सम्पादकीय

गोवा: पर्यटन मंत्री के बिगड़े बोल, भगवान बचाए इस खूबसूरत जगह को ऐसे नेताओं से

Rani Sahu
24 Oct 2021 7:46 AM GMT
गोवा: पर्यटन मंत्री के बिगड़े बोल, भगवान बचाए इस खूबसूरत जगह को ऐसे नेताओं से
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गोवा के पर्यटक मंत्री मनोहर अजगांवकर का हाल ही में एक बड़ा विवादास्पद और हास्यास्पद बयान आया कि वह गोवा में सिर्फ अमीर पर्यटक ही चाहते हैं

अजय झा गोवा के पर्यटक मंत्री मनोहर अजगांवकर का हाल ही में एक बड़ा विवादास्पद और हास्यास्पद बयान आया कि वह गोवा में सिर्फ अमीर पर्यटक ही चाहते हैं ना कि ऐसे पर्यटक जो ड्रग्स लेते हैं और बसों में आते हैं और बस में या सड़क किनारे खाना बनाते हैं.

इससे पहले कि इस बयान पर आगे चर्चा करें पहले एक नज़र अजगांवकर की पृष्टभूमि पर डालते हैं. पिछले19 वर्षों से राजनीति में हैं पर अब तक किसी के नहीं बन सके हैं सिवाय कुर्सी के. राजनीतिक पारी की शुरुआत काग्रेस पार्टी से की, फिर बीजेपी में शामिल हो गए, फिर वापस कांग्रेस में गए, 2017 के विधानसभा चुनाव के पूर्व स्थानीय महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी में शामिल हो गए और बीजेपी के नेतृत्व में गठित मिलीजुली सरकार में मंत्री बने. एमजीपी के तीन विधायक चुने गए थे. बीजेपी से गुपचुप डील की और एमजीपी के एक और विधायक दीपक पावस्कर के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी को दो विधायक मिल गए और अजगांवकर दल बदल कानून के दायरे में आने से भी बच गए और उपमुख्यमंत्री का ओहदा भी मिल गया, जैसे किसी अंधे के हाथ बटेर लग गया हो. कब तक बीजेपी के बने रहंगे यह तो शायद अजगांवकर को भी नहीं पता होगा.
1960 के दशक की वापसी चाहते हैं
अजगांवकर अपने बयानबाजी से अक्सर चर्चा में रहते हैं, पर इस बार उन्होंने पर्यटकों के औकात की बात की है जिससे गोवा की जनता भी उनसे खफा है. अजगांवकर के अनुसार वह 1960 के दशक की वापसी चाहते हैं, जब गोवा में सिर्फ अमीर पर्यटक ही आते थे. 1961 में गोवा भारत का हिस्सा बना था. 1960 के दशक में वैसे भी सिर्फ गिने चुने अमीर भारतीय ही पर्यटन करने जाते थे या फिर सरकारी कर्मचारी जिन्हें LTC मिलती थी. पर्यटन का रिवाज़ भारत में पिछले 20-25वर्षोंमें ही बढ़ा है. एक ज़माना वह भी था जब सर्दी के मौसम में शिमला, नैनीताल और मसूरी जैसे पर्यटक स्थलों में कोई नहीं जाता था. इक्का दुक्का होटल ही खुला होता था. जाहिर सी बात है कि 60 के दशक में बजट टूरिज्म का प्रचलन नहीं था. जिनके पास पर्याप्त पैसे नहीं होते थे वह दूसरे शहरों में अपने रिश्तेदार के यहां ही घूम कर खुश हो जाते थे.
