सम्पादकीय

Genetic Engineering Explained: जीनोम एडिटिंग और भविष्य के सवाल, क्या प्रतिस्पर्धा की दौड़ में गरीबों को पीछे कर देगी ये खोज?

Neha Dani
14 July 2022 2:39 AM GMT
Genetic Engineering Explained: जीनोम एडिटिंग और भविष्य के सवाल, क्या प्रतिस्पर्धा की दौड़ में गरीबों को पीछे कर देगी ये खोज?
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Genetic Engineering Explained: क्या आप जेनेटिकली डिजाइन्ड बेबी की कल्पना कर सकते हैं? विज्ञान के क्षेत्र में इस क्रांतिकारी घटना को साल 2018 में चीन ने मूर्त रूप दिया। चीनी वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसे बच्चे को डिजाइन किया जिस पर भविष्य में एचआईवी जैसे जानलेवा वायरस का असर नहीं होगा। इस ऑपरेशन को परफॉर्म करने के लिए उन्होंने एक खास तरह के जीनोम एडिटिंग टूल CRISPR CAS 9 की मदद ली।


ये विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी घटना थी। इस घटना ने इंसानी भविष्य के समक्ष कई नई संभावनाओं को खड़ा कर दिया है। ऐसे में जेनेटिक इंजीनियरिंग को लेकर अब चर्चाएं काफी तेज हो गई हैं। जीन्स एडिटिंग के जरिए बच्चों के हाव भाव, बुद्धिमत्ता, शारीरिक क्षमता में सामान्य के मुकाबले ज्यादा वृद्धि की जा सकेगी। भविष्य में जेनेटिकली इंजीनियर्ड बच्चे नॉर्मल बच्चों से कहीं ज्यादा तेज, समझदार, इम्यूनाइज्ड और प्रतिभा सम्पन्न होंगे।


इंसान का ये कदम भविष्य में आर्थिक विषमता के साथ-साथ जैविक असमानता को जन्म देने वाला है। इससे प्रतिस्पर्धा की दौड़ में गरीब तबका आज के मुकाबले और भी ज्यादा पीछे हो जाएगा। जेनेटिक इंजीनियरिंग आने वाले समय में वैश्विक राजनीति, देशों की सुरक्षा व्यवस्था और उनके उत्थान और पतन का एक बड़ा कारण बनने वाला है।
क्या है जेनेटिक इंजीनियरिंग
इस पृथ्वी पर हर एक जीव का अपना अलग डीएनए (Deoxyribonucleic Acid) होता है। डीएनए ही जीव की बनावट और उसकी संरचना को तय करता है। डीएनए को आप बायोलॉजी की दुनिया का आधार कार्ड भी कह सकते हैं, जिसमें हर एक जीव की पहचान का प्रमाण छुपा होता है।

वहीं डीएनए के कुछ खास हिस्सों को जीन के रूप में जाना जाता है। इन्हीं से जीवों की विशेषताएं तय होती हैं। जीन्स माता पिता द्वारा उनकी अगली संतती में ट्रांसफर होती रहती है। वहीं जीव के सभी जेनेटिक मटेरियल को जीनोम कहा जाता है।

वैज्ञानिकों द्वारा जीवों के जीनोम में किए गए बदलाव को जेनेटिक इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है। जीनोम एडिटिंग के जरिए वैज्ञानिक पेड़-पौधों, बैक्टीरिया, जीव जन्तुओं के डीएनए में बदलाव करके उनके शारीरिक लक्षण जैसे आंखों का रंग, किसी रोग के प्रति उनको इम्यून, उनकी बनावट, कार्य करने की क्षमता आदि चीजों में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

कैसे करती है ये तकनीक काम?
आप जिस तरह फोटो को एडिट करते समय कई तरह के फिल्टर और टूल्स की मदद लेकर उसको काफी सुंदर बना देते हैं। ठीक उसी तरह जीनोम एडिटिंग करते समय CRISPR टूल की मदद ली जाती है। CRISPR तकनीक, एक कैंची की तरह जीव के डीएनए को एक खास जगह से काट देती है।

