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- हैडलाइन चोरी हो गई

अचानक देश के सबसे बड़े अखबार के दफ्तर में अलार्म बज गया। पता चला कि अखबार की सबसे महत्त्वपूर्ण हैडलाइन चोरी हो गई है। अखबार के दफ्तर से हैडलाइन चोरी होना उतना ही बड़ा मुद्दा था जितना सरकार के प्रोपेगंडा का चुनाव में खो जाना। संपादक भी बेचैन हुए, हालांकि आजकल उन्हें अपनी सुर्खियों की ही चिंता ज्यादा रहती है। फिर भी वह घबराए क्योंकि आजकल सुर्खी ही रेवेन्यू जनरेट करती है। चिंता हुई, 'कहीं मुख्यमंत्री की सुर्खी ही तो चोरी न हो गई हो।' वह सोच ही रहे थे कि फोन आने शुरू हो गए। बाहर सोशल मीडिया ने यह बात फैला दी थी कि अमुक राष्ट्रवादी अखबार से हैडलाइन चोरी हो गई है। सरकार के सूचना विभाग के प्रभारी ने विज्ञापन का हवाला देते हुए संपादक से धमकी के स्वर में पूछा, 'अगर मुख्यमंत्री की हैडलाइन खोने लगेगी, तो हम आपका बजट छोटी अखबारों में बांट देंगे।' सफाई देने से पहले ही फोन कट चुका था, लेकिन अब लाइन पर कर्मचारी नेता था, 'क्या मेरी हैडलाइन चोरी हुई है।' फिर नेताओं के फोन भी आने लगे। हर कोई जानना चाहता था कि कहीं उसकी सुर्खी ही तो चोरी न हुई हो।