अजगांवकर ने बिलकुल दुरुस्त बात की कि गोवा को ऐसे पर्यटकों की जरूरत नहीं है जो ड्रग्स लेते हैं. पर मंत्री महोदय, गोवा यूं ही नहीं देश-विदेश में ड्रग्स के लिए मशहूर हैं क्या? वहां ड्रग्स का धंधा स्थानीय प्रशासन के संरक्षण में चलता है. और यह किसने कह दिया कि सिर्फ बजट टूरिस्ट ही गोवा जाकर ड्रग्स लेते हैं. रेव पार्टी में कोई बजट टूरिस्ट जाने की सोच भी नहीं सकता है. पूरे टूरिस्ट सीजन यानि अक्टूबर से मार्च के बीच में गोवा में रेव पार्टी का होना आम बात है.
हजारों रूसी सैलानियों का क्या होगा?
अगर बजट टूरिस्ट पर प्रतिबन्ध लगाने में अजगांवकर सफल हो भी गए तो फिर रूस से आने वाले उन हजारों सैलानियों का क्या होगा? हजारों-लाखों की संख्या में वे सर्दी के मौसम में चार्टर्ड प्लेन से गोवा आते हैं, दो वर्षों के बाद 15 नवम्बर से फिर से गोवा में चार्टर्ड प्लेन आने शुरू हो जाएंगे. वह होटलों में नहीं रहते, बल्कि पूरे सीजन के लिए किराये कर फ्लैट लेते हैं, उनका पैसा बचता है और स्थानीय लोगों की कमाई होती है. होटलों में तो पैसे वाले टूरिस्ट ही रहते हैं क्योकि टूरिस्ट सीजन में होटल इतना महंगा हो जाता है कि बजट टूरिस्ट किसी बड़े या अच्छे होटल में रहने का सपना भी नहीं देख सकता. हां, छोटे, सस्ते होटल भी होते हैं जहां भारतीय पर्यटक दो-तीन दिन रहने की हिम्मत कर पाते हैं.
गोवा सरकार ने सड़क पर या समुद्र तट पर खाना बनाना प्रतिबंधित कर रखा है, और बीच पर शराब ले जाना भी मना है. कारण है पर्यटक वहां शराब पी कर कांच की बोतल इधर उधर फेंक देते थे. गंदगी तो फैलती ही थी, कांच के टूटे बोतल दूसरों के लिए खतरनाक बन जाता था. गोवा के समुद्री तट पर शैक होते है जहां बैठ कर पर्यटक शराब पी सकते हैं. बीच पर या सड़क कर खाना बनाते या शराब पीते पकड़े जाने पर 2,000 के जुर्माने का प्रावधान है.
टूरिस्ट को प्रतिबंधित कैसे किया जा सकता है?
मंत्री महोदय 1960 का दशक ही क्यों, अगर गोवा से आम भारतीयों को दूर ही रखना है तो 1950 के दशक वाला प्रतिबन्ध लगा दें. दिसम्बर1961 में भारत में विलय होने से पहले गोवा पर 450 वर्षों का पुर्तगाल का राज था. उस समय वहां या तो यूरोपीय पर्यटक आते थे या फिर अमीर भारतीय जिनके पास पासपोर्ट होना लाजिमी था. गोवा में प्रवेश करने के लिए वीजा लेना जरूरी होता था, जैसे किसी विदेश भ्रमण करने के लिए जरूरी होता है.
क्या अजगांवकर को पता नहीं कि भारत में किसी भी भारतीय को कहीं जाने, रहने या नौकरी-व्यापार करने की आज़ादी है. अगर गोवा भारत का हिस्सा है तो वहां बजट टूरिस्ट को प्रतिबंधित कैसे किया जा सकता है?
पर्यटकों के अमीर, माध्यम और गरीब श्रेणी में बांटने और उन्हें उनकी औकात याद दिलाने की जगह अजगांवकर जैसे मंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गोवा में सभी पर्यटक सुरक्षित महसूस करें और जो भी स्थानीय नियमों का उल्लंघन करते पाया जाए उसका चालान काटने को कोई कोताही न बरती जाए. और अगर हो सके तो ऐसे बिना पेंदी के लोटे जैसे नेताओं को मंत्री ना बनाया जाए ताकि गोवा का नाम देश-विदेश में बदनाम होने से बच सके.


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