सम्पादकीय

टीके पर नासमझी

Triveni
18 Jun 2021 4:57 AM GMT
टीके पर नासमझी
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सरकार ने अपनी तरफ से यह स्पष्टीकरण देकर अच्छा किया है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन में नवजात बछड़ों का सीरम नहीं होता।

सरकार ने अपनी तरफ से यह स्पष्टीकरण देकर अच्छा किया है कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन में नवजात बछड़ों का सीरम नहीं होता। सोशल मीडिया के जरिए फैली यह अफवाह महामारी की तीसरी लहर को रोकने के तमाम प्रयासों पर पानी फेर सकती है। हालांकि इसके मूल में आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल से मिले जवाब को बताया जा रहा है, लेकिन इस जवाब को कांग्रेस के एक नेता ने जिस अंदाज में ट्वीट किया, उससे इस विवाद ने एक अलग ही रूप ले लिया। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद न केवल भारत बायोटेक और केंद्र सरकार की ओर से बल्कि ट्विटर पर सक्रिय जानकार लोगों की ओर से भी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश हुई। इससे यह साफ हुआ कि मामला आरटीआई के तहत हासिल किए गए जवाब का उतना नहीं, जितना उसे समझने में हुई चूक का है। वेरो सेल विकसित करने के लिए अगर बछड़े के सीरम का इस्तेमाल होता है तो इसका मतलब यह नहीं हुआ कि फाइनल प्रॉडक्ट यानी वैक्सीन में भी यह सीरम होता है और न ही यह कि इसके लिए नवजात बछड़ों को मारा जाता है।

कोवैक्सीन पोलियो, रैबीज और इन्फ्लुएंजा के टीकों में भी इसका इस्तेमाल दुनिया भर में होता रहा है। मगर यहां मसला सिर्फ एक टेक्निकल मुद्दे को न समझने भर का नहीं, उसके राजनीतिक इस्तेमाल की मंशा का भी है। सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोलर की ओर से मिले जवाब को ट्वीट करते हुए कांग्रेस नेता का यह कहना मायने रखता है कि मोदी सरकार ने कबूल किया है कि कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम होता है... यह सूचना पहले ही सार्वजनिक की जानी चाहिए थी। जाहिर है, सरकार विरोधी तेवर के साथ ही इसमें धार्मिक भावनाओं को लाने की परोक्ष कोशिश भी है। ट्वीट के वायरल होने के पीछे इन दोनों कारकों की भी भूमिका रही है और इसी को रेखांकित करते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जो वैज्ञानिक सोच और रिसर्च की जरूरत बताते रहते हैं, आज एक आरटीआई के आधार पर वैक्सीन में धार्मिकता के सवाल को लाकर लोगों में वैक्सीन संबंधी हिचक को बढ़ावा दे रहे हैं। अच्छी बात यह रही कि अपने एक नेता की ओर से किए गए इस ट्वीट को कांग्रेस ने भी ज्यादा तूल नहीं दिया। उसने खुद को इस विवाद से अलग रखा। सभी राजनीतिक दलों को समझना चाहिए कि वायरस के खिलाफ लड़ाई को किसी भी रूप में बाधित करना आत्मघाती होगा। खासकर मौजूदा दौर, जब दूसरी लहर उतार पर है और तीसरी लहर आने में थोड़ा वक्त है, हमारी तैयारियों के लिहाज से बेहद अहम है। इसी अंतराल में टीकाकरण की प्रक्रिया को तेज करके हम तीसरी लहर के रूप में आने वाली विपदा को टाल सकते हैं। ऐसे में सबकी कोशिश टीकाकरण प्रक्रिया को यथासंभव तेज करने की ही होनी चाहिए।


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