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- छोटे उद्योगों को सहारा...
भरत झुनझुनवाला : अंतरराष्ट्रीय सलाहकार फर्म मैकिंजी के एक हालिया अध्ययन के अनुसार कोविड महामारी के कारण यूरोपीय संघ के करीब-करीब 50 प्रतिशत छोटे उद्यम एक साल के भीतर दम तोड़ देंगे। अपने देश के हालात भी इससे बहुत अलग नहीं हैं। छोटे उद्योग कई बड़े फायदों की सौगात देते हैं, जैसे वही सबसे ज्यादा रोजगार सृजन करते हैं। ऐसे में उन्हेंं बचाना आवश्यक है। इसके लिए उनके समक्ष पैदा संकट के कारणों की पड़ताल कर उपाय तलाशने होंगे। उनकी मुश्किलों की एक बड़ी वजह ऊंची लागत का होना है। लागत ऊंची होने के मुख्य रूप से चार कारण हैं। इनमें पहला कारण सूचना की उपलब्धता का है। जैसे कानपुर के उद्यमी को हैदराबाद के बाजार में माल बेचना हो तो उसका आवाजाही का खर्च तो बड़े उद्यमी के बराबर आता है, लेकिन उसकी बिक्री उतनी अधिक नहीं होती। मिसाल के तौर पर वह एक लाख का माल बेचेगा तो बड़ा उद्यमी एक करोड़ का और आवाजाही की लागत उसी अनुरूप समायोजित हो जाती है। दूसरा कारण मानव संसाधन से संबंधित है। बड़े उद्योगों में मार्केटिंग, फाइनेंस, एकाउंटिंग इत्यादि के लिए अलग-अलग और दक्ष लोग होते हैं। छोटे उद्यमी को ये सब कार्य स्वयं करने होते हैं और उसमें उतनी दक्षता भी नहीं होती। तीसरा कारण कर अनुपालन का है। कई अध्ययनों के अनुसार जीएसटी के नियमों के अनुपालन का अतिरिक्त बोझ छोटे उद्यमियों पर ज्यादा आता है, क्योंकि बड़े उद्यमी पहले ही चार्टर्ड एकाउंटेंट से लैस रहते हैं, जिनके जरिये वे अनुपालन आसानी से करा लेते हैं। चौथा कारण डिजिटल तकनीक के आगमन का है, जो वर्तमान युग में विशेष महत्व रखती है।