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Written by जनसत्ता: त्योहारों के मौसम में खाद्य पदार्थों में मिलावट का कारोबार, खासतौर पर मिठाइयों में ज्यादा जोर पकड़ता है। इसके लिए आम लोगों को जागरूक होना चाहिए। त्योहारों के मौसम में खाने-पीने की नकली और मिलावटी चीजों को बेचने की भी होड़ लग जाती है। आज समाज में बहुत से ऐसे लोग भी है जो अपने थोड़े-से फायदे के लिए खाने-पीने की चीजों में मिलावट करके दूसरों की जान को भी जोखिम में डाल देते हैं। खाने-पीने की मिलावटी चीजें जहर समान होती हैं। खासतौर पर बच्चों की सेहत पर इनका नकारात्मक असर बहुत ज्यादा पड़ता है।
यों भी स्वस्थ भारत के लिए खानपान की चीजों में मिलावट रोकना बहुत जरूरी है। खाद्य पदार्थों में मिलावट नहीं रुक रही, क्योंकि एक तो आमजन सरकार द्वारा बनाए गए उपभोक्ता संरक्षण के कानून के प्रति जागरूक नहीं है, दूसरा सरकार और प्रशासन मिलावट रोकने के लिए गंभीरता नहीं दिखाता। तीसरा सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार के कारण खाद्य पदार्थों की जांच समय-समय पर नहीं होती।
सरकार और प्रशासन को आमजन की सेहत की सुरक्षा के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए। बाजार में बिकने वाली चीजों की समय-समय पर जांच करनी चाहिए। यह भी कहना उचित होगा कि विज्ञापनों के भ्रम में आकर अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करना गलत है। मीडिया समय-समय पर मिलावटी या बनावटी खाने पीने चीजों से सेहत पर होने वाले नुकसान का खुलासा करता रहता है।
इस पर सबको ध्यान देना चाहिए। सरकार लोगों को मिलावटी चीजों, घटिया गुणवत्ता और घटिया चीजों से बचने के लिए जागरूकता के कई अभियान और हेल्पलाइन भी समय-समय पर शुरू करती आई हैं। लेकिन जब तक लोग किसी वस्तु या खाने-पीने की चीजों की गुणवत्ता पर ध्यान नही देंगे और किसी गड़बड़ी की शिकायत उपभोक्ता अदालत में नहीं करते, तब तक सरकार के उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले संरक्षण के प्रयास कभी कामयाब नहीं हो सकते हैं।