सम्पादकीय

Happy Independence Day: आम भारतीयों की मेहनत का प्रतीक है 75वां स्वतंत्रता दिवस

Rani Sahu
15 Aug 2022 2:17 PM GMT
Happy Independence Day: आम भारतीयों की मेहनत का प्रतीक है 75वां स्वतंत्रता दिवस
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आम भारतीयों की मेहनत का प्रतीक है 75वां स्वतंत्रता दिवस
By प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल
14-15 अगस्त की मध्य रात्रि में संसद में घोषणा हुई और प्रात: 8.30 बजे लाल किले पर तिरंगा फहराया गया और मान लिया गया कि अब भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को होगा। वस्तुत: भारत के स्वतंत्रता दिवस के पहले ही 1946 में सम्मिलित सरकार बन गई थी और एक तरह से देश पहले ही आजाद हो गया था। इस पर यह तर्क दिया जा सकता है कि जब तक वायसराय थे, तब तक भारत आजाद कैसे माना जाता। लेकिन वास्तविक आजादी का दिन दुनिया में कहीं भी उसी दिन नहीं है जिस दिन उस देश की आजादी हुई।
अमेरिका का राष्ट्रीय दिवस 4 जनवरी है और उसी दिन राष्ट्रपति का चुनाव वहां होता है। लेकिन वास्तव में 4 जनवरी को अमेरिका में कुछ विशेष नहीं हुआ था, बस इतना ही था कि जॉर्ज वाशिंगटन वहां पहले राष्ट्रपति चुने गए थे। अमेरिका का संविधान पहले बन गया था, चुनाव पहले हो गए थे केवल 4 जनवरी के दिन जॉर्ज वाशिंगटन ने शपथ ली थी लेकिन अमेरिकी लोगों ने मान लिया था कि इस दिन को हम अपनी आजादी का दिन मनाएंगे।
आजादी का दिन हमने भी यह मान लिया कि 14-15 अगस्त 1947 की रात को यूनियन जैक उतार कर हम वास्तविक रूप से आजाद हुए और उस जज्बे के साथ बहुत दिनों तक काम भी हुआ पर बीच में 75 वर्षों में वह आजादी की कहानियां गायब हो गईं। फिर से उस आजादी की याद उन युवाओं को आ जाए जो 15 वर्ष से लेकर 25 वर्षों के बीच हैं, उनके लिए 75वें वर्ष को एक अवसर के रूप में चुना गया है।
यह कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है अपितु यह संपूर्ण देश के जनमानस का कार्यक्रम है। सरकार ने भारतीय जनता से इस दिन को अमृत पर्व के रूप में मनाने की अपील की है इसलिए यह सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं है। सरकार हमारी है और हमारे लिए है इस लिए सरकार भी अमृत पर्व के आयोजन में सम्मिलित है। लेकिन यह कार्यक्रम भारत के लोगों का है अर्थात बिना भाषा भेद के, बिना जातिभेद के, बिना रंगभेद के, बिना उपासना पद्धति के सबका कार्यक्रम है।
हर घर तिरंगा का तात्पर्य क्या है? क्या एक दिन राष्ट्रध्वज फहरा देने से हमारे मन में राष्ट्रभक्ति आ जाएगी? सब जानते हैं ऐसा नहीं होता फिर भी मनुष्य खुशियों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करता है। इस कार्यक्रम के लिए राष्ट्र के स्तर पर भी वैसा ही होना चाहिए और हो रहा है। यह स्वतंत्र भारत राष्ट्र का जन्मदिन तो नहीं है परंतु एक हजार वर्ष से लगातार आक्रमण के कारण भारत ने लंबी गुलामी सही है।
शासक बदलते रहे लेकिन गुलामी बदस्तूर जारी रही, उस पूरे संघर्ष के बाद भारत के लोगों को अपना शासन मिला, हमने अपना संविधान बनाया, अपने ढंग से निर्णय करना प्रारंभ किया और 75वें वर्ष में देश इस स्थिति में जरूर पहुंचा है कि हम दुनिया की बड़ी-बड़ी जो महाशक्तियां हैं उनको आज आंख दिखा सकने की स्थिति में हैं, कंधे से कंधा मिलाकर चल सकने की स्थिति में हैं।