इसके बाद वैज्ञानिक कटे हुए डीएनए के स्थान पर अपने मन पसंद के डीएनए को जोड़ देते हैं। ऐसा करके जीव की बनावट उसकी ऊंचाई, लंबाई, बुद्धिमत्ता आदि चीजों को अपने मन मुताबिक बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

जीनोम एडिटिंग और भविष्य
अब तक इंसानी बच्चों की बनावट, उसकी बुद्धिमत्ता, रंग, ढंग, चाल, चलन आदि चीजें प्रकृति के ऊपर निर्भर थीं। वहीं आने वाले वक्तों में इंसान ये खुद तय कर सकेगा कि उसका बच्चा कितना होनहार और काबिल होगा। ऐसे में इस तकनीक को लेकर कई नैतिक सवाल खड़े हो रहे हैं।

साल 2013 में नील ब्लोमकैंप की लोकप्रिय फिल्म Elysium रिलीज हुई थी। फिल्म में 2154 के एक डिस्टोपियन फ्यूचर की कहानी को दिखाया गया है, जहां अमीर और साधन संपन्न लोग एक खास तरह के स्पेस स्टेशन पर रह रहे हैं। इस स्पेस स्टेशन का नाम Elysium है, जो पृथ्वी की कक्षा की परिक्रमा करता है।

वहीं बाकी बचे लोग बर्बाद हो चुकी पृथ्वी पर गरीबी, लाचारी और बीमारियों के बीच लड़ झगड़ रहे हैं। इन दोनों ध्रुवीकृत समाजों में कई तरह की आर्थिक और जैविक असमानताएं हैं। फिल्म में स्पेस स्टेशन पर रह रहे लोगों के पास जीनोम एडिटिंग से जुड़ी महंगी तकनीकें होती हैं, जो हर तरह की बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखती हैं। वहीं दूसरी तरफ एक समाज ऐसा भी है, जो अपनी छोटी छोटी बीमारियों को लेकर जद्दोजहद कर रहा है।

ऐसे में आज जेनेटिक्स के क्षेत्र में जो ये खोजें हो रही हैं। वह हमारे आने वाले भविष्य में ठीक ऐसी परिस्थितियां खड़ी कर सकती हैं, जहां समाज में आर्थिक विषमता के साथ साथ जैविक असमानता (Biological Inequality) भी होगी। जीनोम एडिटिंग काफी महंगी तकनीक है। ऐसे में इसका इस्तेमाल केवल अमीर लोग ही कर सकेंगे। इस कारण उनके बच्चे साधारण बच्चों के मुकाबले ज्यादा तेज और इम्यूनाइज्ड होंगे। जीनोम एडिटिंग तकनीक के विकास से हमारा समाज एक बड़े स्तर पर पोलोराइज हो सकता है।

इस खोज के होने के बाद भविष्य में हम ऐसे समाज में जी रहे होंगे, जहां कुछ लोग जेनेटिक प्योरिटी के कारण हेल्थकेयर, रोजगार और एजुकेशन में सामान्य लोगों की अपेक्षा कहीं ज्यादा अच्छा परफॉर्म करेंगे। वहीं दूसरी तरफ दुनिया भर में एक बड़ी आबादी ऐसी भी होगी, जो जेनेटिक्स की दौड़ में पीछे होने की वजह से अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की लिए आपस में लड़ रही होगी।

इससे भविष्य में जेनेटिकली इंजीनियर्ड बच्चों का विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पदों पर पहुंचने की संभावना काफी बढ़ जाएगी। यही नहीं अमीर और साधन संपन्न देश जेनेटिकली इंजीनियर्ड सेना तैयार करके वैश्विक और राजनीतिक स्तर के कई अहम मोर्चों पर अपना दबदबा बना सकेंगे। ऐसे में जेनेटिक इंजीनियरिंग वैश्विक राजनीति, देशों की सुरक्षा व्यवस्था और उनके उत्थान और पतन का एक बड़ा कारण बनने वाली है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें [email protected] पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

सोर्स: अमर उजाला

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