सम्पादकीय

Goa Assembly Election : चुनाव के बाद पार्टी में फिर फूट की आशंका ने कांग्रेस को घेरा

Gulabi
3 Feb 2022 1:54 PM GMT
Goa Assembly Election : चुनाव के बाद पार्टी में फिर फूट की आशंका ने कांग्रेस को घेरा
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चुनाव के बाद पार्टी
अजय झा.
कांग्रेस के सीनियर लीडर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के गोवा दौरे को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है. 2 फरवरी के बजाए अब वह यहां 4 फरवरी को जाएंगे. गोवा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. मंगलवार को पार्टी ने बताया कि गांधी ने कुछ संसदीय कार्यों की वजह से के दौरा स्थगित किया है. साथ ही 3 फरवरी को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का उनका दौरा तय था, जहां उन्हें शहीद स्मारक का शिलान्यास करना है. चुनावों की घोषणा के बाद, राहुल गांधी की यह पहली गोवा (Goa) यात्रा होगी. इसके पहले वह अक्टूबर में गोवा गए थे. अपने गोवा दौरे के दौरान, राहुल पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. साथ ही वह गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सैंक्यूलिम विधानसभा सीट में एक वर्चुअल मीटिंग भी करेंगे और 14 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ( Congress Party) का मेनिफेस्टो (चुनावी घोषणा पत्र) जारी करेंगे. इसके अलावा वह यहां पार्टी कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश देंगे. गोवा विधानसभा की 40 सीटों में से कांग्रेस 37 सीट पर चुनाव लड़ रही है. 3 सीटों को उसने अपनी स्थानीय गठबंधन साथी गोवा फारवर्ड पार्टी के लिए छोड़ा है.
चुनावी राज्य गोवा में, उधर आम आदमी पार्टी ने पूरी तरह से कमर कस ली है, पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने लोगों से आह्वान किया है कि वे किसी दूसरी विपक्षी पार्टी को वोट देकर अपना मत जाया न करें. मंगलवार को केजरीवाल यहां चार दिवसीय दौर पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि गोवा के वोटर्स के पास या तो AAP को वोट करने या फिर बीजेपी को मत देने का विकल्प है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी या फिर किसी दूसरी विपक्षी पार्टी को वोट देने का मतलब राज्य में बीजेपी को मजबूत करना है.
AAP की रणनीति
केजरीवाल ने 2017 और 2019 के बीच कांग्रेस पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) के विधायकों के बड़े पैमाने पर बीजेपी में पलायन का जिक्र किया और कहा कि कांग्रेस पार्टी के विधायक हमेशा "बिक्री" के तैयार होते हैं. इस दौरान केजरीवाल की उपस्थिति में AAP के सभी उम्मीदवारों ने बुधवार को यह शपथ ली कि यदि उनकी पार्टी 14 फरवरी को होने वाले चुनावों में विजय हासिल करती है तो वे अपनी पार्टी और वोटरों को नहीं छोड़ेंगे. केजरीवाल ने कहा कि पार्टी के उम्मीदवारों ने इस संबंध में शपथपत्र दिए हैं, यदि चुनाव के बाद कोई उम्मीदवार अपना पाला बदलता है तो मतदाता इस शपथपत्र के आधार पर उनकी अयोग्यता की मांग करते हुए कोर्ट का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं.
माना जा रहा है कि AAP के इस तिकड़मबाजी के पीछे अपने आपको चुनावी दौड़ में बनाए रखने का हताशा भरा प्रयास है, क्योंकि उसे लगता है कि 2017 के चुनाव के बाद खाली हाथ रहने के बाद इस बार भी वह लोकप्रियता के चार्ट में निछले पायदानों पर है.ऐसा लगता है कि गोवा में AAP किनारे होती जा रही है क्योंकि यहां फिर से हिंदू और ईसाई मतदाताओं के बीच विभाजन होने लगा है, जिसकी अगुवाई बीजेपी और कांग्रेस पार्टी कर रही है.
क्या यह दो पक्षीय लड़ाई की वापसी है?
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, यह साफ होता जा रहा है कि इस राज्य में सत्ता की लड़ाई प्रमुख रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच हो रही है, जबकि AAP, तृणमूल कांग्रेस-MGP गठबंधन और NCP-शिव सेना गठबंधन केवल अपने अस्तित्व को बचाए रखने का प्रयास कर रहे है. अब ऐसा लग रहा है कि TMC, जिसने बीते सितंबर में बड़े जोर-शोर के साथ गोवा की राजनीति में अपना दांव लगाने की घोषणा की थी, ने अपने पैर पीछे खींच लिए हैं क्योंकि यह साफ हो गया है कि दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं को अपने यहां लाकर राजनीतिक ताकत बढ़ाने की उसकी कोशिश काम नहीं कर रही है, इसकी वजह विश्वास में कमी को माना जा रहा है.
TMC प्रमुख ममता बनर्जी जिन्होंने चुनाव के पहले कई बार गोवा का दौरा किया, अब वहां नजर नहीं आ रही हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि उनकी पार्टी को वहां अपने भाग्य के बारे में पता चल चुका है.
TMC का प्रयास
बीते महीने जैसे ही चुनाव आयोग ने गोवा के लिए चुनावी तारीखों की घोषणा की, TMC ने अपनी निराशा को छुपाने का प्रयास किया, इसके लिए उसने सभी पार्टियों से आह्वान किया कि बीजेपी को हराने के लिए वे एक मंच पर आएं. लेकिन, कांग्रेस पार्टी ने इस पर हल्की प्रतिक्रिया दी, जिसके कारण टीएमसी के गैर-गोवा कार्यकर्ता राज्य छोड़ने पर मजबूर हो गए.
अब पार्टी ने अपने भाग्य को टीएमसी के साथ आए कुछ नेताओं के ऊपर छोड़ दिया है. ऐसा लगता है कि टीएमसी अब, गठबंधन की पेशकश को ठुकराने की वजह से, कांग्रेस को सबक सीखना चाहती है.टीएमसी की उदासीनता और AAP की कम होती संभावनाओं ने कांग्रेस को यहां नया जीवन दे दिया है. जब कांग्रेस के 17 में से 15 विधायकों ने दूसरी पार्टियों का दामन थाम लिया था, तब उसे बुरा झटका लगा था. 13 विधायक तो बीजेपी के साथ चले गए थे.
राहुल की देरी
4 फरवरी को राहुल गांधी गोवा दौरे पर पहुंचने वाले हैं, जहां वे कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करेंगे और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे. उनके दौरे से उम्मीद है कि इससे पार्टी चुनावी मैदान में वापस लौट पाएगी. अब यह बहस होना तय है कि क्या गोवा अभियान में गांधी परिवार की देर से हुई एंट्री पार्टी को बीजेपी से आगे ले जाने में मदद करेगी, या फिर पार्टी इस बात पर अफसोस कर सकती है हालात को लंबे वक्त तक खराब होने देने से मैदानी स्तर पर बड़ा बदलाव लाने में देर हो गई.
(डिस्क्लेमर: लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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