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सम्पादकीय
अच्छी सेहत हमेशा रंग-बिरंगी होती है'; जीवन को जीवंत बनाने के लिए सेहत के लिए कुछ छोटे-मोटे कदम उठाते रहें
Gulabi Jagat
18 March 2022 8:41 AM GMT
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मिथकों और आस्था के अलावा रंगों का यह त्योहार वसंत के आगमन और जीवंतता का उत्सव भी है
एन. रघुरामन का कॉलम:
मिथकों और आस्था के अलावा रंगों का यह त्योहार वसंत के आगमन और जीवंतता का उत्सव भी है। इसका भरपूर आनंद लेने के लिए अच्छी सेहत जरूरी है। तो ये रहे इस होली के दौरान आपके जीवन को रंग-बिरंगा बनाने वाले कुछ छोटे-छोटे उपाय। 'थोड़े में संतोष' यह एक ऐसा मुहावरा है, जब लागू करने की बात हो तो हममें से बहुतों को यह पसंद है। तो एक अच्छी खबर है।
आपमें से बहुतों को यह जानकर खुशी होगी कि अमेरिकी रिसर्चरों ने पाया है हमसे अकसर 10 हजार कदम रोज चलने के जिस टारगेट को पूरा करने को कहा जाता है, वह बहुत ज्यादा है! आप सोच रहे होंगे कि तब सही संख्या क्या है? वास्तव में रोज 6 हजार कदम चलना 60 से अधिक उम्र वालों के लिए समय से पूर्व मृत्यु के खतरे को कम कर देने के लिए काफी है।
वहीं 8 हजार से ज्यादा कदम रोज चलने से तो आपके जूते ही जल्द घिसेंगे। लेकिन अगर आप 6 या 8 हजार कदम चलने के लिए भी बाहर नहीं जा सकते तो घर में ही टहलें और योग करें। लेकिन योग के लिए सुबह का समय ही उपयुक्त है, क्योंकि यह न केवल आपकी सक्रियता को बढ़ाता है, बल्कि कुछ योग मुद्राएं आपके शरीर को लचीला भी बनाए रखती हैं। आप जल्द ही अपने पोस्चर में अंतर देख सकते हैं।
आप अधिक सीधा होकर बैठने लगेंगे और चलते समय भी आपकी रीढ़ तनी होगी। इसके अलावा इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल घटता है, जिससे यह दिल के लिए भी अच्छा है। अगर आपको दिल की बीमारियां हैं तो इससे उनकी स्थिति नियंत्रण में रहती है। चूंकि योग करने से एंड्रोफिन्स रिलीज़ होते हैं, इसलिए ये हमारे दिमाग को ऊर्जावान बनाए रखता है। और सबसे अंत में, इससे आप अच्छी और लम्बी नींद ले सकते हैं।
वहीं युवाओं के लिए, आजकल स्ट्रेंथ ट्रेनिंग चर्चाओं में है। एक और नया अध्ययन बताता है कि अगर आपने अभी तक रेज़िस्टेंस-एक्सरसाइज से दूरी बनाए रखी है, जैसा कि कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है, तो रोज केवल तीन सेकंड की वेट-ट्रेनिंग मांसपेशियों की ताकत में बहुत बदलाव ला सकती है।
इस अध्ययन के लिए स्कैंडिनेवियन जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स के कुछ एक्सरसाइज-साइंटिस्टों ने स्वस्थ किंतु निष्क्रिय जीवनशैली वाले व्यक्तियों- जिनमें पुरुष भी थे और स्त्रियां भी- के एक समूह से किसी वजनदार चीज के साथ एक महीने तक रोज आर्म-स्ट्रेंग्थनिंग एक्सरसाइज करने को कहा।
प्रतिभागियों की गतिविधियों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए जापान में निगाता यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड वेलफेयर और ऑस्ट्रेलिया में एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी ने एक लेबोरेटरी-आधारित ट्रेनिंग मशीन का इस्तेमाल किया, जिसका नाम था- 'आइसोकाइनेटिक डायनोमीटर।'
यह सप्ताह में पांच दिन तीन सेकंड तक पूरी ताकत से और अधिकाधिक वजन के साथ एक सिम्युलेटेड बाइसेप्स कर्ल की गति और बल के सटीक माप को दर्ज करती है। उन्होंने एक महीने में कुल 60 सेकंड के 20 सेशंस किए और इसके अलावा कोई और एक्सरसाइज नहीं की, कोई छोटा-मोटा आम वर्कआउट तक नहीं। सभी प्रतिभागियों के बाइसेप्स पहले से मजबूत हुए।
इस रिसर्च से यह साबित हुआ कि यह धारणा सही नहीं है कि मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने के लिए हमें लम्बे समय तक एक्सरसाइज करना होती है। जिन्होंने कभी इस तरह की रेज़िस्टेंस एक्सरसाइज नहीं की- जैसे कि बहुतेरी गृहणियां- उनके लिए बार-बार सीढ़ियां चढ़ना-उतरना बहुत कमाल का साबित हो सकता है। एक बार शरीर इसका अभ्यस्त हो जाए तो आप कुछ वजन लेकर भी ऐसा कर सकते हैं।
अगर आपकी उम्र ज्यादा है और आप ऊपर बताई चीजों में से कुछ भी नहीं करते तो किसी भी कुर्सी या सोफे पर बैठते समय स्लो-मोशन में बैठें। वैज्ञानिक किसी कुर्सी पर धीरे-धीरे बैठने के प्रभावों की जांच करते आ रहे हैं और उन्होंने इसे दूसरी एक्सरसाइजों जितना ही प्रभावी पाया है। अगर आप दिन में दस बार धीरे-धीरे बैठें तो यह रोज घुटने की मांसपेशियों को फैलाने और सिकोड़ने वाली दस सब-मैक्सिमल इसेंट्रिक कॉन्ट्रैक्शंस करने जैसा होगा।
फंडा यह है कि चूंकि अच्छी सेहत हमेशा रंग-बिरंगी होती है, इसलिए जीवन को जीवंत बनाने के लिए सेहत के लिए कुछ छोटे-मोटे कदम उठाते रहें।
Gulabi Jagat
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