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आदित्य चोपड़ा | वस्तु व सेवा कर परिषद (जीएसटी कौंसिल) ने कोरोना संक्रमण से लड़ने वाली दवाओं व चिकित्सा उपकरणों पर उत्पाद शुल्क कम करने का जो फैसला किया है उसका सशर्त समर्थन इसलिए किया जाना चाहिए आगामी अक्तूबर महीने में कोरोना की संभावित तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए कौंसिल इस कमी में और ज्यादा कमी करने के विकल्प खुले रखे। कौंसिल ने छह महीने से भी ज्यादा समय बाद विगत 28 मई को अपनी बैठक बुला कर कोरोना के उपचार में काम आने वाली दवाओं व उपकरणों पर चालू उत्पाद शुल्क दरों में परिवर्तन करने के लिए मेघालय के मुख्यमन्त्री श्री कोनार्ड संगमा के नेतृत्व में राज्यों के वित्त मन्त्रियों का एक सात सदस्यीय मन्त्रिमंडलीय समूह गठित किया था जिसने अपनी रिपोर्ट विगत 7 जून को वित्त मन्त्री निर्मला सीतारमन को कौंसिल की अध्यक्ष होने के नाते पेश कर दी थी। इस समूह ने जो भी सिफारिशें कीं उन्हें आंख मीच कर परिषद की कल हुई बैठक में स्वीकार कर लिया गया। बैठक में कांग्रेस व अन्य विराेधी दलों द्वारा शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने इसका विरोध इसलिए किया क्योंकि वे सभी प्रकार की दवाओं व उपकरणों पर उत्पाद शुल्क पूरी तरह समाप्त किये जाने या इसे नाम मात्र का .1 प्रतिशत किये जाने की मांग कर रहे थे। उनकी यह मांग भी थी कि कोरोना वैक्सीन को पूरी तरह शुल्क मुक्त किया जाये।