सम्पादकीय

सरकारी नौकरी की मृग मरीचिका

Gulabi Jagat
29 July 2022 5:10 AM GMT
सरकारी नौकरी की मृग मरीचिका
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सरकारी नौकरी
By NI Editorial
आठ सालों में 22.05 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया था। सोचें, सिर्फ 7.22 लाख लोगों को नौकरी मिली। एक हजार लोगों में से सिर्फ तीन लोगों को नौकरी मिली।
भारत में सरकारी नौकरी सपने की तरह है। लगभग हर नौजवान सरकारी नौकरी की कल्पना के साथ ही अपने करियर निर्माण की शुरुआत करता है। तभी जब चुनाव लड़ने से पहले पार्टियां वादा करती हैं कि सरकार बनी तो एक करोड़ या दो करोड़ लोगों को हर साल नौकरी मिलेगी तो युवा उस पर भरोसा भी करते हैं। लेकिन अंत में सरकारी नौकरी की उम्मीद मृग मरीचिका साबित होती है। पता चलता है कि उन्होंने अपने जीवन का बेहतरीन समय एक भ्रम का पीछा करने में गंवा दिया और जब भ्रम टूटा तो वे किसी काम के नहीं रह गए। फिर जो निराशा और अवसाद पैदा होता है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है।
केंद्र सरकार ने संसद के चालू सत्र में बताया है कि पिछले आठ साल में उसने सिर्फ 7.22 लाख लोगों को नौकरी दी है। यानी हर साल औसतन एक लाख से भी कम लोगों को नौकरी मिली है। इससे भी चिंताजनक आंकड़ा यह है कि इन आठ सालों में 22.05 करोड़ लोगों ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किया था। सोचें, 22 करोड़ लोगों में से सिर्फ 7.22 लाख लोगों को नौकरी मिली। सिर्फ 0.33 फीसदी यानी आवेदन देने वाले एक हजार लोगों में से सिर्फ तीन लोगों को नौकरी मिली। सोचें, बाकी लोग कहां गए होंगे? क्या उनको निजी क्षेत्र में नौकरी मिली होगी या मनरेगा में काम कर रहे होंगे या उन्होंने पकौड़े लगाने जैसा कोई स्वरोजगार शुरू किया होगा?
भारत सरकार ने पिछले आठ साल में जिन 7.22 लाख लोगों को नौकरी दी है उनमें सबसे ज्यादा 1.47 लाख लोगों को 2019-20 में नौकरी मिली थी। यानी जिस साल लोकसभा के चुनाव होने थे उस साल में सबसे ज्यादा नौकरी मिली। सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014-15 में नई सरकार बनने के बाद से ही सरकारी नौकरियों में कमी आने लगी थी। चुनाव प्रचार में हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा था, लेकिन वास्तव में हर साल एक लाख लोगों को भी नौकरी नहीं मिली। जब सरकारी नौकरी की यह स्थिति है तो निजी सेक्टर में इससे बेहतर की उम्मीद नहीं की जा सकती है। नोटबंदी से लेकर जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने और उसके बाद आई कोरोना की महामारी ने अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचाया उससे नौकरी का पूरा परिदृश्य बदल गया। देश में ऐतिहासिक बेरोजगारी की स्थिति है और उसी समय सांप्रदायिक विभाजन के एजेंडे से चिंगारी भड़काने की कोशिशें हैं। इससे देश के सामने गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
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