सम्पादकीय

हसीना का भारत दौरा

Rani Sahu
15 Sep 2022 6:22 PM GMT
हसीना का भारत दौरा
x
सोर्स - अमृत विचार
प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत दौरा कई कारणों से महत्वपूर्ण है। इस दौरे से दोनों देशों के संबंधों को एक नई उंचाई मिलेगी। साथ ही सहयोग के नए क्षेत्र खुलेंगे। चार दिनों की भारत यात्रा पर आईं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हुई। जैसी आशा थी, उच्च स्तरीय बैठक के पश्चा
त दोनों देशों ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार तेजी से बढ़ रहा है। हमने आईटी, अंतरिक्ष एवं परमाणु क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। बिजली वितरण को लेकर भी दोनों देशों के बीच वार्ता चल रही है। द्विपक्षीय व्यापार तेज़ी से बढ़ रहा है। बांग्लादेश के निर्यात के लिए आज भारत पूरे एशिया में सबसे बड़ा बाजार है। बांग्लादेश भारत को केवल 1.9 अरब डालर की वस्तुओं का ही निर्यात करता है, जबकि यह भारत से 16.15 अरब डालर का आयात करता है।
इसने चार अरब डालर की कपास, 1.2 अरब डालर का गेहूं और इतनी ही मात्रा में पेट्रोलियम शामिल है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उम्मीद जताई कि तीस्ता नदी जल विवाद जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। दरअसल कई दौर की बातचीत के बाद वर्ष 2010 में मूल रूप से तीस्ता जल संधि का प्रारूप तैयार किया गया था और माना गया था कि वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दौरे के दौरान इस पर हस्ताक्षर किया जाएगा। तथापि, ममता बनर्जी के तीव्र विरोध के कारण इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया जा सका।
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान कइयों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद जतायी थी किंतु ऐसा नहीं हुआ। वैश्विक अनिश्चितताओं और बांग्लादेश की भारत पर गहरी आर्थिक निर्भरता के मद्देनजर वर्तमान दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस यात्रा से पहले शेख हसीना के भाषणों और साक्षात्कारों में स्पष्ट हुआ है कि बांग्लादेश अब भी सहयोगियों के बीच भारत को महत्व प्रदान करता है, भले ही भू-राजनीतिक मंच पर यह कहना इतना आसान न हो।
दौरे में भारत-बांग्लादेश के मैत्रीपूर्ण संबंध की गरमाहट और गहराई, एक दूसरे के प्रति परस्पर विश्वास और सम्मान नजर आ रहा है। वार्ता के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच आतंकवाद पर भी चर्चा हुई। तय किया गया कि दोनों देशों के लिए जो चीजें नुकसानदायक हैं, उनसे मिलकर लड़ा जाएगा। इस घटनाक्रम से पता चलता है कि दोनों देशों की इस क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के संबंध में वास्तविक चिंता है। एक दूसरे के साथ सहयोग संबंधी उनका निर्णय दोनों देशों के हित में भी होगा।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story