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रूस के संसदीय चुनाव में बाजी फिर से व्लादीमीर पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी के हाथ में ही रही है
इसमें कोई शक नहीं है कि पुतिन अभी भी बाकी दलों और उनके नेताओं से ज्यादा लोकप्रिय हैं। मगर जिस एक बात ने ध्यान खींचा है वह है इस चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन में इजाफा। 2016 के चुनाव में इस पार्टी सिर्फ 13 फीसदी वोट मिले थे। इस बार ये समर्थन 24 फीसदी तक पहुंच गया। russia vladimirputins party won
रूस के संसदीय चुनाव में बाजी फिर से व्लादीमीर पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी के हाथ में ही रही है। हालांकि मतदान प्रतिशत इतना कम रहा और उसके पहले दूसरी पार्टियों की मुश्किल जिस तरह बढ़ाई गई, ये कहना कठिन है कि ये चुनाव नतीजे सचमुच रूस के जनमत की झलक देते हैँ। बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि पुतिन अभी भी बाकी दलों और उनके नेताओं से ज्यादा लोकप्रिय हैं। मगर जिस एक बात ने ध्यान खींचा है वह है इस चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन में इजाफा। 2016 के चुनाव में इस पार्टी सिर्फ 13 फीसदी वोट मिले थे। इस बार ये समर्थन 24 फीसदी तक पहुंच गया। चुनाव के दौरान ही हुए एक जनमत सर्वेक्षण में 49 फीसदी लोगों ने यह कहा कि वे सोवियत व्यवस्था को वापस लाना चाहते हैं।
पश्चिम ढंग के लोकतंत्र के मुरीदों की संख्या महज 16 फीसदी रही। उससे दो फीसदी ज्यादा यानी 18 प्रतिशत लोगों ने रूस की मौजूदा व्यवस्था का समर्थन किया। अब ये गौर करने की बात है आखिर जिस रूस के लोगों ने 30 साल पहले कम्युनिस्ट शासन को उखाड़ फेंका था, उन्हें अब उसी का अतीत मोह क्यों सतान लगा है? बहरहाल, पुतिन की चिंता इस बात से जरूर बढ़ेगी कि इस बार उनकी पार्टी को लगभग 42 प्रतिशत वोट मिले हैं। 2016 में हुए ड्यूमा (रूसी संसद) के चुनाव में यूनाइटेड उसे 54 फीसदी से कुछ ज्यादा वोट मिले थे। ये हाल तब है जब पुतिन के कई प्रमुख विरोधियों को चुनाव नहीं लड़ने दिया गया। 17 से 19 सितंबर तक चले मतदान में बडे पैमाने पर चुनावी धांधली की शिकायतें भी मिलीं। चुनाव आयोग ने इनमें से कुछ को जांच कराने के लिए स्वीकार किया। यानी एक तरह से उसने पुतिन के पक्ष में फैसले लिए।
इसके बावजूद यूनाइटेड रशिया पार्टी के वोट में लगभग 12 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह एक महत्त्वपूर्ण संकेत है। बहरहाल, जो मतदाता वोट डालने आए, उनके बीच पुतिन विरोधी नेता अलेक्सी नवालनी की 'स्मार्ट वोटिंग' की रणनीति ज्यादा कारगर नहीं रही। नवालनी इसके तहत आह्वान किया था कि पुतिन विरोधी मतदाता अपने क्षेत्र में उस पार्टी को वोट दें, जो यूनाइटेड रशिया को टक्कर देती दिखे। दरअसल हुआ यह कि पुतिन विरोधी मतदाता बड़ी संख्या में उदासीन बने रहे। वो वोट डालने ही नहीं पहुंचे।
क्रेडिट बाय नया इंडिया

Gulabi
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