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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं, किसानों और उद्यमियों को कर्ज की सरल उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु 13 सरकारी योजनाओं से जुड़े क्रेडिट लिंक्ड पोर्टल जन समर्थ को लांच करते हुए कहा कि जहां जन समर्थ पोर्टल आम आदमी के जीवन को आसान बनाने में अहम भूमिका निभाएगा, वहीं यह पोर्टल युवाओं के लिए मनचाही कंपनी व इंटरप्राइजेस खोलने और चला पाने के काम को आसान बनाते हुए भी दिखाई देगा। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के बाद एक बार फिर इस समय पूरी दुनिया में वैश्विक मंदी के चुनौतीपूर्ण दौर में कल्याणवादी अर्थशास्त्रियों के द्वारा गरीबी दूर करने और गरीबों के कल्याण को बढ़ाने के लिए वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) की प्रभावी आवश्यकता बताई जा रही है। इस परिप्रेक्ष्य में भारत में हाल ही के वर्षों में वित्तीय समावेशन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाए जा रहे कदमों की सराहना दुनिया में कल्याणकारी व्यवस्थाओं से जुड़े हुए विभिन्न आर्थिक और वित्तीय संगठनों के द्वारा भी की जा रही है। यह कहा जा रहा है कि भारत में करोड़ों गरीब, पिछड़े एवं कम आय वाले लोगों को अर्थव्यवस्था के औपचारिक माध्यम में शामिल करके उनके पास उचित और पारदर्शी ढंग से वहनीय लागत पर वित्तीय और बैंकिंग सेवाओं की सरल पहुंच डिजिटल माध्यम से सुनिश्चित किए जाने से आम आदमी तक सब्सिडी, वित्तीय सेवा, राशन, प्रशासनिक तथा स्वास्थ्य सेवाओं सहित कई बहुआयामी सुविधाएं बिना मध्यस्थों के सरलतापूर्वक पहुंच रही हैं। इतना ही नहीं, दुनियाभर में यह भी रेखांकित हो रहा है कि भारत में आम आदमी और छोटे कारोबारियों को छोटी रकम के सरल कर्ज देकर उनके जीवन को आसान और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सूक्ष्म वित्त क्षेत्र का सकल ऋण पोर्टफोलियो (जीएलपी) तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही में 16 जून को प्रकाशित माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) के नए आंकड़ों के मुताबिक जीएलपी 31 मार्च 2022 तक 10 प्रतिशत तक बढ़कर 285441 करोड़ रुपए हो गया जो 31 मार्च 2021 तक 259377 करोड़ रुपए था। खास बात यह भी है कि सूक्ष्म वित्त उद्योग से बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हो रहे हैं। इसके तहत मार्च 2022 में ऋण खाते बढ़कर 11.31 करोड़ हो गए जो मार्च 2021 में 10.83 करोड़ थे। इसमें कोई दो मत नहीं है कि जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) ने देश में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।