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Written by जनसत्ता; अंतरराष्ट्रीय मंचों और व्यावहारिक अर्थों में किस कदर चीन का व्यवहार अलग होता है, यह किसी से छिपा नहीं है। इसका ताजा उदाहरण गुरुवार को इंडोनेशिया के बाली में चल रहे जी-बीस देशों की बैठक के दौरान देखने को मिला। वहां भारत और चीन के विदेशमंत्री अलग से मिले और उन्होंने अपने सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर बातचीत की। उस पर चीन ने जल्दी सभी लंबित मामलों को निपटा लेने का भरोसा दिलाया।
मगर अगले ही दिन खुलासा हुआ कि चीन की सेना किस तरह लद्दाख क्षेत्र में अपने सैन्य साजो-सामान जमा कर रही है। राडार पर यह भी दर्ज हुआ कि उसका एक लड़ाकू विमान भारतीय हवाई क्षेत्र के बहुत करीब से गुजरा। यह वही क्षेत्र है, जहां दो साल पहले दोनों देशों के सैनिक गुत्थमगुत्था हुए थे। इस पर स्वाभाविक ही भारतीय सेना ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है।
इसके अलावा यह भी कि जब हमारे प्रधानमंत्री ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के जन्मदिन पर शुभकामना देने पहुंचे तो उस पर भी चीन ने एतराज जताया। यह पहली बार नहीं है जब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तो सदाशयता दिखाते हुए भारत के साथ मधुर संबंध बनाने की इच्छा जाहिर करता है, पर असल में भारतीय जमीन पर कब्जा करने की अपनी नीति को विस्तार देता नजर आता है।
इस वक्त चीन की सेना पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सीमा के निकट एस-चार सौ रक्षा प्रणाली सहित अत्याधुनिक तकनीक वाले लड़ाकू जेट विमान और वायु रक्षा उपकरणों से जुड़े अभ्यास कर रही है। पहले वह वहां मिग श्रेणी के विमानों की तैनाती करता रहा है, मगर इस बार अधिक मारक क्षमता वाले लड़ाकू विमानों को तैनात किया गया है। बताया जा रहा है कि दो दर्जन से अधिक चीनी लड़ाकू विमान तैनात हैं। वह अपने दो हवाई क्षेत्रों होतान और गुंसा को अत्याधुनिक सैन्य साजो-सामान से लैस कर रहा है।
हालांकि पहले भी युद्धाभ्यास के नाम पर उसके सैनिक भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर डेरा डाल लेते रहे हैं और कड़ा एतराज जताने पर वापस लौट जाते रहे हैं। मगर पिछले दो सालों से जिस तरह वह भारतीय सीमा पर अपनी सशक्त मौजूदगी बनाता देखा जा रहा है, उसके इरादे साफ हैं। उसने लद्दाख क्षेत्र में सड़कों और पुलों का निर्माण और हवाई पट्टी को उन्नत बनाया है। जाहिर है, वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा कर वह भारत पर दबाव बनाना चाहता है।
लंबे समय से भारत उसकी आंखों में खटकता रहा है। अमेरिका से भारत की नजदीकी उसे रास नहीं आती और न उसे यह बर्दाश्त होता है कि भारत आर्थिक रूप से उन्नति कर रहा है। भारत की बढ़ती ताकत से अगर सबसे अधिक किसी को खतरा है, तो वह चीन को। उसने पहले ही भारतीय भूभाग के बड़े हिस्से पर अनधिकृत कब्जा कर रखा है, जिसे छोड़ने को आज तक तैयार नहीं हुआ। उसके बावजूद वह अरुणाचल और लद्दाख में अपनी उपस्थिति बढ़ा कर सामरिक रूप से भारत का भयादोहन करने की फिराक में रहता है।
इसी रणनीति के तहत उसने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल और श्रीलंका को उसने अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। मगर भारतीय सेना ने उसके मंसूबों पर सदा पानी फेरा है। लद्दाख क्षेत्र में तैनात भारतीय सेना ने उसकी हवाई ताकत बढ़ाने की रणनीति को रोक दिया। ताजा घटना पर सख्त एतराज जता कर उसने जाहिर कर दिया कि उसकी ऐसी हरकतें कतई बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।