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- बढ़ती महंगाई पर...
रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते महंगाई अब सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है। अप्रैल माह में भारत की खुदरा महंगाई दर 7.79 पहुंच गई है। बैंकों ने अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी और जून महीने तक और भी बढ़ सकती हैं। ऐसे हालत में आम जनमानस किस तरह बैंकों से ऋण लेकर अपनी जरूरतें पूरी करे, यह मुसीबत बन चुका है। गरीब आदमी को अब अपना जीवनयापन करना बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। आलू से लेकर चाय पत्ती तक के दाम कई गुणा बढ़ चुके हैं। एयर कंडीशनर, टीवी, एलईडी आदि इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के दाम में वृद्धि के अब प्रबल आसार बन रहे हैं। गेहूं के दाम में उछाल आने की वजह से आटा, ब्रेड और बिस्कुट की कीमतों में इजाफा हुआ है। महंगाई अब वैश्विक समस्या बन चुकी है जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। कोरोना वायरस काल के दौरान कारोबार ठप रहने की भरपाई दुकानदार अब मनमाने दाम में वस्तुएं बेेचकर पूरी कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध की आड़ में कई देशों में महंगाई बढ़ना चिंताजनक है। श्रीलंका में गैस, पेट्रोल और डीजल जनता को न मिलना इसका ताजा उदाहरण है। पड़ोसी देश श्रीलंका की खराब अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हंै। अगर श्रीलंका में जनता को मूलभूत सुविधाओं की दरकार हो सकती है तो भारत के पड़ोसी देश में क्यों नहीं, यही आजकल सवाल उठ रहा है। भारत में स्थिति कुछ हद तक सुखद होने के कारण ही केंद्र सरकार गरीब जनता को सस्ता राशन मुहैया करवा पा रही है। अगर यूक्रेन-रूस युद्ध पर विराम नहीं लगाया गया तो महंगाई दानव बनकर गरीब जनता को निगल जाएगी। इस युद्ध के कारण पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतें लगातार बढ़ी हैं जिसके कारण मालवाहक गाडि़यों का भाड़ा भी बढ़ा है। वहीं विदेशों में भारतीय गेहूं की मांग भी बढ़ी है। पिछले बारह वर्षों में अब तक 46 प्रतिशत गेहूं के दाम बढ़ चुके हैं।