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- ज्ञान का वरदान
हम सब समाज को कुछ न कुछ दे सकते हैं। हम में से कोई भी ऐसा नहीं है जिसके पास दुनिया का पूरा ज्ञान हो, जो सब कुछ जानता हो, लेकिन हम सब कुछ न कुछ ऐसा जानते हो सकते हैं जिसे बाकी लोग नहीं जानते। बहुत से लोग जो सफल हो चुके हैं, जिनके पास ज्ञान ही नहीं, अनुभव भी है, साधन भी हैं, कइयों के पास तो समय भी है, वे समाज सेवा में रत हैं, ऐसे ज्यादातर लोग सचमुच व्यस्त हैं, पर उन्होंने अपनी दिनचर्या ऐसी बना रखी है कि वे इस नेक काम के लिए समय निकाल ही लेते हैं क्योंकि वे दिल से चाहते हैं कि समाज का भला हो। उनके पास ज्ञान का जो वरदान है, वह उनके साथ ही न चला जाए, बल्कि बंट कर अक्षुण्ण हो जाए, अमर हो जाए, सबको उपलब्ध हो जाए ताकि आने वाली पीढि़यों का जीवन आसान हो जाए। हम पेड़ भी तो इसीलिए लगाते हैं ताकि सबको शुद्ध हवा मिल सके, सब उसकी छाया में बैठ सकें, सब उसके फलों का आनंद ले सकें। जब हम ज्ञान बांटते हैं तो ज्ञान बढ़ता है, कई गुणा बढ़ता है। जो सीख रहे हैं उनका ज्ञान तो बढ़ता ही है, खुद सिखाने वाले का ज्ञान भी बढ़ता है। हैपीनेस गुरू के रूप में मैं जब प्रशिक्षण दे रहा होता हूं तो मेरे सामने बहुत से सवाल ऐसे आते हैं जिनका उत्तर देते समय खुद मेरे दिमाग में कोई नई बत्ती जलती है। इसलिए ज्ञान बांटना न केवल आनंददायक है, बल्कि फलदायी भी है और यह हम सबका सामूहिक उत्तरदायित्व है कि हम अनवरत ज्ञान बांटते चलें।