सम्पादकीय

हैपी न्यू ईयर

Rani Sahu
2 Jan 2022 5:18 PM GMT
हैपी न्यू ईयर
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पिछले दो वर्षों से जिस कोरोना वायरस ने मनुष्य समाज पर अपना काला साया डाल रखा है

पिछले दो वर्षों से जिस कोरोना वायरस ने मनुष्य समाज पर अपना काला साया डाल रखा है, उससे मुक्त होने की लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। साल 2021 में खासकर वैक्सीन आने के बाद माना जाने लगा कि अब हमारा हर कदम कोरोना महामारी से बाहर निकलने वाला होगा और हम सदियों में एक बार आने वाली ऐसी आपदा से जीत जाएंगे। मगर साल के आखिर तक आते-आते वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने एक बार फिर सबको सकते में डाल दिया। फिर से तमाम देश इंटरनैशनल फ्लाइट्स पर पाबंदियां लगाने लगे। भारत में भी अब तक 23 राज्यों में ओमीक्रोन के मामले पाए जा चुके हैं। वित्तीय राजधानी मुंबई सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में है। राजधानी दिल्ली उससे कुछ ही पीछे दूसरे नंबर पर है। मुंबई में जहां 15 जनवरी तक के लिए धारा 144 लागू कर दी गई है, वहीं दिल्ली में भी नाइट कर्फ्यू और मेट्रो-बसों में 50 फीसदी यात्री क्षमता की इजाजत जैसी पाबंदियां लगाई जा चुकी हैं। इसलिए आज यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या साल 2022 में हम एक बार फिर लॉकडाउन जैसी त्रासद स्थिति का गवाह बनेंगे? क्या एक बार फिर हमारे अस्पताल भरे हुए दिखने लगेंगे?

निश्चित रूप से नए साल के मौके पर ऐसी कल्पना सुखकर नहीं है। लेकिन मौका कोई भी हो, सचाई से आंखें मूंद लेना समझदारी नहीं कही जाती। वैसे हकीकत अगर यह है कि दुनिया कोरोना के खिलाफ अपनी जंग अभी जीत नहीं पाई है तो यह भी है कि हमने उसका मुकाबला बेहतरीन ढंग से किया है। वायरस बार-बार रूप बदल रहा है तो हम भी उससे निपटने के नए-नए तरीके खोज और अपना रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ ने यह उम्मीद जाहिर की है कि संभवत: साल 2022 कोरोना के तीक्ष्ण दौर का अंत साबित होगा। यहां यह भी दोहराने की जरूरत है कि वायरस के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए हमें इकॉनमिक रिकवरी का भी ध्यान रखना होगा ताकि एक मोर्चे पर आगे बढ़ते हुए हम दूसरे अहम मोर्चे पर पीछे न रह जाएं। एक राष्ट्र के रूप में भी हमें ऐसी ही दोतरफा नीति अपनाते हुए आगे बढ़ना है।
इसी भावना के तहत चुनाव आयोग ने पांच राज्यों- यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर- के विधानसभा चुनाव समय पर करवाने का फैसला किया। इसी साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों की जीत-हार देश के राजनीतिक समीकरणों को तो प्रभावित करेगी, लेकिन बड़ी बात यह है कि इससे देश का लोकतांत्रिक जज्बा दिखेगा। हम खुद को और पूरी दुनिया को बताएंगे कि उथल-पुथल चाहे जैसी भी आए, उनसे न तो हमारा चरित्र बदलेगा और ना ही निरंतर आगे बढ़ने का संकल्प कमजोर पड़ेगा। अपने इसी संकल्प और स्पिरिट के साथ हम बाहें खोलकर, पूरे दिल से नए साल का स्वागत करते हैं।

नवभारत टाइम्स

Rani Sahu

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