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हमारे मोहल्ले में एक दादाजी थे जिनका काफी अरसे पहले निधन हो गया. बचपन में वो हमको बहुत मज़ेदार किस्से सुनते जिसमें से एक गांधी जी से जुड़ा हुआ था
सुधीर कुमार पाण्डेय हमारे मोहल्ले में एक दादाजी थे जिनका काफी अरसे पहले निधन हो गया. बचपन में वो हमको बहुत मज़ेदार किस्से सुनते जिसमें से एक गांधी जी से जुड़ा हुआ था. उनके शब्दों में उनका संस्मरण पढ़िए फिर अंदाज़ा होगा कि गांधी क्यों महात्मा गांधी थे.
"मैं (दादाजी) उस वक़्त कॉलेज में था. मेरा एक अच्छा फ्रेंड सर्किल था. आज़ादी की लड़ाई जोरो शोरो से चल रही थी और हम लोग भी पढ़े लिखे युवा होने की वजह से इस लड़ाई में कुछ योगदान देना चाहते थे. हमने गांधी जी से मिलने की सोची और कुछ कोशिश के बाद मिलने का वक़्त भी मिल गया. हम 4-5 दोस्त बताए वक़्त और जगह पर जा पहुंचे. लोगों की भीड़ लगी थी कुछ चेहरे तो उस वक़्त के बड़े नेताओं के थे सबको गांधी जी से मिलना था. जिस कमरे में गांधी जी थे हमको उसके बाहर बिठा दिया गया. गांधी जी के निजी सचिव हमसे मिलने आये उन्होंने हमारा परिचय पूछा और फिर एक बात बोली "आप लोग जितना कम हो सके बोलिएगा, कोशिश कीजिएगा उनको सुनने की, ये मेरी निजी राय है".
इस सलाह के बाद हमको गांधी जी के सामने ले जाया गया. हमने देखा सामने गांधी जी बैठे थे सिर्फ एक धोती पहने हाथ में चरखा था और किसी की बात सुन रहे थे। उनकी बात खत्म होते ही हमारा परिचय बापू से करवाया गया. हम सबने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया. कुछ सेकंड के सन्नाटे के बाद गांधी जी ने एक सवाल किया "भारत गरीब क्यों है?" इस सवाल को सुनकर हमने सोचा कि इतना आसान सवाल क्यों पूछ लिया हम तो इतना पढ़े लिखे हैं. इनको घंटो समझा सकते हैं. फिर क्या था हम दोस्तो ने एक-एक कर ज्ञान की उल्टियां शुरू कर दीं.
देश गरीब है क्योंकि देश के गांव गरीब हैं
हम सचिव की सलाह भूल गए और सामने बैठे बुजुर्ग को अपना छात्र समझने लगे. हम बोलते जा रहे थे अंग्रेजी की ठसक में गरीबी की सारी थ्योरी उड़ेल डाली. अंग्रेजों से लेकर कांग्रेस तक को लपेट लिया. लेकिन गांधी जी चुपचाप सुनते रहे. आखिर में जब सारे तर्क खत्म हो गए तो मैंने गांधी जी से पूछा "आपको क्या लगता है बापू देश गरीब क्यों है?". बापू ने एक सांस ली और फिर एक लाइन में जो जवाब दिया वो हमारी लंबी चौड़ी दलीलों में कहीं नहीं था और सब पर भारी था. गांधी जी बोले "देश गरीब है क्योंकि देश के गांव गरीब हैं."
इस एक लाइन के बाद हमारा सारा ज्ञान धरा का धरा रह गया. ज़मीनी ज्ञान और किताबी ज्ञान का अंतर एक मिनिट में समझ आ गया हमको समझ आ गया आखिर इनको बापू क्यों कहते हैं. हमको अब गांधी जी के सचिव की सलाह समझ आयी हमने बापू से विदा लिया. बापू ने सबको आशीर्वाद दिया और आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने को कहा फिर बापू से कभी नहीं मिल पाया लेकिन ये एक मुलाक़ात पूरी जिंदगी मुझे याद रही. दादाजी के संस्मरण के बाद सोचिए, जो बापू ने तब कहा वो आजतक सही है. एक लाइन में देश की गरीबी का कारण समझाने वाला कितनी बड़ी सोच का इंसान रहा होगा इसे समझा जा सकता है.
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