सम्पादकीय

रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद के बिना किसी को उपहार देना और बिना उम्मीद के परवाह करना ही है एक खूबसूरत शख्सियत की परिभाषा

Gulabi
28 Feb 2022 8:27 AM GMT
रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद के बिना किसी को उपहार देना और बिना उम्मीद के परवाह करना ही है एक खूबसूरत शख्सियत की परिभाषा
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उसने इलाके में पोस्टर बांटे और जनवरी 2022 तक सोशल मीडिया पर ढेरों पोस्ट लिखीं
एन. रघुरामन का कॉलम:
इस गुरुवार को विश्वासघात करते हुए यूक्रेन पर हमला करने के बाद 69 साल के व्लादीमिर पुतिन की शांत-दृढ़ निश्चयी शख्स वाली छवि तार-तार हो गई। चतुराई से खतरे मैनेज करने के साथ दुनिया के सबसे बड़े देश को कुशलता से संभालने में योग्य शख्स वाली छवि भी ढह गई। अब वक्त ही बताएगा कि इस कदम से कितनी जिंदगियां खत्म हो गईं। कितने परिवारों का जीवन हमेशा के लिए पूरी तरह तबाह हो जाएगा।
वहीं ठीक उसी गुरुवार को मुंबई की रहने वाली 29 वर्षीय रुचि सिंघी 300 किमी दूर अपने स्ट्रे डॉग का पता लगाने में कामयाब रहीं, वह पिछले तीन महीने से हर जगह उसे खोज रही थीं। इस डॉग के लापता होने और मिलने की कहानी सच में सही अर्थों में इंसानियत दिखाती है। शिवाजी पार्क का इलाका मुंबई के पॉश इलाकों में से है, जहां तेंदुलकर व ठाकरे जैसे लोगों के घर हैं।
ये पार्क खुद कई नवोदित क्रिकेटर्स का घर है और भारतीय टीम को बेस्ट खिलाड़ी यहां से मिले हैं। यहां के समुद्री तट भीड़-भाड़ के बावजूद सबसे साफ होते हैं। 6 दिसंबर 2021 को आम्बेडकर पुण्यतिथि मना रहे लोगों के कारण यहां भीड़ कुछ ज्यादा थी, इस बीच रुिच ने देखा कि ब्लैक मिक्स्ड ब्रीड का डॉग 'बघीरा' गायब है। 2018 में कोई इसे शिवाजी पार्क में छोड़ गया था और मोगली के पात्र की तरह दिखने के कारण इसका बघीरा नाम पड़ गया।
तब से वह बहुत लोकप्रिय हो गया, क्योंकि उसने कभी किसी को नहीं काटा और कमजोर कुत्तों की ढाल बना। रोजमर्रा के खाने के समय भी रुचि को बघीरा नहीं दिखा, तब उसने इलाके के सीसीटीवी फुटेज देखे और पाया कि कुछ युवा उसे बाइक पर ले गए हैं। बाइक के नंबर से उसने किसी तरह मुंबई के उस पश्चिमी उपनगर साकी नाका का पता लगाया, जब वहां पहुंची तो उसे बताया गया कि कुत्ता घर से भाग गया है।
उसने इलाके में पोस्टर बांटे और जनवरी 2022 तक सोशल मीडिया पर ढेरों पोस्ट लिखीं, इस बीच उसे एक टमाटर विक्रेता का मैसेज आया कि वह कुत्ता सड़क पर मिला था और फिर उसे वहां से 185 किमी दूर, उसके टमाटर के खेत नासिक ले गए हैं। वह सीधा वहां गई और वहां भी सुनने मिला कि यहां से भी भाग गया। उसने फिर से नासिक में भी पोस्टर्स-बैनर्स बांटे।
कुछ समय तक कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और इस तीर्थ स्थान वाले कस्बे में काला कुत्ता खोजना आसान नहीं था। नासिक में रहने वाले कुछ दोस्त इस मुहिम में जुड़े और ब्रोशर्स-तस्वीरें फैलाने में मदद की। इस गुरुवार रात नासिक से 70 किमी दूर संगमनेर से फार्म मालिक बनवड़े का फोन आया और बताया कि उन्हें बघीरा मिल गया है और उनके फार्म हाउस पर सुरक्षित है।
रुचि तुरंत अपने दोस्तों नीता, पात, प्रिया, धनाश्री के साथ वहां के लिए निकल गई और तीन महीने बाद आखिरकार बघीरा मिल गया। 400 डॉग्स पर किए शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि चूंकि डॉग्स भी अपने मित्र की मौत पर रोते हैं इस लिहाज़ से वे इंसानों जैसा व्यवहार करते हैं। किसी तरह जी रहे या बिछड़ गए डॉग्स में कई नकारात्मक व्यावहारिक बदलाव देखने मिलते हैं।
'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि दुखी कुत्तों के साथ क्या करें और क्या नहीं। अगर जानवरों तक की एेसी हालत हो जाती है तो हम कल्पना कर सकते हैं कि उन लोगों की क्या स्थिति होती होगी, जो अपनों को खो रहे हैं, वो भी युद्ध में? विचारणीय प्रश्न है कि क्या हम एक अच्छा इंसान बनकर इस तरह के विध्वंसक हालातों को होने से रोक सकते हैं?
फंडा यह है कि बिना किसी शर्त के प्यार, बुरे इरादों के बिना बात, रिटर्न गिफ्ट की उम्मीद के बिना किसी को उपहार देना और बिना उम्मीद के परवाह करना ही एक खूबसूरत शख्सियत की परिभाषा है। और अच्छे लोग इन आसान से नियमों का पालन करते हैं।
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