सम्पादकीय

बढ़ता खतरा

Subhi
15 Jun 2022 3:55 AM GMT
बढ़ता खतरा
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कुछ देशों के पास परमाणु हथियारों के बढ़ते जखीरे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर यह होड़ कैसे और कब थमेगी? हालांकि व्यावहारिक तौर पर इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं होगा

Written by जनसत्ता; कुछ देशों के पास परमाणु हथियारों के बढ़ते जखीरे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर यह होड़ कैसे और कब थमेगी? हालांकि व्यावहारिक तौर पर इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं होगा, क्योंकि परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र अब इस दिशा में जितना आगे निकल चुके हैं, वहां से लौटना मुमकिन है नहीं। जाहिर है, यह खतरा और बढ़ेगा ही। गौरतलब है कि 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा कर अमेरिका ने दुनिया को इसकी विनाशकारी शक्ति दिखा दी थी।

आज तो हाइड्रोजन बम, न्यूट्रान बम और न जाने कितने खतरनाक बम तैयार हो गए हैं जो चंद मिनटों में दुनिया की बड़ी आबादी को भाप में तब्दील कर सकते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि आज कुछ देशों के पास कुल मिला कर जितने परमाणु हथियार हैं, वे एक नहीं कई बार धरती को नष्ट कर सकते हैं।

परमाणु हथियारों को लेकर ताजा चिंता इसलिए पैदा हुई है कि शीत युद्ध के बाद पहली बार वैश्विक स्तर पर ऐसे हथियारों का जखीरा बढ़ने का दावा किया जा रहा है। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अपनी सालाना रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगले एक दशक में परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने हथियारों की संख्या बढ़ा सकते हैं। दरअसल, आज जिस तरह वैश्विक तनाव बढ़ता जा रहा है, उससे यह खतरा स्वाभाविक ही है कि कहीं कोई देश परमाणु हथियार का इस्तेमाल न कर बैठे। रूस-यूक्रेन युद्ध हम देख ही रहे हैं।

रूस खुलेआम अमेरिका और पश्चिमी देशों को धमकी दे चुका है कि अगर वे यूक्रेन के साथ आए तो वह परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से हिचकिचाएगा नहीं। निश्चित रूप से रूस की यह धमकी बेवजह नहीं रही होगी। आज भी दुनिया में मौजूद कुल परमाणु हथियारों में नब्बे फीसद परमाणु हथियार तो सिर्फ रूस और अमेरिका के पास ही हैं। मोटा अनुमान है कि रूस के पास पांच हजार नौ सौ सतहत्तर और अमेरिका के पास पांच हजार चार सौ अट्ठाईस परमाणु हथियार हैं। चीन भी अपने परमाणु हथियारों की तादाद बढ़ा रहा है। फ्रांस और ब्रिटेन के पास भी ऐसे हथियार कम नहीं हैं। भारत और पाकिस्तान के अलावा इजराइल भी परमाणु हथियार संपन्न देशों की कतार में आ चुका है। और अब सबसे बड़ा खतरा उत्तर कोरिया से खड़ा हो गया है जिसने पिछले कुछ सालों में लगातार परीक्षण करते हुए अपने को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र घोषित कर डाला।

अब यह सवाल महत्त्वपूर्ण नहीं है कि किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं। जितने भी हैं और जिसके पास भी हैं, वे संपूर्ण प्राणी जगत के लिए बड़ा खतरा हैं। हालांकि हर परमाणु शक्ति संपन्न देश को लगता है कि इन हथियारों को हासिल कर वह सुरक्षित हो गया है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? अगर परमाणु हथियार हासिल करने से ही सब सुरक्षित हो सकते हैं तो फिर बाकी देश भी अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाएंगे। तब उन्हें कौन रोक पाएगा? वैसे भी कई देश चोरी छिपे इस काम में लगे ही हैं। सवाल तो यह है कि आखिर रूस और अमेरिका सहित कुछ देशों को ही परमाणु हथियार बनाने और आधुनिकीकरण करने का अधिकार क्यों होना चाहिए? कहां गया निरस्त्रीकरण का सिद्धांत? परमाणु हथियारों की होड़ को रोकने के लिए बनी संधियों का हश्र किसी से छिपा नहीं है। परमाणु हथियारों से मुक्ति पाने के लिए तो उन्हीं देशों को हिम्मत दिखानी पड़ेगी जिनके पास इनके भंडार भरे पड़े हैं।


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