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इन दिनों सबकी निगाहें ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे पर लगी हैं, जहां पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और उनके भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर 29 से 30 मार्च के दौरान हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में शिरकत करेंगे। हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया अफगानिस्तान और तुर्की की एक क्षेत्रीय पहल है, जिसे 2011 में शुरू किया गया था। यह अफगानिस्तान और इस क्षेत्र में स्थिरता, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए राजनीतिक संवाद और क्षेत्रीय सहयोग का एक मंच है। पर इस्लामाबाद में अधिकारियों से पूछताछ करने पर पता चला कि इस कॉन्फ्रेंस से अलग दोनों विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय बैठक के लिए अभी तक न तो पाकिस्तान ने और न ही भारत ने कोई अनुरोध किया है। हालांकि राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, मित्र देश यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि दुशांबे में दोनों विदेश मंत्रियों की मुलाकात हो सके। कई वजहों से भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहद तनावपूर्ण रहे हैं और दोनों देशों के बीच आखिरी औपचारिक बैठक मार्च, 2016 में नेपाल के पोखरा में हुई थी।