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- शिक्षा संस्थानों में...
शिक्षा संस्थान में विद्यार्थी जीवन से ही अच्छे स्वास्थ्य की नींव रखी जाती है, परंतु क्या हमारे संस्थानों में विद्यार्थियों के लिए फिटनेस की सुविधाएं उपलब्ध हैं। पिछले साल मार्च से हम कोरोना महामारी के कारण शिक्षा संस्थानों से दूर हैं। पढ़ाई ऑनलाइन तो कभी ऑफलाइन हो ही जाती है, मगर फिटनेस के लिए घर पर भी कार्य नहीं हो रहा है। कोरोना के भयानक परिणामों को देखते हुए अब हर नागरिक की फिटनेस का आधार विद्यार्थी जीवन से ही मजबूत बनाना और अधिक जरूरी हो गया है। हवा में जब अधिक धूल-धुआं हो गया है और पृथ्वी पर जैसे-जैसे जीवन जीने की आवश्यक चीजें घटती जा रही हैं, वैसे-वैसे मानव को अब स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सजग होना पडे़गा। अच्छे स्वास्थ्य की नींव बचपन से लेकर विद्यार्थी जीवन तक पक्की की जाती है। मगर हिमाचल प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में प्रत्येक विद्यार्थी की स्वास्थ्य के लिए न तो सुविधा है और न ही पर्याप्त शिक्षक हैं। विद्यार्थी कितना फिट है, उसके लिए विद्यालय में कोई परीक्षा ही नहीं है। ऐसे में शिक्षा के कर्णधारों के साथ-साथ अभिभावकों व विद्यालय प्रशासन को इस विषय पर अनिवार्य रूप से सोचना होगा कि हमारी आगामी पीढि़यों की फिटनेस व नैतिकता कैसे उन्नत हो सके। स्वास्थ्य के सिद्धांतों से नैतिकता का गहरा संबंध है। संयम, निरंतरता, निस्वार्थ सोच व ईमानदारी से कार्य निष्पादन हम खेल के मैदान में ही सही ढंग से सीख पाते हैं। किसी भी देश को इतनी क्षति युद्ध या महामारी से नहीं होती है जितनी तबाही नशे के कारण हो सकती है