सम्पादकीय

बढ़ता खतरा

Subhi
15 July 2021 4:01 AM GMT
बढ़ता खतरा
x
पिछले कुछ दिनों में सार्वजनिक स्थलों तक पर बढ़ती भीड़ ने सरकारों की नींद उड़ा दी है। चिंता इस बात की है कि महामारी फिर न फैल जाए।

पिछले कुछ दिनों में सार्वजनिक स्थलों तक पर बढ़ती भीड़ ने सरकारों की नींद उड़ा दी है। चिंता इस बात की है कि महामारी फिर न फैल जाए। वैसे भी दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है। बस फर्क इतना आया है कि प्रतिदिन संक्रमितों और मरने वालों की संख्या कम भर पड़ी है। कुछ दिनों से कम होते मामलों का यह मतलब कतई नहीं है कि अब महामारी खत्म हो गई है। बल्कि हकीकत तो यह है कि हालात अभी भी गंभीर हैं। देशभर में संक्रमण के कुल मामलों में पचास फीसद तो केरल और महाराष्ट्र से ही हैं। चौहत्तर फीसद देश के दस राज्यों से हैं जिनमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओड़िशा शामिल हैं। सबसे खराब हालत पूर्वोत्तर राज्यों की है, जहां संक्रमण घटाव पर नहीं, बढ़त पर है। देश के जिन अस्सी जिलों में संक्रमण दर दस फीसद से ऊपर बनी हुई है उनमें आधे से ज्यादा जिले तो पूर्वोत्तर राज्यों के ही हैं। ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि अब देश से महामारी जाने को है और कोई खतरा नहीं रह गया है।

हालांकि इस खतरे को भांपते हुए ही केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को फिर चेतावनी जारी कर दी है। इस चेतावनी में राज्य सरकारों से कहा है कि वे भीड़ जमा होने से रोकें। और हमेशा की तरह यह भी कहा है कि महामारी से बचाव के लिए बने उपाय भी लागू हों। इनमें मास्क लगाने और सुरक्षित दूरी का पालन करवाने की बात भी दोहरायी गई है। साथ ही लोगों की जांच, संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाना, इलाज और टीकाकरण में किसी तरह की ढील नहीं देने को कहा गया है। गौरतलब है कि मंगलवार को प्रधानमंत्री ने भी पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत में तीसरी लहर को लेकर चेताया था। सच्चाई तो यह है कि जहां-जहां भी हर स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है, संक्रमण के मामले उन्हीं जगहों से ज्यादा आ रहे हैं। दूसरी लहर के मामले कम पड़ने के बाद ज्यादातर सरकारों ने प्रतिबंधों में ढील दे दी थी। इसके पीछे मकसद यही था कि कारोबारी गतिविधियां शुरू हो सकें। लेकिन रियायत का लोगों ने बेजा फायदा उठाना शुरू कर दिया और मनमानी करने लगे

दूसरी लहर कम पड़ने के बाद भी अगर पूर्वोत्तर राज्यों, महाराष्ट्र और केरल में मामले बढ़ रहे हैं तो यह बड़े खतरे का संकेत है। तीसरी लहर सामने है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी डेल्टा और डेल्टा प्लस रूप के खतरे को लेकर चेता रहा है। इस हकीकत पर भी गौर किया जाना चाहिए कि इस वक्त एक सौ चार देश डेल्टा की चपेट में हैं। भारत में दूसरी लहर का कारण भी इसे ही माना गया था। चिंता इसलिए और बढ़ जाती है कि कुछ दक्षिणी राज्यों में डेल्टा प्लस के मामले भी मिल चुके हैं। अगर ब्रिटेन, रूस, इंडोनेशिया जैसे देशों पर गौर करें तो इन देशों में प्रतिबंधों में ढील के बाद लोग एकदम बेपरवाह हो गए थे। इसका नतीजा फिर से संक्रमण फैलने के रूप में देखने को मिला। इसलिए सवाल है कि हम ऐसी नौबत ही क्यों आने दें। अभी खतरा इसलिए भी ज्यादा है कि अपने देश में बड़ी आबादी को टीका नहीं लगा है। टीकाकरण की मंद रफ्तार के लिए तो सरकारों को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं, पर भीड़ बढ़ने से महामारी फैली तो इसके लिए दोषी कौन होगा?


Next Story