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यह जब किसी भी रूप में जिंदगी में उतरता है
पं. विजयशंकर मेहता। गम की कई शक्लें होती हैंं। यह जब किसी भी रूप में जिंदगी में उतरता है तो पूरा माहौल भारी हो जाता है। फिर, जो हमें सबसे ज्यादा नापसंद होता है, उसी का नाम सबसे अधिक जुबां पर आने लगता है। जैसे इस समय ओमिक्रॉन को कोई पसंद नहीं करेगा, परंतु लगभग हम सभी दिनभर में कई बार उसका नाम ले ही लेते हैं। ऐसे में खुशी के रास्ते हमें ही निकालना पड़ेंगे। जीवन में खुशी भी दो तरह से आती है।
एक उतरती है कागज पर, दूसरी दिल में। हमारी प्रोफाइल, मार्कशीट, कोई प्रशस्ति-पत्र या बैंक की बैलेंस शीट ये सब कागज के रास्ते उतरने वाली खुशियां हैं, लेकिन असली खुशी वह है जो दिल में उतरी रहती है। तो खुशी के लिए कोई तर्क न ढूंढें, उसके पीछे कोई कारण न खोजें। वह तो हमारा मूल स्वभाव है, पर लोगों ने खुशी को भी आंकड़ा बना लिया है और कागज पर उससे खेलते हैं। आंकड़े तो बदलते रहते हैं।
ये किसी के सगे नहीं होते। एकदम प्रोफेशनल। किसी के भी साथ खड़े हो जाते हैं, कोई भी इनमें तोड़-मरोड़ कर सकता है। लेकिन, खुशी हमारी सगी होती है। हमारी रग-रग में बसी है, फिर भी हम इसे बाहर ढूंढ रहे हैं। जो जीवन का सत्य है, उसे समीकरण से पाने की कोशिश न करें। जब आसपास का माहौल बोझिल हो, स्थितियां भयभीत करने लगें, तो खुशी अपने आप में एक दवा है। इसे भी लेते रहिए।
Rani Sahu
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