सम्पादकीय

गांधी संदेश का वैश्विक महत्त्व

Rani Sahu
1 Oct 2021 6:47 PM GMT
गांधी संदेश का वैश्विक महत्त्व
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गांधी विचार ऐसा विचार है जो भारतीय चिंतन परंपरा की कोख से जन्मा, सनातन संदेश लिए है

गांधी विचार ऐसा विचार है जो भारतीय चिंतन परंपरा की कोख से जन्मा, सनातन संदेश लिए है। जिसकी खोज का मुख्य विषय मानव मात्र के लिए सुख, शांति, समृद्धि और संतोषपूर्ण जीवन की परिकल्पना को धरती पर साकार करना है। हर मानव चाहे जहां का भी हो, अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि तो चाहता ही है। और संतोष उसे सामाजिक ईर्ष्या से बचाने का मंत्र है। दूसरे के सुख को छीनने की इच्छा ईर्ष्या से ही पैदा होती है। यहीं से एक कबीले द्वारा दूसरे कबीले पर किए जाने वाले आक्रमण शुरू होते हैं और आगे बढ़ते-बढ़ते जैसे-जैसे शासन व्यवस्थाओं का विकास होता गया, वे एक राजा द्वारा दूसरे राजा पर आक्रमण करके उसकी समृद्धि को छीनने की दिशा में बढ़ चले। आधुनिक समाज में इसका आक्रमण दोधारी हो गया है। एक तो व्यापारिक दांव पेच का युद्ध और दूसरा आधुनिक परम विध्वंसक सैनिक शक्ति का उपयोग।

