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76वें हिमाचल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। देश को आज़ादी मिलने के 8 माह बाद 15 अपै्रल 1948 को यह सुंदर पहाड़ी प्रदेश 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों के विलय के साथ केन्द्रशासित चीफ कमिशनर्ज़ प्रोविंस के रूप में अस्तित्व में आया था। प्रदेश को एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करने का श्रेय तत्कालीन नेतृत्व के साथ-साथ प्रजामण्डल आन्दोलन के नायकों व आंदोलनकारियों और यहां की जागरूक जनता को जाता है। हिमाचल प्रदेश के गौरवमयी इतिहास में धामी गोलीकांड, सुकेत सत्याग्रह, पझौता आन्दोलन का विशेष स्थान है। इस पावन अवसर पर मैं हिमाचल निर्माता तथा प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार तथा उन सभी महानुभावों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इस प्रदेश को विशेष पहचान तथा अलग राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए अथक प्रयास किए। हिमाचल प्रदेश को वीरभूमि के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर मैं प्रदेश के उन सभी बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने वतन के लिए कुर्बानियां दी हैं। मैं कर्मठ व ईमानदार प्रदेशवासियों का भी आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने प्रदेश को देश-विदेश में खास पहचान दिलवाई है। 11 दिसम्बर, 2022 को हमारी सरकार ने कार्यभार सम्भाला। इसी के साथ प्रदेश में जनकल्याण एवं व्यवस्था परिवर्तन के नए युग का सूत्रपात हुआ। मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सचिवालय जाने की परम्परा को बदलते हुए सबसे पहले बालिका आश्रम टूटीकंडी गया। मैं बच्चों से मिला, बातचीत की। उन्होंने कोई मांग नहीं की लेकिन मैंने महसूस किया कि अभाव के बावजूद उनके चेहरों पर कुछ कर गुजऱने का जज़्बा था। नव वर्ष के तोहफे के तौर पर 101 करोड़ रुपये के शुरुआती प्रावधान के साथ सरकार ने मुख्यमंत्री सुख-आश्रय कोष की स्थापना की घोषणा की। सरकार ने निर्णय लिया कि अब ऐसे ही अनाथ बच्चों के माता भी हम होंगे और पिता भी। इनके सुख-दु:ख, शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रमण की जि़म्मेदारी भी अब हमारी ही है।
प्रदेश के लगभग 6,000 अनाथ बच्चों को मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ के रूप में अपनाने का हमने निर्णय लिया है। हमारी सरकार सत्ता में सुख के लिए नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आई है। हमारी सरकार का पहला बजट सामान्य बजट नहीं है। मैंने लगातार विभिन्न विभागों की बैठकें कीं, योजनाओं के बारे में जाना, समझा और चिन्तन-मनन किया। हम प्रदेश के हित में लीक से हट कर बजट लाए। आपको बजट में शामिल की गई योजनाओं का प्रभाव एक साल के भीतर ही दिखना शुरू हो जाएगा। हम चाहते हैं कि प्रदेश आत्मनिर्भर बने और हमारी आर्थिकी मज़बूत हो। हमारा पहला वायदा पुरानी पेंशन योजना बहाल करना था। हमने पहली कैबिनेट बैठक में ही 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के तहत लाने का निर्णय लिया। इसी क्रम में हमने 2.31 लाख महिलाओं को 1500 रुपये पेंशन देने का निर्णय लिया। विधवाओं एवं 40 से 69 प्रतिशतता वाले दिव्यांगजनों को पेंशन पाने के लिए हमने आय सीमा और ग्राम सभा से अनुमति की शर्त समाप्त कर दी है। विधवाओं और एकल नारियों को मकान बनाने के लिए मुख्यमन्त्री विधवा एवं एकल नारी आवास योजना आरम्भ की जा रही है। इसके तहत इस वर्ष 7000 ऐसी महिलाओं को 1.50 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। इस योजना का लाभ पाने के लिए वार्षिक आय सीमा दो लाख रुपये निर्धारित की गई है। बेटियों को सम्पत्ति में समान अधिकार प्रदान करने की दिशा में सरकार ने निर्णायक कदम उठाया है। विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम 1972 में संशोधन विधेयक पारित किया गया है।
