सम्पादकीय

हिदायत और आश्‍वासन लेकर देहरादून गए हरीश रावत

Rani Sahu
24 Dec 2021 3:11 PM GMT
हिदायत और आश्‍वासन लेकर देहरादून गए हरीश रावत
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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाक़ात की

आदेश रावल उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाक़ात की. राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद मीडिया से बात करते, इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा, हरीश रावत हमारे नेता है, वह प्रचार समिति के अध्यक्ष है.इनके नेतृत्व में ही कांग्रेस विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. उसके बाद हरीश रावत ने कहा, हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे और मुख्यमंत्री का फ़ैसला चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी. अब सवाल यह उठता है कि इस पूरी मशक़्क़त से हरीश रावत ने क्या हासिल किया ? दरअसल रावत को डर था कि कहीं उनके साथ 2002 की घटना फिर से ना दोहराई जाए. 2002 में हरीश रावत के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया था और मुख्यमंत्री की कुर्सी एनडी तिवारी के हिस्से में आई थी. इस बार रावत कांग्रेस आलाकमान से आश्वासन चाहते थे ताकि चुनाव के बाद कोई दूसरा उम्मीदवार मुख्यमंत्री की रेस में ना खड़ा हो जाए. दरअसल हरीश रावत भी यह जानते थे कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री घोषित करने का रिवाज नहीं है.

हरीश रावत खुद भी मुख्यमंत्री क चेहरा घोषित होना नहीं चाहते थे. वह सिर्फ़ कांग्रेस आलाकमान से आश्‍वासन लेने आए थे.
हरीश रावत को आश्‍वासन तो मिल गया लेकिन साथ ही राहुल गांधी ने उन्हें हिदायत भी दी. राहुल गांधी इस बात से नाराज़ थे कि हरीश रावत ने ट्विटर के माध्यम से अपनी बात रखी. कांग्रेस आलाकमान ने इस बार रावत को हिदायत दी है कि आगे से चुनाव यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि कांग्रेस एक साथ चुनाव नहीं लड़ रही है. इसीलिए राहुल गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ऑब्‍जर्वर नियुक्त किया है ताकि भविष्य में अगर उत्तराखंड कांग्रेस ने नेताओं के बीच कोई मनमुटाव होता है तो मामला गहलोत तक ही सुलझा लिया जाए.
इससे पहले हरीश रावत ने ट्वीट करके कहा था कि संगठन उनका साथ नहीं दे रहा है मन कर रहा है कि विश्राम कर लूं लेकिन मुझे उम्मीद है कि नए साल में बाबा केदारनाथ कोई हाल ज़रूर निकालेंगे. राहुल गांधी से बैठक के बाद हरीश रावत को नए साल का इंतज़ार नहीं करना पड़ा और उत्तराखंड कांग्रेस का समाधान फ़िलहाल के लिए निकाल दिया गया है. दरअसल हरीश रावत चाहते थे कि पांच से छह जिलाध्यक्ष को बदला जाए, उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए ,उनके ज़्यादातर समर्थकों को टिकट मिले और परिवार के कुछ सदस्यों को भी टिकट मिले लेकिन हरीश रावत की सबसे बड़ी समस्या यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनके मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस पार्टी महज़ 11 सीटों पर ही सिमट गई थी और रावत ख़ुद दो विधानसभा सीटों से चुनाव हार गए थे.
उत्तराखंड के प्रभारी देवेंद्र यादव से जब भी पूछा जाता है कि क्या कांग्रेस किसी चेहरे पर चुनाव लड़ने जा रही है. प्रभारी देवेंद्र यादव हमेशा कहते हैं कि, सामूहिक नेतृत्व पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. रावत ने बहुत इंतज़ार किया कि कभी तो वह दिन आएगा कि दिल्ली आलाकमान या फिर दिल्ली का नेतृत्व कर रहे प्रभारी देवेंद्र यादव कहेंगे कि हरीश रावत कांग्रेस का चेहरा होंगे लेकिन यह इंतज़ार लम्बा हो गया था. अब हरीश रावत आश्‍वासन और हिदायत के साथ ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, ऐसा दिल्ली आलाकमान को लग रहा है.
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