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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सत्ता का ऊंट… हाथी… बुलडोजर या साइकिल पर सवार समाजवाद किस तरफ बैठेगा ये तो आने वाला वक्त ही जानता है
श्याम त्यागी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सत्ता का ऊंट… हाथी… बुलडोजर या साइकिल पर सवार समाजवाद किस तरफ बैठेगा ये तो आने वाला वक्त ही जानता है. लेकिन चुनावी दहलीज पर पहुंचने से पहले ही यूपी में वाकयुद्ध शुरू हो चुका है. अब मायावती (Mayawati) हों या ओवैसी या फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) हर कोई वार-पलटवार में व्यस्त है. लेकिन इस चुनावी वार में जो शख्स सबसे ज्यादा एक्टिव है, वो हैं यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav). बिना अच्छे-बुरे में भेदभाव किए अखिलेश यादव का सिंगल पॉइंट एजेंडा है, सीएम योगी के हर काम पर तंज कसना.
यूपी में जबसे योगी सरकार ने कमान संभाली है तभी से ही अपराधियों के अवैध साम्राज्य को ध्वस्त किया जा रहा है. अब वो कोई पेशेवर गैंगस्टर हों या फिर शराब का तस्कर, हर किसी की अवैध संपत्ति पर सीएम योगी का बुलडोजर पिछले दिनों जमकर चला है और अभी भी चल रहा है. सीएम योगी के अवैध संपत्ति सफाई अभियान के तहत योगी प्रशासन करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति को अपने शिकंजे में ले चुका है. ये संपत्ति अवैध शराब का व्यापार करने वाले और दूसरे अवैध कामों में लिप्त अपराधियों से जुड़ी है. अब क्योंकि संपत्ति गैर-कानूनी तरीके से अर्जित की गई थी और योगी सरकार ने उसे अपने कब्जे में ले लिया तो इससे किसी को समस्या नहीं होनी चाहिए.
'अवैध कब्जा करने वालों का एक ही उपचार है- बुलडोजर'
लेकिन सीएम योगी के इस सराहनीय काम से भी यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव को समस्या हो गई. और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को सलाह दे डाली कि वो अपनी पार्टी का सिंबल बुलडोजर को ही बना लें. अखिलेश ने कहा, योगी सरकार गरीबों की झोपड़ियां तोड़ रही है. इस सरकार को अपना चुनाह चिन्ह बुलडोजर ही रख लेना चाहिए. अब क्योंकि अखिलेश यादव ने सीधे सीएम योगी पर हमला बोला था तो योगी भी कहां चुप रहने वाले थे. सीएम योगी ने अपने सधे हुए अंदाज में अखिलेश को जवाब देते हुए ट्वीट किया और लिखा, निर्दोष लोगों की संपत्ति व सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों का एक ही उपचार है – बुलडोजर.
यूपी में मायावती से ज्यादा एक्टिव हैं ओवैसी
बसपा प्रमुख मायावती से ज्यादा एक्टिव यूपी में आजकल AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी नजर आ रहे हैं. जहां चुनाव होता है वहीं ओवैसी पहुंचे जाते हैं. वार-पलटवार करते हैं. मोदी से लेकर योगी तक को घेरते हैं. ओवैसी का चुनावी अभियान यूपी में चला तो राजनीति में एंट्री 'अब्बाजान' और 'चचाजान' की भी हो गई. दरअसल एक रैली के दौरान सीएम योगी ने कहा कि यूपी के लोगों का राशन पहले अब्बाजान हड़प जाते थे. अब अब्बाजान पर राजनीति हुई तो मैदान में ओवैसी भी कूद पड़े और ओवैसी ना कहा, जिस-जिस मजलूम पर जुल्म होगा, मैं उस मजलूम का अब्बा जान हूं. यूपी के चुनावी समर में ओवैसी की सीटों का भले ही कुछ अता-पता ना हो, लेकिन ओवैसी की चुनावी चौकड़ी धर्म के नाम पर वोटों का ध्रुवीकरण करने में जबरदस्त तरीके से जुटी है. जिसका नतीजा 4-6 महीने बाद हम सभी के सामने होगा.
सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अखिलेश यादव सत्ता की कुर्सी पर बैठने के लिए साइकिल लेकर निकल चुके हैं. नारा है 'बाइस में बाइसिकल', लेकिन मायावती का हाथी लगता है यूपी की गलियों में कहीं भटका हुआ फिर रहा है. वो कभी ब्राह्मणों के पास जाता है तो कभी कहीं और, उसको कोई एक छोर मिलता नजर नहीं आ रहा है. लाइक कमेंट और रीट्वीट के राजनीतिक दौर में भी मायावती बहुत पीछे रह गई हैं. तो दूसरी तरफ सीएम योगी का बुलडोजर बेरोकटोक 'ध्वस्तीकरण' की नीति पर आगे बढ़ रहा है.
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