अब लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाले असंवैधानिक खण्डों को हटाकर बेटियों को पैतृक सम्पत्ति के भू-स्वामित्व में समान अधिकार सुनिश्चित किया गया है। ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम’ (पॉक्सो) के प्रावधानों के बारे में मुख्यमन्त्री सुरक्षित बचपन अभियान के अन्तर्गत प्रदेशवासियों, विशेषकर बच्चों को जागरूक किया जाएगा। राज्य में नशे की समस्या से निपटने के लिए विशेष कार्य दल का गठन किया जा रहा है। प्रदेश की आबो-हवा और बहता पानी हमारे लिए वरदान है। पहली बार हम एक लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। मार्च, 2026 तक इस प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन एवं अमोनिया परियोजना के लिए समझौता किया है। इससे प्रदेश में 4,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश होगा तथा 3500 से अधिक रोजग़ार के अवसर सृजित होंगे। प्रदेश में 6 ग्रीन कॉरिडोर घोषित किए गए हैं, जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के माध्यम से यातायात सुविधा प्रदान की जाएगी। सरकार के प्रयासों से प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आदर्श राज्य के रूप में उभर रहा है। निजी संचालकों को इलेक्ट्रिक बस, इलेक्ट्रिक ट्रक, इलेक्ट्रिक टैक्सी, इलेक्ट्रिक ऑटो तथा ई-गुड्स कैरियर्ज लेने पर 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 50 लाख रुपये का उपदान दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। हमने इस दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया है। प्रदेश में एशियन विकास बैंक की सहायता से 1311 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन विकास योजना भी शुरू की जाएगी।
पर्यटन की दृष्टि से कांगड़ा में एयरपोर्ट का निर्माण विस्तार निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांगड़ा को प्रदेश की ‘पर्यटन राजधानी’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। सभी जि़ला मुख्यालयों को वर्ष भर हवाई परिवहन से जोडऩे के लिए हेलीपोर्ट निर्माण और विकास के कार्य प्रगति पर हैं। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से प्रदेश में रोपवे निर्माण को भी गति दी जा रही है। राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है एक वर्ष के भीतर प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों के कुछ विभागों में रोबोटिक सर्जरी का कार्य शुरू हो जाएगा। सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में कैजुअल्टी विभाग को स्तरोन्नत कर ‘एमरजेंसी मेडिसन विभाग’ बनाने का भी निर्णय लिया गया है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक स्वास्थ्य संस्थान को आदर्श स्वास्थ्य संस्थान के रूप में स्तरोन्नत किया जाएगा। शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए हम वचनबद्ध हंै। हमारा मानना है कि नए स्कूल खोलने या अपग्रेड करने के स्थान पर वर्तमान में चल रहे विद्यालयों में अध्यापक, पुस्तकालय, लैब, अच्छे भवन व खेल मैदान जैसी गुणात्मक सुविधाएं दी जाएं।
प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी गवर्नमेंट मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल खोले जाएंगे, जो अत्याधुनिक तकनीक व उपकरणों से लैस होंगे। राज्य के युवाओं का कौशल विकास उन क्षेत्रों में किया जाएगा, जिन क्षेत्रों में रोजग़ार के अधिक अवसर पैदा हो रहे हैं। इसके दृष्टिगत विभिन्न सरकारी संस्थानों में विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पैसों के अभाव में कोई भी मेधावी गऱीब बच्चा उच्च शिक्षा से वंचित न रहे। राज्य में 200 करोड़ रुपये की राजीव गांधी उच्च शिक्षा प्रोत्साहन योजना शुरू की जा रही है जिसके अंतर्गत गऱीब बच्चों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, एम.बी.ए., पी.एच.डी., बी. फार्मेसी, नर्सिंग आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए वित्तीय संस्थानों की सहायता से एक प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। यह मात्र एक प्रतिशत ब्याज, इन बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने में भी सहयोग करेगा। प्रदेश में निर्बाध जलापूर्ति उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जाएंगे। प्रथम चरण में पायलट आधार पर नदी या डैम के साथ लगती कुछ नगर पंचायतों व नगर परिषदों में पेयजल योजनाओं को स्तरोन्नत किया जाएगा। अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों का इस्तेमाल कर बैक्टीरिया-फ्री जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। गुणवत्तायुक्त सडक़ें उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मुख्यमन्त्री सडक़ एवं रख-रखाव योजना आरम्भ की जाएगी। इसके अलावा भी विकास की कई योजनाओं पर हम काम कर रहे हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू
मुख्यमंत्री, हि. प्र.
By: divyahimachal
Rani Sahu
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