉल का होनहार खिलाड़ी था. आज उसके नाम से लोगों की रूह कांपती है. किसी जमाने में कबड्डी के नेशनल चैंपियन रहे रोहतक के रिठाण गांव के सन्नी देव उर्फ कुक्की की भी इस छोटे से खेलगांव में तारीफों के कसीदे कसे जाते थे. अब उस पर हत्या, लूट, डकैती के अनगिनत मुकदमे थानों में दर्ज हैं. दिल्ली के अलीपुर गांव के जितेंद्र उर्फ गोगी का किसी जमाने में वालीबॉल से खेल में सिक्का चला करता था. वो राष्ट्रीय स्तर तक खेल भी चुका था. कालांतर में वो दिल्ली हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर और शार्पशूटर बनकर बदनाम हुआ. सिंतबर-अक्टूबर 2021में उसे दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में दिन-दहाड़े दूसरे बदमाशों द्वारा गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया गया.

खिलाड़ियों का अपराध से क्या वास्ता
गोगी गैंग की दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, रोहतक सहित हरियाणा दिल्ली के तमाम इलाकों में तूती बोला करती थी. सोनीपत के पलड़ा गांव का अक्षय भी किसी जमाने में उभरता हुआ पहलवान था. गैंगस्टर लारेंस बिश्वनोई गैंग से जुड़ने के बाद उसने भी अपना खिलाड़ी जीवन तबाह कर डाला. पानीपत के गांजबड़ गांव का सोनू कबड्डी का राष्ट्रीय खिलाड़ी था. इंटर कालेज और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में उसने पदक जीते. दादागीरी की सनक लगी तो वो भी बर्बाद हो गया. कुश्ती के राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता कुलदीप उर्फ दीपा से उसकी रंजिश हो गई थी. 31 जुलाई 2019 को फोन पर हुई बहस के बाद, सोनू ने दो साथी बदमाशों की मदद से इसराना में दीपा की हत्या कर दी. बाद में सोनू को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया.

बीते कल के खूबसूरत छोटे से "खेल गांव" में आज खिलाड़ियों-गुरुओं के खूनी होते इरादों की यह तो चंद बानगियां भर हैं. परदे के पीछे छिपा सच तो यह है कि आज इस खेलगांव की ओर नजर उठाकर देखने की कोशिश किसी भी शरीफ इंसान को खौफजदा कर जाती है. राज्य स्तर की कुश्ती प्रतियोगिता में पदक विजेता इसराना गांव के पहलवान सतीश कुमार की माली हालत अच्छी नहीं थी. लिहाजा उसका खेलना छूट गया. मुफलिसी के आलम में वो कालेज में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगा. वहां उसकी दोस्ती हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर विकास से हो गई. 14 अगस्त 2020 को उसने विकास के साथ मिलकर बांध गांव के ढाबा संचालक धर्मपाल को मारपीट करके लूट लिया.

खिलाड़ियों ने लूटा तो पीड़ित ने कत्ल कर डाला
उस लूटपाट कांड की शिकायत पीड़ित धर्मपाल ने घरौंडा थाने में दे दी. साथ ही उस घटना से बौखलाए धर्मपाल ने अगस्त महीने में एक दिन सतीश और उसके साथी मनीष को सरेआम गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में गोलियों से भूनकर मार डाला गया हरियाणा के पूर्व युवा खिलाड़ी गैंगस्टर गोगी के हाथ भी खून से सने हुए थे. उसने जिंदगी में यूं तो तमाम सनसनीखेज आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया था. सबसे ज्यादा लोमहर्षक अपराध की वारदात उसने हरियाणा की मशूहर गायिका हर्षिता दहिया के कत्ल की अंजाम दी थी. हर्षिता दहिया हत्याकांड में गोगी के साथ दिल्ली के कराला गांव का बदमाश दिनेश भी शामिल था. दिनेश ने ही हर्षिता दहिया के कत्ल की सुपारी गोगी बदमाश को दी थी.

गोगी ने अपने साथियों के साथ मिलकर 17 अक्टूबर सन् 2017 को दिन दहाड़े कार से खींचकर निहत्थी और बेबस हर्षिता दहिया को गोलियों से भून डाला था. गायिका हर्षिता दहिया हत्याकांड को चमराड़ा गांव के पास गोगी ने अपने विश्वासपात्र शूटर कुलदीप उर्फ फज्जा और रोहित मोई के साथ मिलकर अंजाम दिया था. कुलदीप फज्जा को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कुछ महीने पहले ही दिल्ली के एक मकान में घेरकर मार डाला. देश का छोटा सा खेलगांव कहे-समझे जाने वाले हरियाणा की ओर नजर उठाकर देखा जाए तो खेल को बदनाम करते और भी तमाम गुरु-शिष्यों के उदाहरणों-नमूनों से भरा, लिपा-पुता काला इतिहास और वर्तमान दोनो देखने को मिल जाएंगे. बस ईमानदारी से इन सबकी कुंडली खंगालने के जरूरत है.

