सम्पादकीय

Hardik Patel Resigned : हार्दिक पटेल ने क्यों कहा देश को 'चिकन सैंडविच' वालों से बचाओ

Rani Sahu
18 May 2022 12:31 PM GMT
Hardik Patel Resigned : हार्दिक पटेल ने क्यों कहा देश को चिकन सैंडविच वालों से बचाओ
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गुजरात विधान सभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) के ऐन पहले गुजरात कांग्रेस (Gujarat Congress) के प्रदेश अध्यक्ष हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने एक बम फोड़ दिया है

शंभूनाथ शुक्ल |

गुजरात विधान सभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) के ऐन पहले गुजरात कांग्रेस (Gujarat Congress) के प्रदेश अध्यक्ष हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने एक बम फोड़ दिया है. उन्होंने न सिर्फ़ अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया है बल्कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी है. उन्होंने आरोप लगाया है, कि दिल्ली के एक आला कांग्रेस नेता के लिए चिकन सैंडविच का इंतज़ाम करने के चक्कर में पार्टी का कार्यकर्ता घनचक्कर बन गया है.
पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा है, कि कांग्रेस नेताओं को पार्टी कार्यकर्त्ता की न तो भावनाओं का ख़्याल है न वे उनकी मांग को लेकर सड़क पर उतरते हैं. वे हर मुद्दे पर सिर्फ़ सत्तारूढ़ पार्टी का विरोध करते हैं. लेकिन पार्टी के लोगों से कभी नहीं पूछते कि आपका इस मामले में क्या कहना है. नतीजा यह है कि गुजरात में कांग्रेस का कार्यकर्त्ता दिल्ली की चिकन पार्टी से नाराज़ हो चला है.
हार्दिक से घबराई थी बीजेपी
वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का पुरज़ोर विरोध कर हार्दिक पटेल गुजरात की राजनीति में छा गए थे. दो साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था. हालांकि सरकार बनाने में वह सफल रही थी लेकिन उसे विधानसभा चुनाव जीतने में दांतों तले पसीना आ गया था. ऐसे हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने हाथों-हाथ लिया था. उन्हें कांग्रेस ने 2020 में प्रदेश इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था. अब जब विधान सभा चुनाव शायद नवम्बर या दिसम्बर में हो जाएं, हार्दिक पटेल के इस्तीफ़े ने पूरी पटकथा ही बदल दी है. कांग्रेस के पास इस समय 77 सीटें हैं. उसे 2022 के चुनाव में गुजरात से काफ़ी उम्मीदें थीं. ख़ुद बीजेपी भी घबड़ाई हुई थी, इसीलिए पिछले साल उसने वहां मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटा कर एक पटेल भूपेन्द्र भाई को इस पद पर बिठाया था. आम तौर पर बीजेपी कार्यकाल पूरा होने के पहले मुख्यमंत्रियों को नहीं हटाती. लेकिन पहले गुजरात में हटाया और फिर अभी पिछले दिनों त्रिपुरा में भी.
हार्दिक ने बीजेपी को पकड़ाई बटेर
ज़ाहिर है बीजेपी भी अब कांग्रेस की तरह मुख्यमंत्रियों को बदलने में संकोच नहीं करती. लेकिन गुजरात में तो बीजेपी के हाथ बैठे-बिठाए बटेर लग गई. हार्दिक पटेल का यूं पार्टी छोड़ जाना कांग्रेस को भारी पड़ जाएगा, और उतना ही भाजपा को लाभ पहुंचाएगा. हालांकि गुजरात में आम आदमी पार्टी को भी उम्मीदें हैं. पर हार्दिक पटेल ने जिस तरह से बीजेपी सरकार को घेरने की कांग्रेस की नीति की निंदा की है, उससे लगता है कि शायद हार्दिक पटेल देर-सबेर बीजेपी ज्वाइन कर लें. उन्होंने अपने इस्तीफ़े और सोनिया गांधी को लिखे पत्र की जानकारी अपने ट्वीट के ज़रिए दी है. सोनिया गांधी को उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया है, कि कांग्रेस देश हित और समाज के हितों के विरुद्ध काम कर रही है. इस देश हित का खुलासा करते हुए हार्दिक पटेल ने लिखा है, कि कांग्रेस पार्टी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न करती रही. इसके अतिरिक्त CAA-NRC के मुद्दे पर पार्टी का रवैया इन क़ानूनों के विरोध में था, जबकि ये देश-हित में ज़रूरी थे.
हार्दिक ने कहा, कांग्रेस देश हित की बात नहीं करती
