सम्पादकीय

हमारे लिए अच्छी है सिसोदिया और परगट के बीच मेरे स्कूल बनाम तुम्हारे स्कूल की लड़ाई

Gulabi
29 Nov 2021 3:08 PM GMT
हमारे लिए अच्छी है सिसोदिया और परगट के बीच मेरे स्कूल बनाम तुम्हारे स्कूल की लड़ाई
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सिसोदिया और परगट के बीच मेरे स्कूल बनाम तुम्हारे स्कूल की लड़ाई

शैलेश चतुर्वेदी। पिछले कुछ दिनों से ट्विटर पर बहस चल रही है. दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह आमने-सामने हैं. पंजाब के चुनाव करीब हैं. आम आदमी पार्टी की नजर पंजाब पर है. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी और खुद को सत्ता के करीब समझ रही पार्टियों के बीच बहस होने में कुछ नया नहीं है. न ही कुछ ऐसा है, जिस पर ताज्जुब होना चाहिए. इसके बावजूद इस ट्विटर वॉर को ध्यान से देखा जाना चाहिए.

ये दोनों मंत्री शिक्षा पर लड़ रहे हैं. दोनों ही बता रहे हैं कि कैसे शिक्षा के मामले में उनका राज्य दूसरे के राज्य से बेहतर है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब में लगातार शिक्षा और शिक्षकों का मुद्दा उठा रहे हैं. उन्होंने कहा भी था कि हम दिल्ली में अपने शिक्षकों को स्वीडन भेजते हैं, यहां पर उन्हें पानी की टंकी पर भेजा जा रहा है. केजरीवाल उस मामले पर निशाना साध रहे थे, जहां पंजाब के शिक्षक विरोध करते हुए पानी की टंकी पर चढ़ गए थे.
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 की पहली तिमाही में होने हैं. आम आदमी पार्टी की उम्मीदें कांग्रेस में हुए विवादों के बाद और बढ़ी हैं. ऐसे में उनका आक्रामक होना समझ आता है. लेकिन अच्छी बात यह है कि बाकी मुद्दों के साथ पढ़ाई पर खास ध्यान दिया जा रहा है. ऐसा नहीं है कि वो बातें नहीं हो रही हैं, जो किसी भी चुनाव में होती हैं. ऐसा भी नहीं है कि 'बिलो द बेल्ट' हमले नहीं होंगे. लेकिन इनके बीच अगर पढ़ाई की भी बात होती है, तो इसका स्वागत होना चाहिए.
दिल्ली और पंजाब के स्कूलों में बेहतर बनने की लड़ाई लोगों के लिए अच्छी है.
दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने लगातार सरकारी स्कूलों को 'वर्ल्ड क्लास' बना देने का दावा किया है. सरकारी स्कूलों को वे बाकायदा अपनी विज्ञापन रणनीति में इस्तेमाल करते रहे हैं. पीटीएम जैसी चीज को भी उन्होंने बाकायदा मुद्दा बनाया था. कुछ दिन पहले मेंटॉरशिप प्रोग्राम का भी विज्ञापन जोर-शोर से हुआ है. इन सब पर दिल्ली सरकार को वाह-वाही भी मिली है.
इसी को अब वे पंजाब में आगे बढ़ाना चाहते हैं. स्कूलों को लेकर केजरीवाल के हमले के बाद परगट सिंह सामने आए. उन्होंने पंजाब के स्कूलों पर अपनी बात रखी. फिर मनीष सिसोदिया ने परगट को दिल्ली आमंत्रित किया कि वे आएं और साथ में दिल्ली सरकार के दस स्कूलों का दौरा करें. इसके साथ ही साथ में पंजाब के दस स्कूलों में जाने की भी बात की. परगट ने जवाब में दस की जगह 250 स्कूल चुनने की बात की और एक के बाद एक ट्वीट किए. मनीष सिसोदिया ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके 250 स्कूलों की सूची जारी कर दी. उन्होंने स्कूलों के वीडियो भी जारी किए.
ये सब हो सकता है कि किसी को मामूली लगे. लेकिन अगर दो पार्टियां शिक्षा पर एक-दूसरे के सामने हैं. खुद को दूसरे से बेहतर बता रही हैं, तो यकीन मानिए कि यह हमारे और आपके बच्चों के लिए बहुत अच्छी खबर है. जिस समय प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना किसी मिडिल क्लास परिवार के लिए मुश्किल से मुश्किल होता जा रहा है, उस समय अगर दो राज्य सरकारें इस दावे पर लड़ रही हैं कि उनके पास बेहतर सरकारी स्कूल हैं, तो यह शुभ संकेत है.

अच्छी बात यह भी है कि ट्वीट की भाषा बहुत अच्छी है. फैक्ट्स रखने के दावे हो रहे हैं. जैसे परगट सिंह ने अपने ट्वीट में पांच पैरामीटर्स पर पंजाब के स्कूल बेहतर होने के दावे किए. यह भी दावा किया कि पंजाब में साढ़े 24 बच्चों पर एक टीचर है, जबकि दिल्ली में 35 बच्चे पर एक है. दिसंबर में 20 हजार शिक्षकों को नौकरी देने की बात भी की है.

जिस तरह मनीष सिसोदिया और आतिशी को दिल्ली में स्कूलों को बेहतर बनाने का चेहरा माना जाता है, उसी तरह परगट सिंह ने कुछ साल पहले स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम किया था. एक तरह से पूरे पंजाब को बदलने वाला नाम उन्हें माना जाता था. भले ही अभी यह दूर की कौड़ी हो, लेकिन अगर स्कूलों के नाम पर चुनाव लड़े जाने लगे, तो कितना फायदा होगा. अगर स्कूल कितने बेहतर हैं, उससे पार्टियों का भविष्य तय हो, तो यह देश के भविष्य के लिए कितना बेहतर होगा. यह एक अच्छी पहल है. इसे तभी आगे बढ़ाया जा सकता है, अगर इसमें हम और आप जुड़ें. जिस दिन सारी राजनीतिक पार्टियों को यह लगने लगेगा कि शिक्षा या स्वास्थ्य पर चुनाव जीते जा सकते हैं, तो इन पर ध्यान बढ़ेगा… और वह दिन हमारे और आपके लिए बहुत खास होगा.
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