सम्पादकीय

पाकिस्तान में हिन्दुओं की दरियादिली

Gulabi
16 March 2021 11:55 AM GMT
पाकिस्तान में हिन्दुओं की दरियादिली
x
हिन्दू धर्म भारत का सर्व प्रमुख धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण सनातन धर्म भी कहा जाता

हिन्दू धर्म भारत का सर्व प्रमुख धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण सनातन धर्म भी कहा जाता है। इसाई, बौद्ध, इस्लाम आदि धर्मों के समान हिंदू धर्म किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं और विश्वासों के समावेश है। एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नए-नए आयाम जुड़ते गए।

वास्तव में हिंदू धर्म महान परम्पराओं का उत्तम समन्वय है। यह भक्ति रस से सराबोर धर्म है। हिंदू धर्मावलम्बियों की उदारता सर्व धर्म स्वभाव, समन्वय शीलता तथा धार्मिक सहिष्णुता की श्रेष्ठ भावना का ही परिणाम और परिचायक है। अपनी सहिष्णुता के कारण हिंदुओं ने बहुत अत्याचार सहे हैं। कई बार असहनीय पीड़ा भी झेली है क्योंकि इसमें कर्त्तव्य, ​अहिंसा, न्याय, सदाचार, सद्गुण शामिल हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी 11 दिसम्बर 1995 के अपने एक निर्णय में मत व्यक्त किया था कि हिंदू एक धर्म या सम्प्रदाय मात्र नहीं है अपितु जीवन जीने की पद्धति है।

धैर्य, क्षमा, दया करना, विद्या ग्रहण करना, मन, वचन कर्म से सत्य का पालन और क्रोध न करना​ हिंदू धर्म के सिद्धांतों में शामिल है। हिंदुओं की उदारता और दरियादिली का एक उदाहरण पाकिस्तान में देखने को मिला।

पाकिस्तान में हिंदू सम्प्रदाय ने खैबर पख्तून के करक जिले में पिछले दिसम्बर में एक मंदिर के ​िवध्वंस में शामिल आरोपियों को माफ करने का फैसला किया। पेशावर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के चेयरमैन रमेश कुमार ने कहा कि जिरगा सम्प्रदाय के सिफारिशों के संदर्भ में आरोपियों को जेल से रिहाई के लिए सहायता की जाएगी और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।


करक जिले के टेढी इलाके में स्थित श्री परमहंस जी महाराज की समाधि पर आग लगाई गई थी, इससे पहले कुछ स्थानीय बुजुर्गों के नेतृत्व में एक धार्मिक पार्टी के लगभग एक हजार कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन कर ​मंदिर हटाने की मांग की थी। इस ​मंदिर को 1920 से पहले बनाया गया था। इस घटना ने दुनियाभर में हिंदू सम्प्रदाय को झकझोर कर रख दिया गया था तथा पाकिस्तान के आम अल्पसंख्यकों को हटा दिया गया था क्योंकि हाल के दिनों तक बलूचिस्तान और खैबर पख्तून में ऐसी घटनाएं लगभग न के बराबर थीं।
खैबर पख्तून में इस मंदिर पर दूसरी बार हमला किया गया था, इसे 1997 में ध्वस्त कर दिया गया और फिर पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार इसका पुनर्निर्माण किया गया था। दूसरी बार हमले के बाद 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और सुप्रीम कोर्ट ने खैबर पख्तूनवा सरकार को मंदिर का फिर से निर्माण कराने का आदेश दिया था।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को लगातार निशाना बनाया जाता है। पाकिस्तान में जेहादियों का अत्याचार सहना हिन्दुओं की विवशता भी है। हिन्दू बहू-बेटियों की इज्जत वहां सुरक्षित नहीं है। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले में पाकिस्तान बहुत कुख्यात है। हिन्दू और सिख लड़कियों का अपहरण कर उनका जबरन धर्म परिवर्तन करा उनका निकाह पढ़ा जाता है। अत्याचारों से तंग आकर हजारों हिन्दू परिवार भारत में आकर शरण ले चुके हैं।
मंदिर पर हमले के आरोपियों को माफ करना हिन्दू समुदाय की मजबूरी भी कहा जा सकता है लेकिन इस बार विवाद को सुलझाने के लिए स्थानीय धार्मिक नेताओं और हिन्दू समुदाय के लोगों ने बैठक की। अनौप​चारिक रूप से जिरगा कही जाने वाली बैठक में आरोपियों ने हमले तथा वर्ष 1997 में भी इसी तरह की घटना को अंजाम देने के लिए माफी मांगी।
मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने आश्वासन दिया कि वे हिन्दुओं और उनके अधिकारों की देश में संविधान के अनुसार रक्षा करेंगे। जब आरोपियों ने माफी मांग ली तो फिर हिन्दुओं ने दरियादिली दिखाई। हिन्दू तो क्षमा को वीरों का आभूषण मानते हैं। किसी की जान लेने वाला नहीं, किसी की जान बचाने वाला ही सर्वश्रेष्ठ इंसान होता है।

इससे पहले ही सिंध प्रांत के छाछरो शहर के पास हिन्दू मंदिर में चोरी और तोड़फोड़ करने वाले चार आरोपियों को हिन्दू समुदाय ने सद्भावना दिखाते हुए माफ कर दिया था। क्योंकि चारों लड़के प्राइमरी स्कूल के छात्र थे।
उन्होंने न केवल दानपात्र से चोरी की थी बल्कि देवी-देवताओं की मूर्तियां भी तोड़ डाली थी। हिन्दू पंचायत ने बाद में सद्भावना के तहत स्कूली बच्चों को माफ कर दिया था। अब सवाल यह है कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक तो साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए दरियादिली दिखाते आ रहे हैं क्या पाकिस्तान का मुस्लिम समुदाय कभी हिन्दुओं के प्रति उदारता दिखायेगा? हिन्दू धर्म तो उदारता, सहिष्णुता और परोपकार पर आधारित है जिससे हिन्दू धर्म का सदैव संरक्षण होता है। इसलिए हिन्दू धर्म कर्मवाद के सिद्धान्त को मानता है जिससे मनुष्य इस जीवन में अच्छे कर्म करके अपने आने वाले जीवन व परलोक को संवार सके। इसलिए हिन्दू धर्म पीड़ा सहन कर भी उदार बना हुआ है।


Next Story