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भारत (India) को हमेशा से सोने की चिड़िया (Golden Bird) कहा जाता था
भारत (India) को हमेशा से सोने की चिड़िया (Golden Bird) कहा जाता था, इसका एक मुख्य कारण था कि यहां पर सोना (Gold) बहुतायत में था. भारतीय लोगों को सोने का इतना ज्यादा शौक था कि उन्होंने इसे अपनी परम्परा से जोड़ दिया. खासतौर से अगर हम दक्षिण भारत की बात करें तो वहां सोने की अहमियत आज भी उतनी ही है जितनी सदियों पहले हुआ करती थी. सोना वहां के लिए केवल एक वस्तु ही नहीं बल्कि उनका एक ऐसा साथी है जो उनके बुरे वक्त में काम आता है. अब तमिलनाडु (Tamil Nadu) की मौजूदा सरकार इसी 'साथी' के सहारे अपने सियासी नाव को सत्ता का समंदर पार कराना चाह रही है.
दरअसल एआईडीएमके (AIDMK) ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले घोषणा की है कि राज्य के उन सभी लोगों के गोल्ड लोन (Gold Loan) माफ किए जाएंगे जिन्होंने 48 ग्राम सोना गिरवी रखकर लोन लिया है. तमिलनाडु में गोल्ड लोन लेने वालों की संख्या बहुतायत में है, खासतौर से अपना सोना रख कर लोन वह महिलाएं लेती हैं जिन्हें स्वावलंबी होना होता है. एक आंकड़े के अनुसार माने तो एआईडीएमके के इस स्कीम के अंतर्गत तकरीबन राज्य के 15 लाख से ज्यादा लोग आ जाएंगे. चुनावी पंडितों का मानना है कि एआईडीएमके का दांव अगर सही लग गया तो उसे आगामी विधानसभा चुनावों में काफी फायदा होगा.
तमिलनाडु में सोने की अहमियत
देश के और राज्यों की तरह तमिलनाडु की महिलाओं को भी सोना प्रिय है, हालांकि तमिलनाडु में सोना सिर्फ प्रिय ही नहीं बल्कि पूजनीय भी है. यहां के लोगों का मानना है कि आप एक वक्त का खाना भले ही ना खाएं, लेकिन घर में सोना जरूर होना चाहिए. दरअसल सोने को यह एक ऐसी पूंजी के रूप में देखते हैं जो उनकी मुसीबत के समय मदद करती है. दक्षिण भारत की परम्परा है कि यहां पर सोने को कमर से नीचे नहीं पहना जाता है, ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उसका अपमान होगा. इसीलिए हमेशा सोने को कमर से ऊपर ही पहना जाता है. सोने को जितना सम्मान दक्षिण भारत में दिया जाता है शायद ही पूरी दुनिया में कहीं और दिया जाता हो. यहां के मंदिरों में आप सोने की अहमियत को साफ-साफ देख सकते हैं, किस तरह से मूर्तियों और मंदिर की सजावट में सोने का इस्तेमाल हुआ है वह सब बताता है कि यहां सोने को श्रद्धा से भी जोड़कर देखा जाता है.
राज्य में गोल्ड लोन के आंकड़ों को समझिए
तमिलनाडु में गोल्ड लोन की अहमियत को समझने के लिए आपको यहां के सहकारी बैंकों के आंकड़ों को देखना चाहिए, इन आंकड़ों को देखकर आपको साफ-साफ पता चल सकता है कि इन बैंकों ने राज्य में जो 20 हजार करोड़ का लोन दिया है उसमें तकरीबन 40% हिस्सा यानी 7 हजार करोड रुपए केवल गोल्ड लोन में दिया है. इस गोल्ड लोन के अंतर्गत राज्य के 15 लाख से ज्यादा लोग आते हैं. एआईडीएमके अगर इन लोगों के लिए गए लोन को माफ कर देती है तो इसका सीधा-सीधा फायदा एआईडीएमके को आगामी विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा. एआईडीएमके ने इस गोल्ड लोन को माफ करने के लिए अलग से 54 सौ करोड़ के बजट का प्रावधान किया है.
सोने के साथ दक्षिण भारत की परंपरा
ऐसे तो सोने की अहमियत पूरे भारत में देखने को मिलती है, लेकिन जब आप दक्षिण भारत के मंदिरों को देखते हैं तब आपको एहसास होता है कि यहां सोना सिर्फ कीमती ही नहीं बल्कि पूजनीय भी है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जितना सोना दक्षिण भारत के मंदिरों में है उतना पूरे भारत में भी नहीं है. सोना शुरू से ही दक्षिण भारत की परम्परा से जुड़ा रहा है वहां उत्सव हो या फिर कोई विशेष दिन महिलाएं सोने के आभूषणों से लदी नजर आती हैं. इसके साथ ही दक्षिण भारत में सोने के दान का भी काफी महत्व है, वहां के मंदिरों में सोना ऐसे ही नहीं आया लोगों के दान से ही मंदिरों में सोना इकट्ठा हुआ और इतना इकट्ठा हुआ कि आज लोग उसकी सही कीमत तक नहीं लगा पा रहे हैं. हालांकि भारत से सोना लूटा भी बहुत गया, कभी अंग्रेजों ने, कभी मुगलों और विदेशी आक्रांताओं ने भारत से बहुत सोना लूटा. लेकिन उसके बाद भी भारत में इतना सोना है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
उत्तर की राजनीति से लोन माफी का आईडिया
उत्तर भारत में हमेशा से कर्ज माफी कर वोटों को साधने की राजनीति होती रही है. हालांकि यहां गोल्ड नहीं बल्कि किसान लोन, बिजली बिल इत्यादि माफ कर वोट साधे जाते रहे हैं. लेकिन दक्षिण की सियासत उत्तर से काफी अलग है, वहां खेती और जमीन से ज्यादा लोन सोने पर लिए जाते हैं. इसलिए सोने पर लोन लेने वालों की संख्या ज्यादा है तो जाहिर सी बात है इस फैसले से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या भी ज्यादा होगी और अगर गोल्ड लोन लेने वालों ने एआईडीएमके को एक तरफा वोट कर दिया तो उसकी जीत आगामी विधानसभा चुनाव में काफी हद तक तय मानी जाएगी.
DMK के हाथों से छीन लिया मुद्दा
कहते हैं राजनीति में मुद्दा उसी का होता है जो उसे पहले लपक ले. AIDMK के ने ऐसा ही किया, उसने गोल्डलोन वाला मु्द्दा DMK से पहले लपक लिया और घोषणा कर दी. जबकि यह मुद्दा इससे पहले DMK के पास था जिससे उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में जम कर फायदा उठाया था. दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले DMK के एम के स्टालिन ने वादा किया था कि वह गोल्ड लोन माफ करेंगे और इसका फायदा उनको इतना हुआ कि उनकी पार्टी ने 2019 को लोकसभा चुनाव में 39 में से 33 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जब देश में मोदी लहर चल रही थी उसमें इस तरह की जीत मिलना इस मुद्दे की अहमियत को दर्शाता है जिसे अब बीजेपी गठबंधन वाली AIDMK भुनाने में लगी हुई है.
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