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- जिला परिषद कर्मियों को...
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार की नीतियां सभी सरकारी कर्मचारियों पर एक समान लागू न होने की वजह से विरोध की चिंगारियां अक्सर फूट जाती हैं। वर्तमान समय में हालात इस कदर बन चुके हैं कि दशकों जनता के प्रति समर्पित रहने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद पुरानी पेंशन की सुविधा तक नहीं है। वहीं एक दिन के लिए भी चुने जाने वाले माननीयों को अच्छा वेतनमान, पेंशन की सुविधा होना ही सरकारी कर्मचारियों को आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर कर रहा है। बात अगर प्रशासनिक अधिकारियों की करें तो वे भी सुविधाओं के मामले में माननीयों से बहुत पीछे हैं। अगर यूं कहा जाए कि माननीय अपनी सुविधाएं लेने के लिए एकजुट होकर अपने अधिकारों का गलत दुरुपयोग कर रहे हैं तो ऐसा कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 70 हजार करोड़ रुपए के कर्ज से दबी हिमाचल सरकार के खिलाफ सरकारी कर्मचारी अक्सर लामबंद हैं। सरकार अगर एक विभाग के कर्मचारियों की मांगें मान रही है तो अगले दिन दूसरे विभाग के कर्मचारी भी सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा की लौ जगाने वाले राष्ट्र निर्माता ही सबसे अधिक पुरानी पेंशन की मांग प्रमुखता से उठाते रहे हैं। कंप्यूटर अनुदेशकों के लिए 23 वर्षों के बाद भी कोई स्थायी नीति न बनना सरकारों की पक्षपाती कार्यप्रणाली को दर्शाता है। कहने को पंचायती राज विभाग को अत्यधिक सशक्त किए जाने के दावे किए जा रहे हैं, पर सरकार की नीतियां गांव स्तर तक पहुंचाने वाले जिला परिषद कर्मचारी, अधिकारी स्वयं ही आज सुविधाओं से महरूम हैं। जिला परिषद कर्मचारियों व अधिकारियों को आज दिन तक पंचायती राज विभाग में शामिल न किया जाना पक्षपात को दर्शाता है। पंचायत सचिव, कनिष्ठ सहायक और सहायक अभियंता आदि भी पुरानी पेंशन सहित अन्य सुविधाओं की मांगें न उठा सकें, ठीक इसी वजह से ऐसा किया गया है। उक्त कर्मचारी वर्षों से सरकारों से सरकारी कर्मचारी घोषित किए जाने की मांग उठा रहे हैं, मगर इसके बावजूद आज दिन तक सरकारों ने उनकी एक नहीं सुनी है। अपने परिवारों की असुरक्षा को देखते हुए जिला परिषद कर्मचारी-अधिकारी प्रदेश महासंघ भी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने जा रहा है। संघ ने इस बाबत प्रदेश सरकार को मांग पत्र सौंपकर 25 जून को हुई कैबिनेट बैठक में जिला परिषद कर्मचारियों की मांगें मानने के लिए अपील की थी। कैबिनेट की बैठक में जिला परिषद कर्मचारियों की समस्याओं बारे कोई चर्चा न होते देख अब संघ के कर्मचारियों ने विकास खंड स्तर पर पेनडाऊन स्ट्राइक किए जाने का फैसला लिया है। इससे पूर्व स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक, पुलिस कर्मी भी इस तरह का विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाने वाले जिला परिषद कर्मचारी व अधिकारी पेनडाऊन हड़ताल करेंगे तो इसका खामियाजा गरीब जनता को भुगतना पड़ेगा।
सोर्स- divyahimachal