75वें वर्ष में यह स्थिति जरूर पहुंची है कि भारत के नागरिक जो दुनिया के विभिन्न देशों में गए, कुछ आजादी के पहले गए कुछ आजादी के बाद गए लेकिन तमाम देशों में उन्होंने नेतृत्व की भूमिका निभाई। अब यह अलग बात है कि भारतवंशी ऋषि सुनक ब्रिटेन देश में प्रधानमंत्री होंगे या नहीं, भारतीय मूल के एक व्यक्ति को ब्रिटेन में प्रधानमंत्री होने की स्थिति उत्पन्न होती है, यह सामान्य बात नहीं है। यह सिर्फ ब्रिटेन में ही तो नहीं हुआ।
अमेरिका में भारतीय मूल की महिला उपराष्ट्रपति हैं और भारतीय मूल के लोग यहां बड़ी संख्या में प्रभावशाली पदों पर हैं। ढेरों देश हैं जहां राष्ट्राध्यक्ष वे भारतीय हुए जो भरत से गिरमिटिया मजदूर के रूप में वहां गए थे। जब हम भारत की आजादी की बात कर रहे हैं तो हम उनसे भी अपने को जोड़ रहे हैं। भारत का स्वतंत्र नागरिक होने के नाते यह आनंद मनाने का अवसर तो है लेकिन गांधी की इस बात को ध्यान रखना है कि 15 अगस्त 1947 को पूरा भारत नहीं आजाद नहीं हो पाया था।
यह भी जानने की जरूरत है जो आज का तेलंगाना है, उस समय की हैदराबाद रियासत थी। वह उसके ढाई महीने बाद आजाद हुआ और गोवा 1960 में, पांडिचेरी 1959 में, पांडिचेरी के साथ ही दमन और दीव भी आ जाते हैं। पूरा भारत एक ही दिन में नहीं आजाद हुआ। यानी 15 अगस्त 1947 के बाद भी आजादी की लड़ाई बंद नहीं हुई। हम लोगों को लगता है कि 1947 के बाद भारत में आजादी की लड़ाई नहीं चल रही थी।
भारत में आजादी की लड़ाई 1960 तक चलती रही इसलिए 15 अगस्त 1947 को भारत के लोगों ने स्वीकार कर लिया कि इस दिन बड़ा हिस्सा आजाद भी हो गया लेकिन आजादी को लड़ाई तो 1944-1945 तक आते-आते पूरी तरह से खत्म हो गई थी और उसके बाद आजादी की तैयारियां चल रही थीं, बातचीत चल रही थी, भारत को तोड़ा कैसे जाएगा, इसकी भी योजनाएं बन रही थीं।
भारत को जोड़ा कैसे जाएगा, इसके यत्न हो रहे थे और 15 अगस्त 1947 के बाद भी ये सब चलता रहा। भारत को बहुत सी असफलताएं और बहुत सारी सफलताएं भी मिलीं। इन सबके बीच यह देश 75 वर्ष में इस स्थिति में पहुंचा है कि हम जिसके गुलाम थे आज हम उनको केवल आंख में आंख डालकर उनसे बात नहीं करते हैं अपितु दबाव में भी ले आ सकते हैं तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है तो इसको हमको गर्व से मनाना चाहिए।
इसको दूसरे ढंग से समझिए तब बात समझ में आएगी क्योंकि आज से 10 वर्ष पहले तक थोड़े भारतीय जिन्हें यूएसए या कनाडा में बहुत ही हीनभावना से देखा जाता था आज दुनिया की जितनी बड़ी कंपनियां हैं, जिनका ग्लोबल इंपैक्ट है उन सबको चलाने वाले सीईओ भरतीय हैं। यह संयोग है कि दुनिया की 15 सबसे बड़ी कंपनियों में उनके 9 सीईओ भारतीय हैं।
यह भारतवासियों ने अपने श्रम से अर्जित किया है। उनको भी आजाद भारत देख करके प्रसन्नता होती है, उनको भी गौरवशाली भारत देखकर प्रसन्नता होती है। इन सबका विचार करते हुए आजादी के 75वें वर्ष में नए भारत, वैश्विक प्रभाव वाले भारत के निर्माण का संकल्प लेने का यह पावन पर्व है।
Rani Sahu

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