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- निर्माण सामग्री के रेट...

हिमाचल प्रदेश सरकार बेशक बस किराए में महिलाओं को पचास फीसदी छूट, बिजली बिल में कटौती और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी बिल माफ करके वाहवाही लूट रही है, मगर सच बात यह है कि आजकल भवन निर्माण सामग्री सोने के भाव बिक रही है। पक्के मकान बनाने की चाहत रखने वालों की तमाम आशाओं पर मानो पानी फिर गया है। अब अधिकतर ग्रामीण लोगों की यही चाहत रहती है कि उन्हें सरकार से पक्का मकान बनाने की अनुदान राशि मिल जाए। ऐसा प्रतीत होता है कि हिमाचल प्रदेश में उद्योगपतियों पर सरकारों का कोई अंकुश नहीं है। मुख्यमंत्री राहत कोष में चंद सिक्के डालने वाले उद्योगपति क्या इसलिए अपनी मनमर्जी से भवन निर्माण सामग्री के दाम निरंतर बढ़ा रहे हैं? सीमेंट दाम वृद्धि के लिए कांग्रेस भाजपा को दोषी ठहरा रही है और भाजपा ने भी कभी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया होगा। कुल मिलाकर कहा जाए तो ऐसे उद्योगपतियों पर सरकारों की कोई लगाम नहीं है। वर्ष 2017 से अभी तक सीमेंट के दाम 19 बार बढ़ाए जा चुके हैं। वर्तमान समय में अचानक सीमेंट के दाम करीब चालीस रुपए तक बढ़ाए गए हैं। सीमेंट की एक बोरी 465 रुपए में बेचकर गरीब जनता को दोनों हाथों से लूटा जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ काटकर प्रकृति से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसकी एवज में प्रदेश की जनता को कचरायुक्त विषैले धूल के कण नसीब हो रहे हैं। ऐसे उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले काले धुएं से वातावरण दूषित हो रहा है। फसलों, बागीचों, फलों, पेड़-पौधों और सब्जियों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। वहीं लोग भी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। सीमेंट दाम वृद्धि की वजह से आजकल पंचायतों में भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं। कुछेक पंचायतों के विकास कार्यों में इस्तेमाल होने वाला सीमेंट पंचायत प्रतिनिधियों की आपसी मिलीभगत से लोगों को बेचा जा रहा है। प्रदेश की सैकड़ों पंचायतों का ऑडिट आजकल इसी वजह से शक के दायरे में चल रहा है। भवन निर्माण के लिए लोग अब पंचायत प्रतिनिधियों से सस्ते सीमेंट की गुहार लगा रहे हैं।