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- संसाधनों पर बोझ बनती...
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां प्रत्येक नागरिक को अपने व्यक्तिगत जीवन के विषय में निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है। यह स्वतंत्रता हमें अपने संविधान से मिली हुई है, परंतु बात जब हमारे देश या धरती की, प्राकृतिक संसाधनों या सतत विकास की हो तब हम सभी का दायित्व बनता है कि उस पर मिलकर चिंतन किया जाए। आज सभी को मिलकर सोचना होगा कि बढ़ती जनसंख्या को किस प्रकार से नियंत्रित किया जाए? वैश्विक स्तर पर दिन-प्रतिदिन बढ़ती आबादी के कारण प्राकृतिक संसाधनों की पूर्ति करना अब संभव नहीं दिख रहा है। वर्तमान में धरती के पास जो संसाधन हैं हम उनका तेजी से उपभोग कर रहे हैं। जनसंख्या की लगातार वृद्धि के लिए जो विकास किया जा रहा है उससे प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंच रहा है तथा उनकी खपत भी तीव्रता से बढ़ रही है। वहीं दूसरी ओर हमारे विकास के लक्ष्य भी कहीं न कहीं बेअसर हो रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने तथा उन्हें लंबे समय तक टिकाऊ रूप से बनाए रखने के लिए जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि पर अंकुश लगाना ही होगा।