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- गुड़गांव हादसाः ताश के...
गुड़गांव की शिंटेल पैराडिसो सोसाइटी में हुए दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के मद्देनजर हरियाणा सरकार ने अब आदेश दिया है कि उन सभी इमारतों की सुरक्षा जांच कराई जाए, जिनके स्ट्रक्चर को लेकर शिकायतें हैं। कहा गया है कि संबंधित रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशंस और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट (डीटीसीपी) के जरिए ऐसी इमारतों की पहचान कराई जाएगी और फिर उनका स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाएगा। यह कदम अपरिहार्य हो गया था। इसके जरिए सरकार ने अपने न्यूनतम दायित्वों को पूरा करने की दिशा में एक जरूरी पहल की है। जिस तरह से गुड़गांव की उस सोसाइटी की बिल्डिंग में छठी मंजिल से लेकर पहली मंजिल तक की छतें ढहती चली गईं, वह हैरतनाक थी। इस घटना से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित परिवारों की तो बुरी हालत है ही, इस सोसाइटी में रहने वालों के लिए अपने घरों में चैन की नींद सोना मुश्किल हो गया है। चूंकि कई अन्य टावरों में भी बिल्डिंग की कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी को लेकर शिकायतों की बात कही जा रही है, इसलिए स्वाभाविक ही सबके मन में आशंकाएं घर कर गई हैं।
ध्यान रहे, यह दूरदराज के इलाके में किसी नामालूम से कंस्ट्रक्शन का मामला नहीं है। यह मिलेनियम सिटी के रूप में जाने जाने वाले देश के एक प्रमुख शहर की एक पॉश सोसाइटी का मामला है, जिसके एक-एक फ्लैट की कीमत करोड़ों में बताई जाती है। ऐसी सोसाइटी की कोई बिल्डिंग अचानक इस तरह ढहती चली जाए तो न केवल संबंधित बिल्डर पर बल्कि बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन की क्वॉलिटी पर नजर रखने वाले पूरे तंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो जाते हैं। बिल्डरों द्वारा लोकल अथॉरिटीज की मिलीभगत से नियम-कानून व प्रक्रियाओं के साथ छेड़छाड़ की शिकायतें आम रही हैं। ऐसे में बरसों तक चलने वाली ईएमआई का बोझ उठाकर इन हाउसिंग सोसाइटी में अपने लिए एक घर बुक करने की हसरत पालने वाली बड़ी आबादी के मन में भी यह सवाल खड़ा हो गया है कि वह किस भरोसे पर ऐसा करे। ऐसे सभी लोगों की नजरें गुड़गांव के इस मामले पर टिकी हुई हैं।
राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि न केवल इस घटना से प्रभावित सभी लोगों को तत्काल राहत देने का इंतजाम करे बल्कि उस दायरे में आने वाली सभी बिल्डिंगों की अच्छी तरह से जांच करवाकर और जहां जरूरत हो वहां मरम्मत और पुनर्निर्माण करवा कर रहने वालों की दुश्चिंताएं दूर करे। इसके साथ ही इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कराने के लिए ऐसी एक उच्चस्तरीय और विश्वसनीय जांच तत्काल शुरू होनी चाहिए जिसके दायरे में संबंधित विभागों के अधिकारी भी हों। सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही के बगैर ऐसी नौबत नहीं आ सकती। इस घटना को एक मिसाल बनाकर ही हम आगे के लिए सबक ले सकते हैं और अपने देश में शहरी विकास की प्रक्रिया को विश्वसनीय ढंग से आगे बढ़ा सकते हैं।
नवभारत टाइम्स