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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए कृषि कानूनों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने जैसा रवैया अपना लिया है वह इसलिए विचित्र है, क्योंकि पहले यही दल उसी तरह के सुधारों की मांग किया करते थे जैसे इन कानूनों में किए गए हैं। इन कानूनों के विरोध में किसानों को उकसा-भड़का रहे राजनीतिक दल केवल कृषि सुधारों की बात ही नहीं करते थे, बल्कि उन्हें अपने घोषणापत्र का हिस्सा भी बनाते थे। कांग्रेस इससे मुंह नहीं मोड़ सकती कि पिछले लोकसभा चुनावों के लिए जारी अपने घोषणापत्र में उसने यह लिखा था कि अगर उसकी सरकार बनती है तो कृषि उपज विपणन समिति कानून यानी एपीएमसी एक्ट को वापस लिया जाएगा, कृषि उपज के व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा और यह हर तरह की पाबंदियों से मुक्त होगा। इसके पहले पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में मंडी व्यवस्था को सुदृढ़ करने और निजी निवेश को बढ़ावा देने की बात की थी। ऐसी ही बात आम आदमी पार्टी ने भी कही थी। इस पार्टी ने भी पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से वादा किया था कि एपीएमसी एक्ट में इस ढंग से संशोधन किया जाएगा कि किसानों को अपनी उपज राज्य के भीतर और बाहर कहीं भी बेचने का अवसर मिले। इसके साथ ही उसकी ओर से कृषि में बड़े पैमाने पर निजी निवेश की भी वकालत की गई थी।