कुछ लोग आज भी धार्मिक गठजोड़ बना कर सारी दुनिया पर हुकूमत के सपने संजोते रहते हैं। इस तरह की सोच के चलते मानव जगत की बुनियादी आशा, सुख, शांति और समृद्धि से जीवन यापन कर सकने की कैसे पूरी हो, जब कि हर कोई दूसरे की सुख, शांति, समृद्धि को ईर्ष्या वश छीनने की योजनाओं में लगा हो। मध्य कालीन बर्बर आक्रमणकारियों से लेकर आज के सभ्य समाजों तक इस तरह के दमनकारी और लूट खसूट पर आधरित तंत्र सुख, शांति की स्थापना के नाम पर ही फलते-फूलते रहे हैं। लोगों को झूठे आश्वासनों के दम पर मूर्ख बना कर छला जाता रहा है कि बस हमारे विचार की शासन व्यवस्था आ जाने के बाद स्वर्ग धरती पर उतरने वाला है। बस एक बार अपने से भिन्न लोगों का दमन कर लो। धर्म युद्धों से लेकर औपनिवेशिक दमन और शीत युद्धों तक यही लालच दिखाया जाता रहा है। हम और हमारा देश या धर्म जब अन्य का दमन कर लेगा तो स्वर्ग का साम्राज्य धरती पर उतर आएगा।
इस तरह हर कोई हर किसी का दमन करने में जुट जाता है। छीनने में लग जाता है। और यह होता है हिंसक शक्ति के बलबूते पर। तर्क और विचार हिंसा के सामने हमेशा बौने ही साबित हुए हैं। लेकिन गांधी ने इस चिंतन धारा से भिन्न रास्ता पकड़ा। गांधी ने कहा कि जैसा साधन आप समाज को घड़ने के लिए उपयोग करेंगे वैसा ही समाज बन जाएगा। हिंसा से लाए गए परिवर्तन हिंसक समाज की ही रचना करेंगे जहां सुख, शांति और समृद्धि खोजना बेमानी है। इसलिए गांधी ने अहिंसा को परिवर्तन का साधन बनाने की बात की। दूसरी बड़ी बात जो सारी प्रचलित धारणाओं से हट कर थी कि राजनीतिक जीवन में भी सत्य ही व्यवहार का मार्ग होना चाहिए। आम धारणा तो राजनीति में साम, दाम, दंड, भेद के उपयोग की है। जब हम किसी को धोखा देंगे तो वह हमें धोखा क्यों नहीं देगा। इसलिए आपसी विश्वास को दृढ़ करने और सुख, शांति, समृद्धि की टिकाऊ प्राप्ति के लिए सत्य मार्ग ही श्रेयस्कर है। गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में यह अभिनव प्रयोग करने का साहस किया। अपने आप में यही बहुत बड़ी बात है। आज हम बहस कर सकते हैं कि आज़ादी की लड़ाई में गांधी का योगदान ज्यादा रहा या दूसरे क्रांतिकारी और सुभाष चंद्र बोस के सैनिक प्रयासों का। गांधी जी की भाषा में कहें तो एक पत्थर को तोड़ने में यदि सौ चोट घन की लगती हैं तो निन्यानवे चोटों ने उस पत्थर को कमजोर कर दिया था और सौवीं चोट से वह प्रकट में टूट गया। वह सौवीं चोट निःसंदेह गांधी के सत्य अहिंसा के शस्त्र की ही थी। इससे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का गौरव कम नहीं होता, बल्कि सार्थक-सकारात्मक सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन के लिए एक नया शस्त्र हमें मिल गया। गांधी ने कभी यह दावा नहीं किया कि उन्होंने कोई अंतिम सत्य खोज लिया है, बल्कि उन्होंने अपनी आत्म कथा को 'मेरे सत्य के प्रयोग' कहा। यानी यह एक रास्ता है। इस रास्ते पर आगे से आगे खोज की जानी चाहिए। दुनिया में कई निहत्थे समाजों को शक्तिशाली साम्राज्यों से लड़ने की ताकत इस विचार ने दी। गांधी ने जो ठीक समझा उसे जीने का प्रयास किया, चाहे अस्पृश्यता के विरुद्ध उनका संघर्ष हो या आर्थिक पुनरुत्थान की बात हो। कुटीर उद्योगों को हर हाथ को काम देने के मंत्र के रूप में अपनाने पर जोर दिया। गांधी ने तकनीक की राजनीति को समझा, कि मशीनीकरण से लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसलिए ऐसी मशीन को उन्होंने ठीक माना जो आदमी के हाथ का काम न छीने, परंतु काम को आसान बना दे। शरीर श्रम को एक व्रत के रूप में जीवन में स्थान देने का आग्रह किया, ताकि श्रम और पूंजी का टकराव कम हो और शोषण मुक्त समाज की रचना हो और अहिंसक अर्थव्यवस्था की नींव पड़े।
गांधी ने प्रकृति के सीमित संसाधनों में बेहतरीन जीवन जीने की कला विकसित करने की बात कही। उनका यह उद्घोष आज पर्यावरण रक्षा के लिए सबसे उत्तम सूत्र वाक्य है, कि प्रकृति के पास सबकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन हैं, किंतु किसी के लालच की पूर्ति के लिए कुछ भी नहीं है। जलवायु परिवर्तन और संसाधनों के लिए वैश्विक टकरावों को झेल रहा आज का वैश्विक समाज गांधी विचार में समाधान तलाश सकता है। आज़ादी की लड़ाई में गांधी का सबसे बड़ा योगदान यह था कि गांधी ने आज़ादी की लड़ाई को आम आदमी की अपनी लड़ाई बना दिया। बहुत से लोग आज गांधी को नीचा दिखाने के चक्कर में रहते हैं। कुछ गांधी के राजनीतिक वारिसों द्वारा की जा रही गलतियों या उनके नाम के दुरुपयोग के कारण ही आज की दलगत राजनीति में गांधी के नाम को घसीटने की कोशिश करते रहते हैं। गांधी एक विचार है जिसका मूल्यांकन तर्क और सामयिक परिस्थितियों के सुधार की क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए। मतभेद हो, पर अपने नायकों को नीचा दिखाने की दुर्वृत्ति न हो। इससे अपने ही हाथों अपनी हानि करने की मूर्खता का ही पोषण होता है। आज गांधी जयंती पर पुण्य स्मरण के साथ सीखने योग्य को आत्मसात करने का प्रयास शुरू करें।-
कुलभूषण उपमन्यु
अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान


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