हार्दिक पटेल ने कश्मीर से धारा 370 और 35A हटाए जाने के मामले में कांग्रेस के विरोधी रवैये को भी आड़े हाथों लिया और कहा, कि कांग्रेस को जनता के हितों की भी परवाह नहीं है. इसीलिए वह कश्मीर के संदर्भ में अलग लाइन पकड़े है. वह GST का विरोध करती है, जबकि पहले वह इसे लेकर अड़ी थी. इससे लगता है कि कांग्रेस हर उस कदम का विरोध करना चाहती है, जिससे गुजरात का भला हो, देश का भला हो अथवा पटेल समाज का हित हो. उसके पास देश और गुजरात के भले का अपना कोई रोड-मैप नहीं है. उन्होंने यह भी कहा, कि अक्सर कांग्रेस के बड़े नेता ज़मीन के आदमी की बात सुनने की बजाय अपने मोबाइल से खेलते रहते हैं. इससे पार्टी के कार्यकर्त्ता में हताशा आती है. लेकिन कांग्रेस को अपने कार्यकर्ता की बात समझने में कोई दिलचस्पी नहीं. ऐसी पार्टी से क्या उम्मीद की जाए.
चिकन सैंडविच कौन खाता है?
उन्होंने सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी पर ही हमला नहीं किया, बल्कि सीधे-सीधे राहुल गांधी पर हमला कर दिया. पसंदीदा चिकन सैंडविच खाने वाले और मोबाइल से खेलने वाले नेता की बात कर उन्होंने राहुल गांधी को ही घेरा है. उन्होंने अपने इस्तीफ़े में लिखा है कि आला नेता के आने पर कार्यकर्ता तो 5-600 किमी की दूरी तय कर नेता से अपनी बात कहना चाहता है परंतु नेता उसकी परवाह नहीं होती, उन्हें फ़िक्र अपने आला नेता के लिए चिकन सैंडविच का इंतज़ाम करने की है. इसका परिणाम यह है कि जब भी मैं गुजरात के युवाओं से मिलता हूं, वे एक ही बात पूछते हैं कि आप ऐसी पार्टी में क्यों हो, जिसके नेता गुजरातियों का अपमान ही करते हैं.
चाहे उद्योग के क्षेत्र में हो, धार्मिक क्षेत्र में हो अथवा राजनीति के क्षेत्र में. उन्होंने कहा है, कि कांग्रेस के बड़े नेता बिके हुए हैं. उनके पत्र की भाषा बताती है, कि राहुल गांधी से उन्हें कोई उम्मीद नहीं है और उन्हें इस बात का अनुमान है कि गुजरात में जनता की सहानुभूति बीजेपी के साथ है. इससे यह संकेत भी मिलता है कि संभवतः वे बीजेपी में चले जाएं. अब क़यास कुछ भी लगाए जाएं लेकिन इस युवा नेता ऐन चुनाव के पूर्व यह धमाका कर कांग्रेस को रक्षात्मक कर दिया है.
चिंतन शिविर का ग़ुब्बारा फूटा
मालूम हो कि अभी पिछले हफ़्ते ही उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था. उस शिविर में भविष्य में राहुल गांधी के नेतृत्त्व को लेकर किसी ने कोई सवाल नहीं किया. यहां तक कि वे नेता भी चुप रहे, जिन्हें G-23 कहा जाता था. एक तरह से ये नेता राहुल को नेता मान लेने में ना-नुकुर कर रहे थे. किंतु चिंतन-शिविर में राहुल समर्थक इतने आक्रामक थे कि वे नेता चुप साध गए. ऐसे में तीन दिन बाद ही हार्दिक पटेल के इस्तीफ़े से सब सन्न रह गए हैं. हो सकता है कि अभी कोई कुछ न बोले लेकिन बहुत दिनों तक कांग्रेस के अंदर के विरोध को दबाया नहीं जा सकेगा. हर निष्पक्ष चिंतक को लगा था, कि कांग्रेस के चिंतन शिविर में सिद्धांतों के नाम पर धोखाधड़ी हुई थी.
एक तरफ़ परिवार की राजनीति का विरोध और दूसरी तरफ़ राहुल और प्रियंका के लिए राजनीति के दरवाज़े खोलना, यह एक तरह से लाखों आम कार्यकर्त्ता की आंखों में धूल झोंकना था. क्योंकि कांग्रेस में जब परिवारवाद का आरोप लगाया जाता है तो इसी परिवार पर निशाना होता है. लेकिन गोल-गोल बातों से इस परिवार को बचा लिया गया. यह कह कर कि अगर किसी परिवार का सदस्य पांच वर्ष से राजनीति में है तो उसे यह छूट मिलेगी. साल पैदा होता है कि क्या राहुल गांधी को जब पहली बार लोकसभा का टिकट मिला था, तब क्या वे पांच साल से राजनीति में थे?
गणेश परिक्रमा से बाहर निकले कांग्रेस
कांग्रेस की दिक़्क़त यह है, कि 60 साल तक सत्ता की छत्र-छाया में पलते-पलते उसके नेतृत्त्व में विरोध की राजनीति का चातुर्य विलुप्त हो गया है. चूंकि वह 60 साल तक अनवरत नेहरू और उनके परिवार की गणेश परिक्रमा में ही अटका रहा, इसलिए उसको माइनस कर राजनीति में डटे रहने का गुर उसे नहीं पता. इसीलिए कभी वह हार्दिक पटेल को खोती है तो कभी पीढ़ियों से कांग्रेसी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को. राजनीति निरंतर अभ्यास का नाम है, उसमें बीच-बीच में ग़ायब हो जाने वाले को राजनीति झटका देती है. ऐसे में हार्दिक का बम कांग्रेस को बहुत भारी पड़ेगा.
Rani Sahu

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