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Written by जनसत्ता: मोहाली में बीते सोमवार को पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर हुआ हमला बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है। यह हमला बता रहा है कि राज्य में एक बार फिर से आतंकी तत्त्व सक्रिय हो गए हैं। मोहाली की घटना ज्यादा चिंताजनक इसलिए भी है कि हमलावरों ने पुलिस महकमे की महत्त्वपूर्ण इकाई को निशाना बना कर एक तरह से पुलिस, सुरक्षाबलों, प्रशासन और राज्य सरकार सबको चुनौती दी है। हाल के दिनों में सिख फार जस्टिस और बब्बर खासला जैसे आतंकी संगठनों की पंजाब और पड़ोसी राज्यों में गतिविधियां बढ़ने लगी हैं।
यह न सिर्फ पंजाब में, बल्कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में भी खालिस्तानी झंडे लगा कर ये संगठन अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने की कोशिशें करते दिखे हैं। फिर, पिछले कुछ समय में पंजाब में कई जगहों पर विस्फोटकों और हथियारों का मिलना बता रहा है कि आतंकी संगठन एक बार फिर अपने मंसूबों को अंजाम देने में जुट गए हैं। कुछ दिन पहले चंडीगढ़ जेल के पास भी विस्फोटक बरामद किया गया था। यानी कश्मीर के बाद अब पंजाब को फिर से आतंक की आग में झोंकने की साजिशें जोरों पर हैं।
दरअसल, मोहाली में पुलिस के खुफिया मुख्यालय की जिस इमारत को निशाना बनाया गया, उसमें खुफिया विभाग के प्रमुख से लेकर तमाम बड़े अधिकारी बैठते हैं। यहां बेहद संवेदनशील जानकारियां और सूचनाएं भी रखी जाती हैं। अगर ग्रेनेड फट जाता तो निश्चित तौर पर भारी तबाही मच सकती थी। लेकिन सवाल यह है कि हमलावर इस जगह तक पहुंचने में कामयाब कैसे हो गए? माना तो यही जाता है कि पुलिस के खुफिया मुख्यालय के आसपास तो कड़ी सुरक्षा रहती ही होगी।
जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगे होते हैं। ऐसा भी नहीं कि हमलावर पहली बार आए और गोला दाग गए। जांच में पता चला है कि हमालावर तीन-चार बार इस इलाके की रेकी कर चुके थे। पर आश्चर्य की बात यह है कि किसी को भनक तक नहीं लगी। हैरानी इसलिए भी होती है कि जब पंजाब में आतंकी घटनाओं का खतरा बढ़ रहा है, तब ऐसे में खुफिया विभाग को अपनी ही इमारत पर हमले के संकेत नहीं मिल पाए।
चौंकाने वाली खबरें तो यह भी आ रही हैं कि इस इमारत में सुरक्षा के वैसे कड़े बंदोबस्त नहीं थे, जो एक संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान के लिए होने चाहिए। इमारत के बाहर कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं होने की बात सामने आई है। अगर ऐसा है तो यह वाकई कम बड़ी सुरक्षा खामी नहीं है।
अब तक जो जानकारी मिली है, उससे साफ है कि ऐसे हमलों को पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना ही अंजाम दे रहे हैं। इनमें हरजिंदर सिंह उर्फ रिंदा का नाम भी आया है। इस आतंकी ने कुछ समय पहले फिरोजपुर जिले के खेतों में ड्रोन से विस्फोटक गिरवाए थे। इस घटना में शामिल जिन-जिन लोगों से पूछताछ की जा रही है, उनमें से ज्यादातर के तार किसी न किसी रूप में पाकिस्तान से जुड़े लग रहे हैं और ये खालिस्तानी गुटों के लिए काम कर रहे हैं।
इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान एक बार फिर पंजाब में वैसे ही हालात बनाने की साजिश रच रहा है जैसा उसने अस्सी के दशक में किया था। इसके लिए वह खालिस्तानी संगठनों का इस्तेमाल कर रहा है। यह देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है। मौजूदा हालात बता रहे हैं कि पाकिस्तान की सीमा से सटे राज्यों को नए सिरे से सुरक्षा रणनीति पर विचार करने की जरूरत है। वरना हालात बेकाबू होते देर नहीं लगेगी।