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सम्पादकीय
मुस्लिम युवाओं को अनिश्चित भविष्य छोड़ सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने का अच्छा अवसर
Shantanu Roy
23 Nov 2022 10:09 AM GMT
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पप्पू फरिश्ता
एक देश का भविष्य वह सफलता के कई कारण होते हैं इन सभी कारणों में मानव संसाधन सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं एक देश का युवा वर्ग उसके लिए एक बड़ा फायदेमंद है जनगणना 2011 के अनुसार भारत की 58 पॉइंट 3 प्रतिशत जनसंख्या 29 साल या उससे कम आयु वर्ग की है 32 वर्ष से अधिक की आबादी का अनुपात 41 पॉइंट 4 प्रतिशत है जनगणना 2011 के अनुसार हमारे देश में पिछले दशक में उल्लेखनीय प्रगति की है।
शिक्षा के क्षेत्र में वह हमारी साक्षरता प्रतिशत 73 पर पहुंच गई है यदि जी पूरा विश्व अपने आप को बेहतर करने व अपनी योग्यता को साबित करने में लगा है परंतु भारतीय मुस्लिम युवक अपने भविष्य को लेकर गंभीर प्रतीत नहीं होते प्रतिष्ठित परीक्षाओं जैसे अखिल भारतीय सिविल सेवा विभिन्न राज्यों की सिविल सेवाओं की परीक्षाओं में मुस्लिमों की जनसंख्या के अनुपात में उनका इन प्रतियोगी परीक्षाओं को तीन करने का प्रतिशत काफी कम है।
वर्ष 2019 में अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में सफल मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रतिशत 5.3 था जो वर्ष 2020 की परीक्षा में घटकर 4.7 वर्ष 2021 की परीक्षा में 3% रह गया जबकि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिमों की आबादी का प्रतिशत देश में हो 10 पॉइंट 2 है राजेंद्र नगर करोल बाग मुखर्जी नगर गांधी नगर दिल्ली के इलाज के उम्मीदवारों को पसंद है जो सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते हैं विषय है।
गैर मुस्लिम उम्मीदवार करने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं वहीं कुछ अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए मेहनत करते नजर आएंगे यदि पी दिल्ली के दूसरे इलाकों में बहुत से मुस्लिम युवक अपना समय बेकार की चर्चाओं में बर्बाद करते नजर आते हैं इन क्षेत्रों में रात्रि की दुनिया थी बहुत ही आकर्षित करने वाली है परंतु इन सब चीजों के पीछे जय सत्य नजर आता है कि बहुत से मुस्लिम युवक युक्तियां का भविष्य अनुचित है।
यही देश के कई शहरों में भी देखा जा सकता है या मुस्लिमों की एक अच्छी खासी आबादी है यदि भारत सरकार में भी खुश ग्रह मुस्लिम छात्र छात्राओं को वजीफा व अन्य सताए प्रदान कर तालीम के आगे बढ़ाने का कार्य किया है।
भारत सरकार इनको मौलाना आजाद राष्ट्रीय स्कॉलरशिप मुफ्त कोचिंग प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे जामिया मिलिया इस्लामिया में देने की व्यवस्था किया परंतु इन सब के बाद ही मुस्लिमों का विभिन्न क्षेत्रों जैसे न्यायपालिका राज्य पुलिस व अखिल भारतीय सिविल सेवा में जग्गी काफी कम है यदि भारतीय मुस्लिम यह आरोप लगाते हैं कि सरकारें उनके उत्थान के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं परंतु सच्चाई यही है।
मुस्लिम छात्र छात्राओं को व उनके अभिभावकों को पर्याप्त मेहनत करनी होगी आज के प्रतियोगी युग में इसमें मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग का भी बड़ा योगदान हो सकता है कि वह अपने भविष्य की नसों का जीवन स्तर सुधार सकती है।
जैसे कि उन्हें यह बता कर कि इस्लाम का बेहतरीन शिक्षा का इतिहास रहा है यूरोप में एक से बढ़कर एक पैदा हुए चिकित्सा के क्षेत्र के नया बाजार बनाएं एवं करना जिसमें उसने वाले उपकरण इज्जत किया मुस्लिम जगत में नए गणित यंत्र की कृषि व औषधि के क्षेत्रों में नदियों का जन्म हुआ इसी प्रकार शिक्षा से ही वर्तमान मुस्लिम समाज का भला होगा।
ये दो उदाहरण निर्णायक रूप से साबित करते हैं कि भारत का मुस्लिम समुदाय अन्य समुदायों के व्यापारियों से व्यावसायिक सबक सीख सकता है। अन्य समुदायों की तुलना में आपको भारत में बहुत कम मुस्लिम व्यवसायी मिलेंगे।
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Shantanu Roy
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