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बजट सत्र के आगाज में कुछ तो हकीकत रही होगी कि राज्यपाल के अभिभाषण में हुस्न था और दावत भी, लेकिन विपक्ष के वाकआउट ने बाहर निकलकर चुगली कर दी। विरोध की चुगली हमेशा चुनी जाती और सुनी भी जाती है, इस लिहाज से कांग्रेस ने तय कर लिया है कि बजट सत्र में ही राजनीतिक खेला हो जाए। कांग्रेस ने अपने विरोध को फूंक मारते हुए ऐसे मुद्दे चुन लिए हैं, जो सत्ता के सामने दीवारें खड़ी करने के काम आएंगे और सरकार को असहज करने की मुनादी भी करेंगे। बात अंदर की बाहर हो जाती है, क्योंकि चुनाव आने तक हर छेद बोलता है। इसी स्वरूप में विधानसभा सत्र अब भीतर से बाहर निकलकर टहलने लगा-बोलने लगा। क्या पांचवें वर्ष में विधानसभा मुसाफिर हो जाती है या नागरिक समाज मुंतजिर हो जाता है, जो राजनीति की हर बिसात जादू दिखाने को आमादा हो जाती है। यहां भी बजट सत्र का सम्मोहन, सौ फीसदी राज्यपाल के अभिभाषण की गारंटी दे रहा था, लेकिन विपक्ष का करिश्मा उसके अवरोध और सड़क के मुद्दों से गठजोड़ का रहा।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल