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विश्वास, अविश्वास और अंधविश्वास भारतीय मन की कमजोरियां भी हैं और खूबियां भी
पं. विजयशंकर मेहता
विश्वास, अविश्वास और अंधविश्वास भारतीय मन की कमजोरियां भी हैं और खूबियां भी। हमारे देश ने ज्योतिष को बहुत मान दिया है। वैसे तो भविष्य को लेकर पूरी दुनिया भयभीत है, लेकिन भारत जब ज्योतिष पर टिकता है तो इसे केवल अंधविश्वास नहीं, भविष्य के प्रति सावधानी के लिए एक विज्ञान भी मानता है। हमारे यहां अंगशास्त्र चलता है जिसे सामुद्रिक शास्त्र भी कहते हैं।
इसमें मुखमंडल और शरीर की आकृतियों का गहन अध्ययन किया जाता है। उत्तर कांड में राम आगमन से पूर्व भरतजी के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा था। 'भरत नयन भुज दच्छिन फरकत बारहिं बार। जानि सगुन मन हरष अति लागे करन बिचार।।' भरतजी की दाहिनी भुजा और आंख बार-बार फड़क रही थी, जिसे शुभ शकुन जानकर उनके मन में अत्यंत हर्ष होने लगा। आज भी ऐसा माना जाता है कि आंख व भुजा फड़कने का संबंध शुभ-अशुभ से होता है।
किसका कौन-सा अंग फड़कने का क्या संकेत होता है, इसका वर्णन सामुद्रिक शास्त्र में आता है। आंख या भुजा के फड़कने को विश्वास से जोड़ें, अविश्वास से या अंधविश्वास से, यह आपके ऊपर है, लेकिन यह तय है कि शरीर के हर अंग की हरकत सीधे मन पर प्रभाव डालती है और उससे हमारी मानसिकता बनती है। शुभ-अशुभ एक मानसिकता है, भविष्य के प्रति सावधानी का संकेत है।
Rani Sahu
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