रूह कंपाता करनाल का तिहरा हत्याकांड
मसलन, करनाल के रंगरूटीखेड़ा गांव का पहलवान कप्तान, जिसके सिर पर करनाल में तिहरे हत्याकांड सहित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. हरियाणा के सोनीपत जिले के गांव भटगांव के संजीत उर्फ घोलू कुक्की का भी ऐसा ही बदनाम नाम है. संजीत कुश्ती, डिस्कस व जैवलिन थ्रो का राज्य स्तर का खिलाड़ी रह चुका. बाद में वो हरियाणा का कुख्यात शार्प शूटर बनकर बदनाम हुआ. संजीत पर आरोप लगा था कि उसी ने सन् 2017 में पानीपत जिले में सतबीर पहलवान को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया. कभी जूनियर नेशनल बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक विजेता रहा हरियाणा के रोहतक जिले का विक्की भी बाद में कुख्यात बदमाश बना. कुश्ती जैसे सम्मानित खेल को अलविदा करके रोहतक के बहू अकबरपुर का संजीत बिदरो भी कालांतर में कुख्यात गैंगस्टर बनकर सामने आया था.

रियाणा के झज्जर जिले में इसी साल (मई 2021 के मध्य में) खानपुर गांव में 22 साल के युवा पहलवान विक्रम की गोली मारकर हत्या कर दी गई. विक्रम माता-पिता का इकलौता बेटा था. विक्रम के पिता चंडीगढ़ पुलिस से रिटायर होने के बाद खुद ही अपना अखाड़ा चला रहे थे. जहां उनके पास कई युवक कुश्ती के दांव-पेंच सीखने आते थे. विक्रम भी अपने पिता के ही अखाड़े में ट्रेनिंग ले रहा था. अखाड़े में विक्रम की तैयारी देख कुश्ती की ट्रेनिंग ले रहे कुछ अन्य युवा पहलवान उससे मन ही मन रंजिश रखने लगे. एक दिन जब विक्रम, अपने गांव से कुछ दूरी पर स्थित खोरड़ा रोड पर पेंगा अखाड़े में गया हुआ था. वहीं उसके पिता का भी अखाड़ा है. तभी किसी बात को लेकर कसासुनी हो गई और फिर विक्रम को गोली मार दी गई.

खूनी खिलाड़ी गुरु-शिष्यों से भरे हैं अखाड़े!
हरियाणा स्थित जाट कालेज के अखाड़े में 12 फरवरी को इसी साल खूनी मानसिकता को कोच सुखवेंद्र ने गजब कर डाला. उसने एक ही जगह पर कुश्ती के तीन कोच, एक कोच की पत्नी, समेत छह लोगों को गोलियों से भूनकर मौत के घाट उतार दिया. गोली खाने वालों में 6 साल का एक मासूम बच्चा भी था. जिसके कोच मां-बाप को उस घटना में कत्ल कर डाला गया था. इससे कुछ महीने पहले ही 21 अक्टूबर 2020 को में रिटौली गांव के पहलवान शिवकुमार की लाश उसके कमरे में लावारिस हालत में पड़ी मिली. उस हत्याकांड में अखाड़ा संचालक हिंद केसरी पहलवान सुरेश, उसके बेटे संजीव और सोमबीर समेत कई पर हत्या का मामला दर्ज हुआ. जिसके बाद पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था.

भोपाल की रहने वाली महिला वेट लिफ्टर खिलाड़ी की लाश फरवरी महीने में धामड़-किलोई गांव के पास नहर की पटरी लावारिस हालत में पड़ी मिली. उस मामले में पुलिस ने राजीव गांधी स्टेडियम के वेट लिफ्टर कोच भगत सिंह को गिरफ्तार किया था. वेट लिफ्टर पिछले दो साल से बर्खास्त चल रहा था.उसके ऊपर महिला खिलाड़ी ने दुष्कर्म और धमकी का मुकदमा भी दर्ज करा रखा था. सन् 2017 में शीला बाईपास के करीब एडवोकेट सत्यवान मलिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसमें एक अखाड़ा संचालक का नाम उछला था. इसी तरह से रिठाल के नेशनल कबड्डी खिलाड़ी सुखविंद्र की मार्च 2016 में गोली मारकर हत्या कर दी गई.


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