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- लड़कियों की लिए...
इंस्टाग्राम पर 23 फीसदी, व्हाट्सऐप पर 14 फीसदी, स्नैपचैट पर 10 फीसदी, ट्विटर पर 9 फीसदी और टिक टॉक पर 6 प्रतिशत महिलाओं ने दुर्व्यवहार या उत्पीड़न का अनुभव किया। अध्ययन में पाया गया कि इस तरह के हमलों के कारण हर पांच लड़कियों में से एक ने सोशल मीडिया साइट का इस्तेमाल या तो बंद कर दिया या फिर सीमित कर दिया। सोशल मीडिया पर निशाने पर आने के बाद हर दस लड़कियों में से एक ने सोशल मीडिया पर अपने आपको जाहिर करने के तरीके में बदलाव कर लिया। सर्वे में शामिल 22 फीसदी लड़कियों ने कहा कि वे या फिर उनकी दोस्तों को शारीरिक हमले का भय था। सर्वे में शामिल लड़कियों ने बताया कि सोशल मीडिया पर हमले के सबसे सामान्य तरीके में अपमानजनक भाषा और गाली शामिल है। 41 फीसदी लड़कियों ने कहा कि बॉडी शेमिंग और यौन हिंसा की धमकियां उन्हें झेलनी पड़ीं। सामने आया कि अल्पसंख्यकों पर जुबानी हमले, नस्लीय दुर्व्यवहार और एलजीबीटी समुदाय से जुड़ी लड़कियों का उत्पीड़न बहुत आम है। जानकारों के मुताबिक इस तरह के हमले शारीरिक नहीं होते हैं, लेकिन वे अक्सर लड़कियों की अभिव्यक्ति की आजादी के लिए खतरा होते हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम का कहना है कि वे दुर्व्यवहार से जुड़ी रिपोर्ट की निगरानी करते हैं। परेशान करने वाली सामग्री की पहचान कर कार्रवाई करते हैं। ट्विटर का भी कहना है कि वह ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करता है, जो अपमानजनक सामग्री की पहचान कर सके और उसे रोक सके। लेकिन यह साफ है कि ये दावे खोखले हैं। इन कंपनियों के उपाय अप्रभावी हैं।