सम्पादकीय

सही नब्ज पर हाथ

Subhi
1 April 2021 1:34 AM GMT
सही नब्ज पर हाथ
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन से पेश आ रही चुनौती के कारणों का एक सही निदान किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन से पेश आ रही चुनौती के कारणों का एक सही निदान किया है। पिछले दिनों उन्होंने चीन का मुकाबला करने के लिए अपनी जो त्रि-सूत्री नीति घोषित की, उसका पहला सूत्र बताता है कि समस्या चीन नहीं, बल्कि अमेरिका की अपनी कमजोरी है। ये बात यह है कि अमेरिका ने अपने श्रमिकों और विज्ञान में पर्याप्त निवेश करना छोड़ दिया। बाइडेन की ये टिप्पणी गौरतलब है- 'भविष्य इस पर निर्भर करता है कि टेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग और मेडिकल क्षेत्र सहित बहुत से मामलों में कौन आगे रहता है। इसलिए भविष्य के उद्योगों, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और बायो-टेक में निवेश बढ़ाना होगा।' बाइडेन ने कहा कि चीन अपनी भविष्य की योजना के तहत अमेरिका की तुलना में बहुत ज्यादा निवश कर रहा है। अब अमेरिका भी वास्तविक निवेश करेगा। ये बात अहम इसलिए है कि चीन की असली ताकत सैनिक नहीं है। आज भी इस मामले में अमेरिका से उसका कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन उसने जो आर्थिक, तकनीकी और मानव विकास संबंधी तरक्की की है, उसमें अमेरिका उससे पिछड़ता दिख रहा है।

बहरहाल, बाइडेन की रणनीति का दूसरा सूत्र अपने सहयोगी देशों के साथ फिर से गठबंधन कायम करना है। इसके लिए बाइडेन ने वॉशिंगटन में 'एलायंस ऑफ डेमोक्रेसीज' (लोकतांत्रिक देशों के गठबंधन) की बैठक आयोजित करने की योजना बनाई है। इसमें बुलाए गए देश 'नियमों के पालन के मामले में चीन को उत्तरदायी बनाने' के उपायों और भविष्य की रणनीति के बारे में चर्चा करेंगे। बाइडेन का तीसरा सूत्र वह है, जिससे फिलहाल दोनों पक्षों में टकराव खड़े हो रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि उनका देश अब 'अमेरिकी उसूलों' के पक्ष में खड़ा होगा। इसके तहत चीन में मानवाधिकारों के हनन का मसला उठाया जाएगा। मगर मुद्दा यही है कि अमेरिका ऐसा कारगर ढंग से तभी कर पाएगा, जब पहले उसकी अपनी व्यवस्था दोषमुक्त होगी। खुद बाइडेन मान चुके हैं कि फिलहाल ऐसा नहीं है। असल बात यह है कि कोरोना महामारी के कारण पश्चिमी देशों में मची तबाही के कारण चीन लगातार अपनी व्यवस्था के बेहतर होने का दावा कर रहा है। चीन में महामारी पर जल्द काबू पा लेने और उसके बाद अर्थव्यवस्था को सुधार लेने को उसने अपनी व्यवस्था की श्रेष्ठता के रूप में पेश किया है। अब साफ है कि राष्ट्रपति बाइडेन ने इस दावे की गंभीरता को समझा है।


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