सम्पादकीय

कोरोना वायरस का टीका चाहिए, तो भारत जाइए

Gulabi
5 March 2021 12:21 PM GMT
कोरोना वायरस का टीका चाहिए, तो भारत जाइए
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यूरोप-अमेरिका में कोरोना का हाहाकार अब भी अपने चरम पर है

यूरोप-अमेरिका में कोरोना का हाहाकार अब भी अपने चरम पर है। टीकाकरण अभियान शुरू हो गए हैं, पर नंबर आने में काफी समय लगता है। इसलिए गांठ के पूरे अधीर अमीर भारत की ओर देखने लगे हैं। पश्चिमी मीडिया इन दिनों एक अजीब धर्मसंकट में पड़ गया है। भारत को वह अब तक या तो अनदेखा करता या फिर उसकी खिल्लियां उड़ाता और सता-धिक्कारता ही रहा है। वह यह उम्मीद कर रहा था कि कोरोना-संकट भारत को और साथ में मोदी को भी ले डूबेगा। अब न केवल दोनों में से कुछ भी होता नहीं दिखता, बल्कि भारत दुनिया भर में अपने टीके भेजकर पश्चिम जगत को लज्जित कर रहा है। यही नहीं, पश्चिमी देशों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो अपने टीके की बाट जोहने के बदले सीधे भारत जाकर टीका लगवाने के लिए अधीर हो रहे हैं। भारत में अभी दो वैक्सीन-कोवाक्सिन और कोविशील्ड को मान्यता मिली है और वहां टीकाकरण अभियान दूसरे चरण में पहुंच चुका है।

ब्रिटेन का 'नाइटब्रिज सर्कल' धनी-मानी लोगों का एक बहुत ही विशिष्ट 'टूरिज्म और लाइफ-स्टाइल क्लब' है। उसकी सदस्यता पाने के लिए हर साल लगभग पैंतीस हजार डॉलर सदस्यता-फीस देनी पड़ती है। अपने ऐसे सदस्यों के लिए, जो कोरोना वायरस से बचाव का टीका लगवाने के लिए बहुत आतुर हैं, उसने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और भारत यात्रा के पैकेज बनाए हैं। क्लब के संस्थापक स्टुअर्ट मैकनील ने ब्रिटिश दैनिक द टेलीग्राफ से कहा, 'हम अपने सदस्यों के लिए एक स्विमिंग पूल, एक रसोइए और नौकर-चाकर वाला एक सुंदर बंगला बुक करेंगे। पहुंचते ही उन्हें पहला टीका लगेगा और फिर वे दूसरे टीके की प्रतीक्षा करेंगे।' प्रतीक्षा के दैरान जो सदस्य भारत में ही रहना चाहेंगे, वे पूरे समय वहीं रह सकते हैं। दूसरे सदस्य दूसरा टीका लगने तक मडागास्कार में अपना समय बिताएंगे।
मैकनील का यह भी कहना है कि उनके क्लब के सदस्य ब्रिटेन में ही नहीं, अन्य देशों में भी हैं। कई के पास अपने निजी जेट विमान हैं। वे टीका लगवाने को छुट्टी मनाना मानकर कहीं भी जाने को तैयार हैं। इसीलिए उत्तरी अफ्रीका के अरबी देश मोरक्को के शहर मराकेश जाने और वहां भारत से आए एस्ट्रा-जेनेका का टीका लगवाने की भी व्यवस्था की गई है। भारत हो या मोरक्को, विमान से वहां आने-जाने, रहने, घूमने-फिरने और टीके को मिला कर कुल खर्च करीब 55 हजार डॉलर बैठता है। इसके बावजूद मैकनील के क्लब को सदस्यता पाने के लिए इतने ढेर सारे आवेदन मिलने लगे कि उसे नई सदस्यताएं बंद करनी पड़ीं। एस्ट्रा-जेनेका का टीका परीक्षण के तीसरे चरण में उतना कारगर नहीं सिद्ध हुआ था, जितना बायोनटेक या मॉडेर्ना का। लेकिन एस्ट्रा-जेनेका का टीका लगा होने पर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत लगभग न के बराबर आती है। भारत इस
टीके का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक है। शायद यही कारण है कि अपने देशों में लॉकडाउन से ऊब गए लोग लंबी प्रतीक्षा के बदले एस्ट्रा-जेनेका का टीका लगवाना बेहतर समझने लगे हैं।
इस बीच, भारत में भी ऐसी कई ट्रैवल एजेंसियां उभर रही हैं, जो भारतीयों को विदेशों में कोरोना से बचाव के टीके लगवाने और वहां की सैर कराने के आश्वासन दे रही हैं। कोलकाता की 'जेनिथ लेश्जर हॉलिडेज' एक ऐसी ही ट्रैवल एजेंसी है। उसके प्रमुख मनोज मिश्रा ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए से कहा कि वे भारतीय पर्यटकों की एक साथ दो इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं-रोमांच और स्वास्थ्य। उनकी एजेंसी 2,800 यूरो, यानी लगभग ढाई लाख रुपये में ब्रिटेन, रूस या अमेरिका की यात्रा करवाएगी। इस राशि में दो बार लंदन, चार स्टार होटल, वीजा फीस, संक्रमण से बचाव के लिए सेनिटाइजेशन आदि का पूरा खर्च शामिल होगा। मनोज मिश्रा ने यह दावा किया कि 800 लोगों ने इंटरनेट के माध्यम से अग्रिम रिजर्वेशन किए हैं और डेढ़ हजार लोगों ने फोन कर पूछताछ की है।
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