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ज्योति सिडाना: संयुक्त राष्ट्र की एजंसी 'यूएन वीमैन' की रिपोर्ट कहती है कि परिवार विविधता वाला ऐसा स्थान होता है जहां अगर सदस्य चाहें तो लड़के-लड़कियों के बीच समानता के बीज आसानी से बोए जा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि परिवारों के सदस्यों को महिला अधिकारों के बारे में जागरूक बना कर उन्हें हर नीति और फैसले में शामिल किया जाए। अगर इस बात को लोग अपने व्यवहार में शामिल कर लें तो हर समाज और राष्ट्र की तस्वीर ही अलग होगी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी कहा था कि किसी देश की स्थिति वहां की महिलाओं की स्थिति से समझी जा सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आज भी महिलाओं की स्थिति कोई बहुत संतोषजनक नहीं है। यही कारण है कि समाज और राष्ट्र आज अनेक विसंगतियों व संकटों के दौर से गुजर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि ऐसे कानून, नीतियां और कार्यक्रम लागू करने की जरूरत है जिनसे परिवारों के सदस्यों की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ उनकी प्रगति और खुशहाली के लिए भी अनुकूल माहौल बन सके।