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- भगवान की कृत्रिम...

कोई न कोई सवाल हर सदी में रहा है और इसीलिए सदी के हर सवाल को उठाने वालों ने बुद्धि का इस्तेमाल किया होगा। अब बात अलग है। न सवाल उठाने के लिए बुद्धि खर्च होती है और न ही जवाब देनें में बुद्धि दिखाई दे रही है। बुद्धि का इस्तेमाल करने वाले जहां कहीं भी हैं या होंगे, उनके लिए इससे बड़ा अभिशाप नहीं। पहले ही अर्बन नक्सल टाइप लोग पहचाने गए हैं, जिन्होंने बुद्धि आजमाते हुए न जाने कितने कॉफी के कप तोड़ दिए। बुद्धि का मुकाबला हमेशा बुद्धि से ही रहा है, इसीलिए वार्षिक परीक्षाओं में फेल होने का अर्थ यह रहा है कि पेपर चैक करने वाले ने बुद्धि का कहीं अधिक प्रयोग कर दिया। देश के लिए बुद्धि वाले ही अलोकतांत्रिक और राष्ट्र विरोधी माने जाने चाहिएं। बुद्धि इतनी शक्तिशाली होती, तो चुन लेती अपने अनुरूप विधायक। ये काम ते वही कर सकते हैं, जो चुनते वक्त दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते। सही सौदा घर के लिए हो या देश के लिए, बुद्धि को एकदम किनारे लगा कर ही होगा।
